मेदांता अस्पताल में एंडोस्कोपिक डे-केयर स्पाइन सर्जरी से एक दिन में इलाज संभव

अब रीढ़ की सर्जरी में न पैरालिसिस का डर, न महीनों बिस्तर पर रहने की मजबूरी

नई तकनीक से सर्जरी के अगले उसी दिन घर लौटते हैं मरीज
 
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लखनऊ डेस्क ( प्रत्यूष पाण्डेय).रीढ़ की हड्डी की सर्जरी को लेकर लोगों में यह भ्रम होता है कि इससे मरीज लकवाग्रस्त हो सकते हैं या उन्हें महीनों तक बिस्तर पर रहना पड़ता है। लेकिन अब यह धारणा बदल रही है। मेदांता हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन डॉ. रवि शंकर ने बताया कि आधुनिक तकनीक की मदद से रीढ़ की सर्जरी अब न केवल सुरक्षित है, बल्कि इसमें मरीज को अस्पताल में भर्ती होने के उसी दिन छुट्टी मिल सकती है।

 

 

 

मेदांता अस्पताल के न्यूरोसाइंसेज़ विभाग में न्यूरोसर्जरी के निदेशक, डॉ. रवि शंकर ने बताया, "अब रीढ़ की सर्जरी को लेकर डरने की ज़रूरत नहीं है। एंडोस्कोपिक डे-केयर स्पाइन सर्जरी एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें बड़े चीरे की जरूरत नहीं होती और मरीज को बहुत कम दर्द का सामना करना पड़ता है।"

इस तकनीक में मरीज को उसी दिन भर्ती किया जाता है, सर्जरी भी उसी दिन होती है और उसी दिन छुट्टी दे दी जाती है। सर्जरी के कुछ ही घंटों बाद मरीज चलने-फिरने लगता है और सामान्य दिनचर्या में जल्दी लौट सकता है।
इस प्रक्रिया से डिस्क प्रॉब्लम, स्लिप डिस्क, लोअर बैक पेन और नर्व कम्प्रेशन जैसी समस्याओं का इलाज किया जाता है। पुराने तरीकों की तुलना में इसमें संक्रमण का खतरा भी बेहद कम होता है।
डॉ. रवि शंकर ने आगे कहा, "मरीजों को यह समझना होगा कि समय पर इलाज जरूरी है। डर के चलते देरी करने से समस्या गंभीर हो सकती है। आज की तकनीक के साथ, रीढ़ की सर्जरी लंबी या तकलीफदेह नहीं होती हैं।”
मेदांता हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी और न्यूरोसाइंसेज़ विभाग के निदेशक डॉ. अनुप कुमार ठक्कर ने कहा, "एंडोस्कोपिक डे-केयर सर्जरी जैसी तकनीकों से रीढ़ की बीमारियों का इलाज अब पहले से कहीं अधिक प्रभावी, सुरक्षित और कम खर्चीला हो गया है। हमारा लक्ष्य मरीजों को जल्द से जल्द उनकी सामान्य ज़िंदगी में वापस लौटने में मदद करना है, और यह तकनीक उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।"
मेदांता अस्पताल की यह पहल रीढ़ की समस्याओं से जूझ रहे हजारों मरीजों के लिए उम्मीद की नई रोशनी है, जहां अब इलाज आसान, तेज़ और सुरक्षित है।

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