बुज़ुर्गों की बढ़ती संख्या के लिए मेदांता लखनऊ ने शुरू की पूरी तरह से सुविधा वाली जेरियाट्रिक क्लिनिक

Medanta Lucknow launches a fully equipped geriatric clinic to cater to the growing number of elderly people
 
Medanta Lucknow launches a fully equipped geriatric clinic to cater to the growing number of elderly people
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।उत्तर प्रदेश में बुज़ुर्गों की बढ़ती तादाद को देखते हुए मेदांता अस्पताल, लखनऊ ने एक नई जेरियाट्रिक क्लिनिक की शुरुआत की है। यहां बुज़ुर्गों की सेहत से जुड़ी हर छोटी-बड़ी ज़रूरत का ख्याल विशेषज्ञों की टीम रखेगी। इस क्लिनिक को एल्डर केयर प्रोग्राम के तहत शुरू किया गया है, ताकि उम्र बढ़ने के साथ आने वाली चुनौतियों को समय रहते रोका और संभाला जा सके।

भारत में बुज़ुर्गों की संख्या 2050 तक 34 करोड़ से ज़्यादा हो जाएगी, जबकि यूपी में 2036 तक हर छठा व्यक्ति बुज़ुर्ग होगा। लखनऊ में ही 30 लाख से ज़्यादा बुज़ुर्ग हैं, लेकिन उनके लिए समर्पित इलाज की सुविधाएं बेहद सीमित हैं।मेदांता की इस नई क्लिनिक में इलाज सिर्फ बीमारी का नहीं, बल्कि बुज़ुर्गों के पूरे जीवन को बेहतर बनाने पर ज़ोर रहेगा। यहां कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, एंडोक्राइनोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, मनोरोग, पोषण और फिज़ियोथेरेपी जैसे विभागों के विशेषज्ञ एक साथ मिलकर काम करेंगे। इसके अलावा 24 घंटे की हेल्पलाइन और ‘हेल्थ बडीज़’ की टीम भी बनाई गई है, जो मरीजों को दवाओं की याद दिलाने से लेकर घर पर विज़िट तक की सेवा देगी।

क्लिनिक की ज़िम्मेदारी डॉ. रुचिता शर्मा, डॉ. साक्षी मंचंदा और डॉ. इला पाण्डेय जैसे वरिष्ठ विशेषज्ञ संभाल रहे हैं। इनके साथ डॉ. हर्ष कौशल, डॉ. शिवांगी सिंह और डॉ. शिप्रा शुक्ला जैसे अनुभवी सहयोगी भी शामिल हैं।डॉ. रुचिता शर्मा ने बताया कि बुज़ुर्गों की देखभाल का मतलब सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि उनकी गरिमा, आत्मनिर्भरता और बेहतर जीवन की कोशिश है। सही समय पर जांच और इलाज से बुज़ुर्गों को लंबा और सम्मानजनक जीवन मिल सकता है।आंकड़े बताते हैं कि 30 प्रतिशत बुज़ुर्ग किसी न किसी लंबी बीमारी से जूझ रहे हैं। 16 प्रतिशत को दो बीमारियां और 6 प्रतिशत को तीन या उससे अधिक बीमारियां होती हैं। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, गठिया और डिमेंशिया आम हैं। अकेले डिमेंशिया ही 2036 तक देश के 1.7 करोड़ लोगों को प्रभावित करेगा। ज़्यादातर बुज़ुर्ग अभी भी सामान्य डॉक्टरों पर निर्भर हैं, क्योंकि प्रशिक्षित जेरियाट्रिशियन की कमी है।

65 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों में संक्रमण से होने वाली मौतें भी चिंता का विषय हैं। निमोनिया, फ्लू और पेशाब की नली के संक्रमण जैसे रोग बुज़ुर्गों के लिए जानलेवा हो सकते हैं, क्योंकि इनके लक्षण सामान्य नहीं होते। कई बार मानसिक स्थिति में बदलाव ही संक्रमण का पहला संकेत होता है।मेदांता लखनऊ के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. राकेश कपूर ने कहा कि हम इस क्लिनिक के ज़रिए बुज़ुर्गों की सेहत को लेकर एक नया दृष्टिकोण ला रहे हैं। हमारा सपना है कि बुज़ुर्ग ज़िंदगी के इस पड़ाव को आत्मनिर्भरता और गरिमा के साथ जिएं।

यह क्लिनिक सिर्फ मरीजों के लिए नहीं, बल्कि उनके देखभाल करने वाले परिवार वालों के लिए भी मददगार होगी। 47 प्रतिशत बुज़ुर्ग अपने परिजनों पर निर्भर हैं और 54 प्रतिशत देखभाल करने वालों को तनाव, नींद की कमी जैसी समस्याएं होती हैं। इसके लिए क्लिनिक में काउंसलिंग, होम केयर की ट्रेनिंग और मानसिक स्वास्थ्य पर मदद भी दी जाएगी। मेदांता की यह नई पहल बुज़ुर्गों की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकती है। अस्पताल में क्लिनिक अब चालू हो गई है और सेवाएं शुरू हो चुकी हैं।

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