मेदांता ने स्ट्रोक जागरूकता के लिए आयोजित किया 3 किमी वॉकाथॉन, 700 से अधिक प्रतिभागी शामिल
लखनऊ, 11 दिसंबर 2025: वर्ल्ड स्ट्रोक डे के उपलक्ष्य में मेदांता अस्पताल के न्यूरो साइंसेज़ विभाग ने स्ट्रोक केयर पर जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए 3 किलोमीटर लंबे वॉकाथॉन का आयोजन किया। अंसल गोल्फ पार्क से शुरू हुए इस कार्यक्रम में मेदांता टीम, टाटा ग्रुप के कर्मचारी, विभिन्न निजी संगठनों के स्टाफ और आम नागरिक सहित 700 से 800 प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत मेदांता के वाइस चेयरमैन डॉ. विक्रम ने फ्लैग-ऑफ कर की। वॉकाथॉन का मुख्य उद्देश्य स्ट्रोक की रोकथाम, प्राथमिक उपचार और उसके बाद पुनर्वास (रीहैबिलिटेशन) के प्रति लोगों में जागरूकता विकसित करना था।
स्ट्रोक के प्रति जागरूकता क्यों ज़रूरी?
विशेषज्ञों के अनुसार, स्ट्रोक से बचाव तीन स्तरों पर निर्भर करता है—
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रोकथाम (Prevention):
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ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल और बॉडी वेट को नियंत्रित रखने से स्ट्रोक का खतरा काफी कम होता है।
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तुरंत पहचान और इलाज (Early Treatment):
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लक्षण दिखते ही तुरंत कार्रवाई बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि हर मिनट मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है।
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पुनर्वास (Rehabilitation):
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स्ट्रोक के बाद पैरालिसिस या कमजोरी से उबरने के लिए समय पर और सही रीहैबिलिटेशन ज़रूरी है।
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बी-FAST: स्ट्रोक पहचानने का सबसे आसान तरीका
मेदांता के विशेषज्ञों ने बताया कि स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानने के लिए B-FAST फॉर्मूला बेहद कारगर है:
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B – Balance (संतुलन बिगड़ना)
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E – Eyesight (दृष्टि धुंधला होना)
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F – Face (चेहरा टेढ़ा होना)
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A – Arms (हाथ ऊपर न उठा पाना)
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S – Speech (बोलने में परेशानी)
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T – Time (तुरंत अस्पताल पहुंचाएं)
लक्षण दिखते ही समय गंवाए बिना मरीज को अस्पताल ले जाना जीवन बचाने में निर्णायक साबित होता है। मेदांता द्वारा आयोजित यह वॉकाथॉन न सिर्फ जागरूकता बढ़ाने का प्रयास था, बल्कि समुदाय को स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदार बनाने का भी एक महत्वपूर्ण कदम बना।
