एम.एल.के. पी.जी. कॉलेज बलरामपुर के रोवर-रेंजर्स ने अल्मोड़ा में सफलतापूर्वक संपन्न किया नेचर स्टडी व ट्रेकिंग कैंप

M.L.K. P.G. Rover-Rangers of College Balrampur successfully completed nature study and trekking camp
 
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बलरामपुर, उत्तर प्रदेश | 26 जून 2025:  एम.एल.के. पी.जी. कॉलेज, बलरामपुर के रोवर और रेंजर विद्यार्थियों ने 22 से 26 जून 2025 तक प्रादेशिक प्रशिक्षण केंद्र, शीतलखेत (अल्मोड़ा, उत्तराखंड) में आयोजित नेचर स्टडी और ट्रेकिंग कैंप में सक्रिय भागीदारी निभाई। यह कैंप प्रो. जे.पी. पांडेय एवं जिला मुख्यालय प्रभारी मृदुलानंद के निर्देशन में, तथा रोवर प्रभारी डॉ. एस.के. त्रिपाठी, रेंजर प्रभारी डॉ. वंदना सिंह, और जिला संगठन आयुक्त श्री सिराजुल हक के नेतृत्व में आयोजित हुआ।

कैंप की प्रमुख गतिविधियाँ

बलरामपुर की टीम सबसे पहले कैंप स्थल पर पहुंची और आयोजन की व्यवस्थाओं में अहम भूमिका निभाई पहले दिन एडेश्वर मंदिर तक 1 किलोमीटर ट्रैक किया गया, जहां प्रतिभागियों ने पहाड़ी जीवन की चुनौतियों जैसे जल संकट और विशेष पौधों की जानकारी प्राप्त की।बिच्छू घास और काला बांस जैसे पौधों के औषधीय उपयोगों पर विशेष चर्चा हुई। हर शाम कैंप फायर का आयोजन हुआ जिसमें पर्यावरण, देशभक्ति और लोक संस्कृति आधारित प्रस्तुतियाँ दी गईं।

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 ट्रैकिंग और नेचर स्टडी के पड़ाव

  • दूसरे दिन प्रतिभागियों ने हेडे खान मंदिर तक 2 किमी लंबा ट्रैक पूरा किया। यहां अखरोट और नासपाती के वृक्षों की जानकारी दी गई।

  • तीसरे दिन की ट्रैकिंग पाषाण देवी मंदिर तक हुई (लगभग 3 किमी), जिसमें चीड़, लोहबान, पथरचट्टा, और बांझ के वृक्षों की उपयोगिता समझाई गई।

  • चौथे दिन सबसे कठिन स्याही देवी मंदिर ट्रैक किया गया, जो शीतलखेत का सबसे ऊँचा बिंदु है। रास्ते में कीवी, काफल, आड़ू जैसे फलदार वृक्षों और उनके पोषण मूल्य पर जानकारी दी गई।

  • हर दिन की शुरुआत योग, जुंबा, ध्वज शिष्टाचार और बीपी-6 गतिविधियों से होती थी, जिससे स्वास्थ्य और अनुशासन का संतुलन बना रहा।

 समापन समारोह

पांचवे दिन सभी टीमों ने सर्वधर्म प्रार्थना सभा में भाग लिया और राष्ट्रगान के साथ ध्वजावरोहण कर शिविर का समापन किया गया।प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया।

 प्रतिभागी जिलों में शामिल रहे

बलरामपुर के साथ-साथ कानपुर, बरेली, बलिया, जौनपुर, आजमगढ़, हाथरस, आगरा, जबलपुर, फर्रुखाबाद समेत कई अन्य जिलों की टीमें भी कैंप में उपस्थित रहीं। यह पांच दिवसीय शिविर न केवल शारीरिक और मानसिक रूप से रोवर-रेंजर्स को मज़बूत करने का माध्यम बना, बल्कि प्रकृति के साथ जुड़ाव, पारिस्थितिकी तंत्र की समझ और टीमवर्क को भी नई दिशा दी।

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