मोबाइल गेमिंग की लत ने छीनी जिंदगी: 80 लाख गंवाए, कर्ज के बोझ तले दबकर युवक ने की आत्महत्या
Mobile gaming addiction took away life: lost 80 lakhs, burdened with debt, young man committed suicide
Fri, 11 Jul 2025
उत्तर प्रदेश, जिला— एक चौंकाने वाली और दुखद घटना में मोबाइल गेमिंग की लत ने एक व्यक्ति की जिंदगी को तबाह कर दिया। कोतवाली देहात क्षेत्र के गांव जिरसमी निवासी 38 वर्षीय यतेंद्र सिंह ने भारी कर्ज और मानसिक दबाव के चलते आत्महत्या कर ली। मंगलवार रात उन्होंने अपने ही घर में फांसी लगाकर जीवन समाप्त कर लिया।
परिजनों के अनुसार, यतेंद्र को मोबाइल गेम्स की गंभीर लत लग गई थी। उन्होंने गेमिंग के चक्कर में लगभग 80 लाख रुपये की संपत्ति गंवा दी। जब गेमिंग में नुकसान हुआ तो उन्होंने लगभग 30 लाख रुपये का कर्ज साहूकारों से ले लिया। हर दिन कर्जदारों के तगादे, गाली-गलौज और धमकियों ने उन्हें मानसिक रूप से पूरी तरह तोड़ दिया।
घर की माली हालत बिगड़ी, आत्महत्या का लिया कठोर फैसला
यतेंद्र के छोटे भाई चंद्रकेतु सिंह ने बताया कि भाई टैक्सी चलाते थे और कुछ समय से RO और आटा चक्की का छोटा व्यवसाय शुरू किया था, जिससे मासिक आमदनी करीब 15,000 रुपये थी। इसके मुकाबले उन्हें हर महीने करीब 1.30 लाख रुपये की किस्तें चुकानी पड़ती थीं, जो उनके लिए असंभव था।
परिवार का कहना है कि यतेंद्र पर स्थानीय साहूकारों का दबाव दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था। लगातार तनाव और भय के माहौल में रह रहे यतेंद्र ने मंगलवार रात अंगोछे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजनों ने उन्हें तत्काल मेडिकल कॉलेज ले जाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनकी पत्नी, बच्चे और पूरा परिवार गहरे सदमे में है।
पुलिस जांच जारी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार
सीओ सिटी अमित कुमार राय के अनुसार, सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। प्राथमिक जांच में आत्महत्या की बात सामने आई है, लेकिन मौत का स्पष्ट कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा। यदि परिजनों की ओर से कोई लिखित शिकायत मिलती है तो मामले में कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
एक चेतावनीभरा संदेश
यह घटना एक गंभीर सामाजिक चेतावनी है कि किस तरह डिजिटल लत और आर्थिक अस्थिरता एक साधारण व्यक्ति की पूरी जिंदगी को तबाह कर सकती है। युवाओं में बढ़ती मोबाइल गेमिंग की लत और कर्ज के जाल में फंसना एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। समय रहते सही मार्गदर्शन, पारिवारिक सहयोग और मानसिक स्वास्थ्य की मदद इन स्थितियों को रोका जा सकता है।
