सास ने दामाद को दान की किडनी: मैक्स हॉस्पिटल, लखनऊ में प्रेम, साहस और मेडिकल तकनीक की अनोखी मिसाल

Mother-in-law donates kidney to son-in-law: A unique example of love, courage and medical technology at Max Hospital, Lucknow
 
Mother-in-law donates kidney to son-in-law: A unique example of love, courage and medical technology at Max Hospital, Lucknow
लखनऊ, 12 दिसंबर 2025।  ममता, समर्पण और मानवता की अद्भुत मिसाल उस समय देखने को मिली जब 51 वर्षीय साधना देवी ने अपने 31 वर्षीय दामाद कमलेश को नई जिंदगी देने के लिए अपनी किडनी दान कर दी। कमलेश किडनी फेल्योर के अंतिम चरण से जूझ रहे थे। यह जटिल प्रत्यारोपण मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ में विश्वस्तरीय दा विंची एक्सआई रोबोटिक सिस्टम की सहायता से सफलतापूर्वक किया गया, जो उत्तर प्रदेश की एडवांस्ड किडनी केयर के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।

लंबे समय से बीमार थे कमलेश, आखिरी उम्मीद बना ट्रांसप्लांट

कमलेश लंबे समय से अनियंत्रित हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित थे, जिससे उनकी किडनी गंभीर रूप से डैमेज हो चुकी थी। तीन वर्ष पहले क्रॉनिक किडनी रोग का पता चला, परंतु अन्य अस्पतालों में उपचार के बावजूद उनकी हालत बिगड़ती चली गई।
स्थिति गंभीर होने पर परिवार उन्हें मैक्स हॉस्पिटल लेकर आया, जहां नेफ्रोलॉजी एवं रीनल ट्रांसप्लांट के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. वेंकटेश थम्मिशेट्टी की टीम से परामर्श लिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि कमलेश की दोनों किडनी तेजी से काम करना बंद कर रही थीं और तत्काल ट्रांसप्लांट जरूरी था। जब परिवार में उपयुक्त डोनर नहीं मिला, तब सास साधना देवी ने स्वयं आगे बढ़कर अपनी किडनी दान करने की इच्छा जताई—जो पारिवारिक प्रेम और रिश्तों की असाधारण मिसाल है।

दा विंची एक्सआई रोबोट से रोबोटिक असिस्टेड ट्रांसप्लांट, बेहद सफल

मैक्स हॉस्पिटल की ट्रांसप्लांट टीम ने इस जटिल प्रक्रिया को दुनिया की आधुनिकतम तकनीकों में से एक — दा विंची एक्सआई रोबोटिक सिस्टम — के जरिए अंजाम दिया।डॉ. अदित्य के. शर्मा, डायरेक्टर (यूरोलॉजी, एंड्रोलॉजी, किडनी ट्रांसप्लांट एवं रोबोटिक यूरो-ऑन्कोलॉजी) ने बताया:“डोनर की उम्र अधिक होने के बावजूद सर्जरी अत्यधिक सटीकता के साथ की गई। साधना देवी को चौथे दिन ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, जबकि कमलेश की रिकवरी भी उल्लेखनीय रही और उन्हें आठवें दिन डिस्चार्ज कर दिया गया। भविष्य में रोबोटिक ट्रांसप्लांट और भी सुरक्षित और मरीज-हितैषी बनेगा।”

डॉ. राहुल यादव, डायरेक्टर (यूरोलॉजी, किडनी ट्रांसप्लांट एवं रोबोटिक यूरो-ऑन्कोलॉजी) ने कहा रोबोटिक तकनीक हमें बेहद छोटे चीरे के साथ अत्यधिक जटिल प्रक्रियाएं करने में सक्षम बनाती है। इसमें 3D विज़न और बेहतर नियंत्रण मिलता है, जिससे ब्लीडिंग कम होती है, ऊतकों की सुरक्षा होती है और नई किडनी तुरंत काम करने लगती है। यह तकनीक भविष्य नहीं—वर्तमान बन चुकी है।”

डॉ. वेंकटेश थम्मिशेट्टी, एसोसिएट डायरेक्टर (नेफ्रोलॉजी व रीनल ट्रांसप्लांट) ने कहा:अब यूपी के मरीजों को जटिल किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बड़े शहरों की यात्रा नहीं करनी होगी। लखनऊ में रोबोटिक ट्रांसप्लांट उपलब्ध होना पूर्वी व मध्य उत्तर प्रदेश के हजारों मरीजों के लिए वरदान है।”

प्रदेश में उन्नत किडनी केयर का नया अध्याय

इस सफल प्रत्यारोपण के साथ मैक्स हॉस्पिटल, लखनऊ ने न केवल चिकित्सा क्षेत्र में नई ऊंचाई छुई है, बल्कि यह सिद्ध कर दिया है कि—अब विश्वस्तरीय रोबोटिक ट्रांसप्लांट सुविधाएँ प्रदेश में ही उपलब्ध हैं।यह घटना मानव रिश्तों में त्याग की गहराई और आधुनिक चिकित्सा तकनीक की अभूतपूर्व प्रगति—दोनों का शानदार संगम है।

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