मेरा मेरा जो कहता है कुछ साथ न जायेगा तेरे मुठ्ठी बांधे आया था और हाथ पसारे जायेगा

The one who says mine, mine, will not go with you. I came with my fists clenched and will go with my hands outstretched.
 
The one who says mine, mine, will not go with you. I came with my fists clenched and will go with my hands outstretched.
 लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।सेक्टर महानगर स्थित रामलीला मैदान में श्री राम लीला समिति महानगर द्वारा आयोजित रामलीला महोत्सव में आज पंचम दिवस का शुभारंभ भगवान शंकर की आरती के साथ हुआ। माता सीता की खोज में हनुमान जी रावण की लंका में पहुंच जाते हैं और माता सीता से मिलकर भगवान राम और लक्ष्मण की कुशल देते हैं

उसके बाद रावण की अशोक वाटिका को उजाड़ कर तहस-नस कर देते हैं। रावण का पुत्र मेघनाथ उन्हें नागफास में बात कर अपने पिता के सम्मुख ले जाता है जहां रावण हनुमान जी की पूछ में कपड़े लपेटकर तेल में डुबोकर आग लगाने का आदेश देता है। उसके बाद हनुमान जी उछलते कूदते रावण की सोने की लंका को आग लगा देते हैं। और वापस लौट कर रामचंद्र जी को सीता माता की कुशल देते हैं। मंत्रियों की सलाह के उपरांत श्री रामचंद्र जी लंका में चढ़ाई की तैयारी करते हैं और सेतुबंध रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापना करते हैं। यह खबर जब रावण को मिलती है तो वह अपने भाई विभीषण से सलाह लेता है

कि क्या किया जाए विभीषण की रावण से कहते हैं की रामचंद्र जी से बैर न लें और सीता जी को लौटा दे, विभीषण की बात रावण को नगवार लगती है और वह विभीषण को लात मार कर लंका से निकाल देता है तब विभीषण कहते हैं।तेरा अभियान सब जाता रहेगा तू मन में बहुत पछताते रहेगा फिर पछताने से कुछ भी काम नहीं बनेगा। यह कहकर विभीषण जी भगवान राम की शरण में चले जाते हैं। भगवान राम अंत में रावण को समझने का एक और उपाय करते हैं और वह अंगद को दूत बनाकर रावण को समझने के लिए भेजते हैं। तो रावण संधि करने से इंकार करता है और कहता है 


मैं बांध चुका तूफानों को, झंझाओं को,कैद कर चुका सागर के विपुल प्रवाहों को।तेरा स्वामी तो  पिद्दी सा है मैं आफत का पर काला हूं।तब अंगद  समझाते हुए कहते हैं मेरा मेरा जो कहता है कुछ साथ ना जाएगा तेरे मुट्ठी बांधे आया था और हाथ पर सारी जाएगा लेकिन रावण की समझ में कुछ नहीं आता है। और वह अपने पुत्र मेघनाद को युद्ध के लिए भेजता है जहां वह अपनी शक्ति बाड़ से लक्ष्मण जी को अचेत कर देता है। इस प्रकार आज की लीला  का  में लंका दहन, सेतुबंध रामेश्वरम की स्थापना, अंगद रावण संवाद और लक्ष्मण शक्ति के प्रसंग दिखाए गए। राम की भूमिका में यशी लोहुमी, लक्ष्मण की भूमिका में फाल्गुनी लोहुमी, सीता की भूमिका में अनुराधा मिश्रा,हनुमान की भूमिका में महेंद्र पंत, रावण की भूमिका में भास्कर जोशी मेघनाद की भूमिका में मनीष उपाध्याय अंगद की भूमिका में नवीन पांडे, विभीषण की भूमिका में कुणाल पंत और सुषैन वैद्य की भूमिका में नंदा बल्लभ जोशी थे।

रामलीला मंचन में अपने वाद्ययंत्रों से नीरज पन्त, दिवाकर राव, मृदुनंदन सनवाल, किशोर कुमार श्रीवास्तव एवं ललित भट्ट ने साथ दिया। वस्त्र सजा रूप सजा एवं मंच सज्जा में हरिश्चंद्र लोहुमी, हिमांशु मिश्रा, देवेंद्र मिश्रा, दीपक पांडे दीनू, आनंद सिंह भारती पांडे, संजय पांडे,मधुसूदन बाबा एवं अजय राठौर का सहयोग मिला। रामलीला मंचन देखने आए अतिथियों को संयोजक दीपक पांडे दीनू,अध्यक्ष ललित मोहन जोशी उपाध्यक्ष विनोद पंत महासचिव हेम पन्त कोषाध्यक्ष नीरद लोहानी व अनिल जोशी, तारा दत्त जोशी, सर्वजीत सिंह बोरा, दीपेश  पांडे एवं नीरज लोहानी ने रामनामी अंग वस्त्र पहनकर स्वागत किया। मंच संचालन पंडित नारायण पाठक द्वारा किया गया। समिति के अध्यक्ष ललित मोहन जोशी ने बताया कि विजयदशमी के दिन स्वयं 7:00 बजे से रामलीला मंचन के साथ-साथ मेघनाद और रावण के पुतलों का दहन होगा इस वर्ष रावण का पुतला 35 फुट और मेघनाथ का पुतला 30 फुट का है। पुतला दहन के पश्चात आतिशबाजी का भी आयोजन होगा।

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