गांव की सादगी में सुकून ढूंढ रहे हैं नाना पाटेकर, बोले- मुझे फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ाव कभी नहीं रहा
मैं फिल्म इंडस्ट्री से नहीं हू
जब अमिताभ बच्चन ने नाना पाटेकर से पूछा कि उन्होंने इतना कुछ हासिल करने के बाद भी सब कुछ छोड़ गांव में रहने का फैसला क्यों किया, तो नाना ने सादगी भरा जवाब दिया –"मैं इस इंडस्ट्री का हिस्सा कभी नहीं रहा. मैं बस अपना काम करता हूं और चला जाता हूं. कभी किसी पार्टी में नहीं गया, शहरों में नहीं रुका. मेरा मन गांव में बसता है, जहां की सादगी मुझे सुकून देती है।"
भावुक हुए नाना, बोले- मां ने जो दिया, वो काफी है
नाना पाटेकर ने यह भी कहा कि उनके जीवन में जरूरतें बहुत सीमित हैं।"मेरे पास एसी नहीं है, क्योंकि मुझे उसकी ज़रूरत ही नहीं लगती। शहर में जहां चारों ओर दीवारें हैं, वहीं मेरे घर के चारों ओर पहाड़ हैं। वो घर, वो शांति, मेरे लिए काफी है। मां से जितना चाहिए था, उससे कई गुना ज़्यादा मिला है।"उनकी बातें सुनकर दर्शक भी भावुक हो उठे।
माधुरी दीक्षित की तारीफ में नाना पाटेकर
केबीसी के ही एक दर्शक ने नाना से पूछा कि फिल्म 'वजूद' में माधुरी दीक्षित के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा। इस पर नाना ने मुस्कुराते हुए कहा –"माधुरी एक बेहतरीन अदाकारा हैं। वो खूबसूरत हैं, लाजवाब डांसर हैं और उनमें इंसानियत है। उनके साथ काम करना एक शानदार अनुभव रहा। मैं उन्हें बेहद सम्मान से देखता हूं।"
"कैसे बताऊं मैं तुम्हें..." – अब भी याद है वो कविता
शो के दौरान नाना से फिल्म ‘वजूद’ में माधुरी को सुनाई गई कविता "कैसे बताऊं मैं तुम्हें" को लेकर सवाल पूछा गया। उन्होंने बताया –"ये कविता जावेद अख्तर साहब की है। करीब 30-35 साल हो गए उस फिल्म को, लेकिन वो कविता आज भी मेरे साथ है। जब मैंने वो कविता माधुरी को सुनाई थी, तब जो महसूस किया था, वो अब भी जिंदा है। वो कविता जैसे मेरे खून में बहती है।"
नाना पाटेकर की सादगी से भरी कहानी, लोगों को आई पसंद
केबीसी के मंच पर नाना पाटेकर की मौजूदगी दर्शकों के लिए भावुक और प्रेरणादायक रही। उनकी सादगी, जमीन से जुड़ा स्वभाव और फिल्मों से अलग उनके जीवन का सफर यकीनन हर किसी को छू गया।
