गोण्डा को तुलसी की जन्मभूमि मानने पर बल, ‘अवधी का भविष्य’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

Emphasis on considering Gonda as the birthplace of Tulsi, national seminar on the topic of 'Future of Awadhi' concluded
 
Emphasis on considering Gonda as the birthplace of Tulsi, national seminar on the topic of 'Future of Awadhi' concluded
अयोध्या/लखनऊ ब्यूरो (आर. एल. पाण्डेय):  अवधी भाषा की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने और इसे शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक मंच पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संत कबीर सभागार में ‘अवधी का भविष्य’ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के साहित्यकार, शिक्षाविद् और भाषा-विज्ञानी शामिल हुए।

अवधी भाषा को मिले आंदोलन का रूप: प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित

मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित वरिष्ठ हिंदी मनीषी प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि अवधी भाषा के व्याकरणिक ढांचे को मजबूत किए बिना इसे मानक रूप नहीं दिया जा सकता। उन्होंने सुझाव दिया कि अवधी के प्रचार-प्रसार को एक जन-आंदोलन की शक्ल दी जानी चाहिए और राज्य सरकार को इस दिशा में जल्द ही अवधी अकादमी की स्थापना करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अवधी और हिंदी को शिक्षा की प्रमुख भाषा के रूप में विकसित करना समय की माँग है।

राम मंदिर के साथ फिर फलीभूत हो रही अवधी: प्रो. पवन अग्रवाल

लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. पवन अग्रवाल ने कहा कि अवधी गद्य साहित्य को और समृद्ध करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि राम मंदिर के पुनर्निर्माण के साथ ही अवधी भाषा को फिर से सांस्कृतिक पुनर्जीवन मिला है, किंतु डिजिटल और वैश्विक युग की चुनौतियों के बीच इसे रोज़गार से जोड़ना भी उतना ही आवश्यक है।

रामकथा संग्रहालय निदेशक ने प्रस्तुत किए पुरातात्विक प्रमाण

डॉ. संजीव कुमार सिंह, निदेशक, अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय, झांसी ने अपने वक्तव्य में राम कथा की विभिन्न अभिव्यक्तियों और पुरातात्विक प्रमाणों के माध्यम से इसके ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला।

अवधी में बात कर रहे हैं बच्चे: बीएसए लक्ष्मीकांत पाण्डेय

बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री लक्ष्मीकांत पाण्डेय ने बताया कि स्कूलों में बच्चे अवधी में संवाद कर रहे हैं, जो इस लोकभाषा की जीवंतता को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “रामायण की कथा कालातीत है, इसलिए जब तक रामकथा है, तब तक अवधी भी जीवित रहेगी।”

गोण्डा को तुलसीदास की जन्मभूमि मानने का दावा

इस अवसर पर ‘अवध ज्योति’ पत्रिका के गोस्वामी तुलसीदास जन्मभूमि विशेषांक का लोकार्पण भी हुआ, जिसमें त्रिमुहानी सूकरखेत (गोण्डा) को तुलसीदास जी की जन्मस्थली के रूप में प्रमाणित किया गया है। विशेषांक के अतिथि संपादक प्रो. शैलेन्द्र नाथ मिश्र ने कहा, “जिस प्रकार श्रीराम की जन्मभूमि को लेकर संदेह का अंत हुआ, उसी प्रकार तुलसीदास जी की जन्मभूमि को भी गोण्डा मानना अब प्रमाणित तथ्य है।”

डॉ. राम बहादुर मिश्र, संपादक, अवध ज्योति, ने पत्रिका के ऐतिहासिक विकास और अनुसंधान पक्ष को रेखांकित किया।
साहित्य भूषण शिवाकांत मिश्र 'विद्रोही' ने राम नाम की महिमा और गोण्डा को तुलसी की जन्मभूमि के रूप में स्वीकार किए जाने पर विशेष बल दिया।

अवधी साहित्य और रामचरितमानस पर गंभीर विमर्श

इस संगोष्ठी में विभिन्न विद्वानों ने अवधी भाषा, साहित्य और रामचरितमानस की व्याख्या की:

  • डॉ. सुशील कुमार पाण्डेय 'साहित्येन्दु' – रामचरितमानस के ग्राह्य सूत्रों की विवेचना

  • डॉ. बलजीत श्रीवास्तव – अवधी गद्य पर विचार

  • साहित्य भूषण विजय शंकर मिश्र – अवधी में गाँव-गिरांव की जीवन-शैली साझा की

प्रमुख उपस्थिति और आयोजन

संगोष्ठी में साहित्यकार विजय रंजन, प्रो. धर्मेन्द्र कुमार शुक्ल, डॉ. नीरज पाण्डेय, डॉ. लक्ष्मीकांत पाण्डेय, विपुन पगारे, राजेश चौबे, प्रो. जय शंकर तिवारी सहित कई अन्य विद्वानों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

इस मौके पर अवधी भाषा, लोक साहित्य, रामकथा, और सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. सत्य प्रकाश शुक्ल (ए.एन.डी. कॉलेज, बभनान) द्वारा किया गया।

कार्यक्रम के समापन पर ऑक्टा के अध्यक्ष डॉ. जनमेजय तिवारी, महामंत्री डॉ. अमूल्य कुमार सिंह और प्रो. शैलेन्द्र नाथ मिश्र को इस आयोजन की सफलता के लिए विशेष धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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