प्राकृतिक चिकित्सा युक्त जीवन शैली से पेट रोग कब्ज, गैस, एसिडिटी, बवासीर, मोटापा, ब्लड प्रेशर, मधुमेह एवं हृदय रोग से बचा जा सकता है

Stomach diseases like constipation, gas, acidity, piles, obesity, blood pressure, diabetes and heart diseases can be avoided by adopting a naturopathy lifestyle.
 
Stomach diseases like constipation, gas, acidity, piles, obesity, blood pressure, diabetes and heart diseases can be avoided by adopting a naturopathy lifestyle.
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)। सरोजिनी नगर स्थानीय समाज कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश सरकार के तत्वावधान में संचालित वृद्ध आश्रम में प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग के द्वारा वृद्धजनों के उत्तम स्वास्थ्य विषय पर संगोष्ठी एवं स्वास्थ्य परामर्श इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाइजेशन के तत्वावधान में,  नेशनल इंस्टीट्यूट आफ नेचुरोपैथी पुणे (आयुष मंत्रालय भारत सरकार) के सौजन्य से आयोजित किया गया।


संगोष्ठी की मुख्य अतिथि समाज कल्याण विभाग की डिप्टी डायरेक्टर सुनीता यादव, विशिष्ट अतिथि जिला समाज कल्याण अधिकारी लखनऊ सुनीता सिंह, अध्यक्षता वृद्धाश्रम के प्रबंधक के.वी.  बाजपेई ने की। संगोष्ठी  के मुख्य वक्ता वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक एवं योग विशेषज्ञ डॉ. एस.एल. यादव, डॉ. अरुण कुमार भरारी, डॉ. नन्दलाल जिज्ञासु, डॉ.विनोद कुमार यादव, डॉ शिखा गुप्ता, योगाचार्य कृष्ण दत्त मिश्रा, वीरेंद्र विक्रम सिंह ने अपने विचार व्यक्त किया। 


कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉक्टर सुनीता यादव ने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है, मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित बनाए रखने के लिए योग चिकित्सक के निर्देशन में प्रशिक्षण उपरांत चिकित्सकीय दृष्टि से नियमित सूक्ष्म व्यायाम, एवं ध्यान करने से वृद्धावस्था को सुखमय बनाया जा सकता है।  जिस तरह से बाल्यावस्था में माता-पिता बच्चों का ख्याल रखते हैं उसी तरह माता-पिता का वृद्धावस्था में बच्चों को उनका ख्याल रखें, बच्चों के  द्वारा माता-पिता उपेक्षा के शिकार हो जाने पर अधिकतम  लोग मानसिक तनाव तथा अवसाद की स्थिति में आ जाते हैं, भारत संयुक्त परिवार परंपरा का अनुपालन करता रहा है जिसमें माता-पिता, दादा-दादी साथ में रहने की परंपरा थी जिससे सभी को एक दूसरे का सहयोग मिलता था, अब इसका अभाव दिखाई देने लगा है।  हमें भारत की प्राचीन परंपरा संयुक्त परिवार प्रणाली को विकसित किए जाने की आवश्यकता है।


 इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाइजेशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक डॉ एस एल यादव ने बताया की प्राकृतिक चिकित्सा स्वस्थ जीवन बिताने की एक कला तथा चिकित्सा विज्ञान है, प्राकृतिक चिकित्सा युक्त जीवन शैली से पेट रोग कब्ज, गैस, एसिडिटी, बवासीर, मोटापा, ब्लड प्रेशर, मधुमेह एवं हृदय रोग से बचा जा सकता है। डॉ. अरुण कुमार भरारी ने बताया कि मानव शरीर पंचमहाभूत तत्वों ( मिट्टी, पानी, धूप, हवा एवं आकाश) से बना है इन्हीं तत्वों के चिकित्सकीय प्रयोग से संचारी तथा गैर संचारी  रोगों को ठीक किया जाता है। 


बलरामपुर चिकित्सालय के वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक एवं योग चिकित्सा विशेषज्ञ  डॉ. नन्दलाल यादव ने बताया कि वृद्धावस्था में  पेट संबंधी रोग, जोड़ों के दर्द, स्पॉन्डिलाइटिस, हृदय रोग, पेशाब संबंधी तकलीफ, लकवा,  मानसिक तनाव एवं मानसिक अवसाद की समस्याएं अधिक पाई जाती हैं। प्रतिवर्ष  केवल एक माह की प्राकृतिक चिकित्सा षटकर्म के अभ्यास से इन जटिल रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है।डॉ शिखा गुप्ता ने बताया कि अपने खाने में मिलेट्स जो ऊर्जा का समृद्ध स्रोत, पोषक तत्वों एवं फाइबर से भरपूर होते हैं तथा मिलेट्स में कम ग्लासेमिक इंडेक्स पाए जाने के कारण मिलेट्स का सेवन स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है। 


योगाचार्य कृष्ण दत्त मिश्र ने सभी को सूक्ष्म व्यायाम कराया तथा योगाचार्य वीरेंद्र विक्रम सिंह षटकर्मों  शोधन क्रियाओ के महत्व को उजागर किया।थैरेपिस्ट रवि गुप्ता, वृद्धाश्रम की प्रबंधक शैलेंद्र देवी,  एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर के. वी. बाजपेई, डॉ राकेश सिंह आदि ने भी अपने विचार प्रस्तुत किया। वृद्धा आश्रम में  हेल्थ चेकअप एवं परामर्श डॉक्टर अरुण कुमार भरारी, डॉ राकेश सिंह, अभिषेक यादव  ने एवं टीम ने किया। वृद्ध जनों को अंकुरित एवं फल वितरण, हर्बल टी की व्यवस्था वैदिक योग-प्रकृतिक चिकित्सा संस्थान लखनऊ के द्वारा किया गया।   कार्यक्रम में लगभग 150 लोगों की सहभागिता रही ।

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