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नव संवत्सर, चैत्र नवरात्रि और राम नवमी समारोह आयोजित

इस कार्यक्रम का संचालन इला, निष्ठा ओझा और अभिन्न श्याम तिवारी ने किया। कार्यक्रम ने बौद्धिक विमर्श और कलात्मक प्रस्तुतियों को एक मंच पर प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति महोदय के दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण अर्धनारीश्वर पर नृत्य व "अहिल्याबाई होल्कर" नाटक रहे, जिसे इसके ऐतिहासिक गहराई और प्रभावशाली प्रदर्शन के लिए सराहा गया।
माँ दुर्गा को समर्पित नृत्य प्रस्तुतियों की एक श्रृंखला प्रस्तुत की गई, जिसमें शास्त्रीय और समकालीन दोनों शैलियाँ शामिल थीं:
अंजलि द्विवेदी – ऐगिरी नंदिनी
अनन्या सिंह और वंशिका श्रीवास्तव – मां भवानी
सुहानी – महाकाली
रुक्मिणी निषाद – आई जगदंबे
स्नेहा साहू और आकृति तिवारी – समकालीन दुर्गा गीतों का मिश्रण
शैक्षणिक सत्र में कई विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। ओमिशा द्विवेदी ने "शक्ति का स्पेक्ट्रम: अमृत कौर ने कैसे राष्ट्र का निर्माण किया, फिर भी विस्मृत हो गईं" विषय पर व्याख्यान दिया।अन्य प्रस्तुतकर्ताओं में आयुषी द्विवेदी ने भारतीय परंपरा में महिलाओं के दार्शनिक योगदान पर चर्चा की, जबकि देवेश पांडेय ने शक्ति, प्रकृति और औपनिवेशिक भारत में महिला मताधिकार पर अपने विचार रखे।
इसके अलावा, अनुभव, वैश्नवी, अक्षरा और प्रज्ञा ने दिव्य शक्ति, शाक्त परंपरा में संगीत और महिला केंद्रित कानूनों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।सांस्कृतिक सत्र में शानदार तबला वादन और बांसुरी वादन प्रस्तुत किया गया Iअच्युत ने अपनी तबला प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
स्वर्णिम सिंह ने राग दुर्गा में अपनी बांसुरी वादन प्रस्तुति दी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए आर्यन कुशवाहा और अतुलित पांडे, कविता के लिए अर्पणा मिश्रा और मोनो एक्टिंग के लिए शशिकांत को माननीय कुलपति महोदय द्वारा सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का समापन प्रो. आंचल श्रीवास्तव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने सभी वक्ताओं, कलाकारों और दर्शकों का आभार व्यक्त किया। यह आयोजन हिंदू नव वर्ष, नवरात्रि और राम नवमी के संगीत, नृत्य, इतिहास और दर्शन के सुंदर समन्वय को दर्शाने में सफल रहा और इन शुभ अवसरों के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को उजागर किया