नेत्रपाल सिंह अठवाल का बयान: "भाजपा, डॉ. अंबेडकर के विचारों का खंडन कर रही है

Netrapal Singh Athwal's statement: "The BJP is contradicting the ideas of Dr. Ambedkar."
 
Netrapal Singh Athwal's statement: "The BJP is contradicting the ideas of Dr. Ambedkar."

हरिद्वार। अंबेडकर युवा जागृति मंच के अध्यक्ष नेत्रपाल सिंह अठवाल ने डॉ. भीमराव अंबेडकर पर गलत टिप्पणी करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में आरक्षित वर्ग के नेताओं की चुप्पी पर गहरा अफसोस व्यक्त किया है।

नेत्रपाल सिंह अठवाल ने आरोप लगाया कि एक सोची-समझी साजिश के तहत बीजेपी अंबेडकर साहब के नाम को देश के इतिहास से मिटाना चाहती है। उन्होंने कहा कि अंबेडकर केवल संविधान निर्माता ही नहीं, बल्कि देश के करोड़ों लोगों के दिलों-दिमाग में बसे हुए हैं। अठवाल ने कहा उन्होंने केवल संविधान का निर्माण नहीं किया, बल्कि देश के दलितों, पिछड़ों, वंचितों, महिलाओं और कमजोर लोगों के भविष्य का निर्माण किया है। वह संविधान निर्माता ही नहीं, भारत के भाग्य विधाता भी हैं।"

आरक्षित वर्ग के नेताओं की चुप्पी पर सवाल

अठवाल ने उन तमाम आरक्षित वर्ग के लोगों की चुप्पी पर सवाल उठाया जो बीजेपी से चुनाव लड़कर संसद में बैठे हैं या पार्टी में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि उनकी चुप्पी अंबेडकर साहब को अपमानित करने वाले लोगों को बढ़ावा देना है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी के शासनकाल में ही:

  • दिल्ली में संविधान की प्रतियाँ जलाई गईं थीं।

  • देश के गृह मंत्री द्वारा यह कहा गया था कि "देश में आजकल अंबेडकर-अंबेडकर चल रहा है, इतना नाम अगर भगवान का लेते तो स्वर्ग मिल गया होता।"

  • चुनाव के दौरान भी कई बीजेपी नेताओं ने संविधान बदलने का बयान दिया, और 400 सीटें जीतने पर पार्टी द्वारा संविधान बदलने का दंभ भरा गया।

अठवाल ने हालिया घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि अब फिर कोई अनिल मिश्रा बाबासाहेब अंबेडकर को अपमानित करने और बी.एन. राव को संविधान का निर्माता बताने का काम कर रहा है।

जातिवाद और अन्याय का मुद्दा

नेत्रपाल सिंह अठवाल ने देश में दलितों पर जुल्म की इंतहा होने और जातिवाद की जड़ों को मजबूत किए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भारत के सबसे बड़े चीफ जस्टिस को भी नहीं बख्शा जा रहा है और उन पर भी जूते से मारने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने बीजेपी से जुड़े अनुसूचित जाति के तमाम लोगों और मानवता को मानने वाले लोगों के मौन रहने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा ये सारे लोग मूक दर्शक बनकर अनुसूचित जाति और देश की बर्बादी का तमाशा देख रहे हैं। इसका मतलब है कि वे सारे लोग भी भारतीय जनता पार्टी के द्वारा चलाए जा रहे प्रायोजित एजेंडे को मौन समर्थन दे रहे हैं, जो बहुत ही शर्म की बात है।"

अठवाल ने समाज से ऐसे लोगों से सवाल पूछने का आह्वान किया, क्योंकि भारतीय संविधान ही गरीबों, दलितों, पिछड़ों, वंचितों और महिलाओं की सबसे बड़ी पूंजी है। उन्होंने चेतावनी दी कि जिस दिन भारतीय संविधान को टारगेट करने की यह प्रक्रिया सफल हो गई, उस दिन ये सारी जातियाँ पशुओं के समान जीवन जीने को मजबूर हो जाएँगी। उन्होंने सभी लोगों से समय रहते जागने और इन नेताओं से सवाल करने की अपील की।

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