अपोलोमेडिक्स लखनऊ में रोबोटिक सर्जरी से कैंसर उपचार में नई क्रांति: तेज़ रिकवरी, बिना दाग के इलाज

नई तकनीकों से उपचार – शारीरिक और मानसिक दोनों राहत
नवीनतम रोबोटिक तकनीकों की मदद से अब कैंसर सर्जरी में शरीर की मूल संरचना पर प्रभाव नहीं पड़ता। पारंपरिक सर्जरी की तुलना में न केवल घाव छोटे होते हैं बल्कि मरीजों की रिकवरी भी बेहद तेज होती है।
अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के एमडी और सीईओ डॉ. मयंक सोमानी ने कहा:हम सिर्फ रोग का इलाज नहीं कर रहे, बल्कि मरीज़ की जिंदगी की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। लखनऊ अब कैंसर सर्जरी में नए मानक स्थापित कर रहा है।"
क्षेत्र में पहली निप्पल-स्पेयरिंग ब्रेस्ट सर्जरी
डॉ. सतीश के. आनंदन, कंसल्टेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, ने 60 वर्षीय महिला मरीज़ का इलाज किया जिन्हें दोनों स्तनों में कैंसर था। पारंपरिक प्रक्रिया में स्तन व निपल हटाए जाते हैं, जिससे मरीज़ को मानसिक आघात होता है। लेकिन रोबोटिक तकनीक के माध्यम से केवल कैंसरग्रस्त ऊतक को हटाकर त्वचा और निपल को सुरक्षित रखा गया।हमने इसे 'कॉस्मेटिक के साथ क्योर' कहा – यानि इलाज ऐसा जो सुंदरता और आत्मसम्मान दोनों को बरकरार रखे,” - डॉ. सतीश के. आनंदन
पहली बार हुआ रोबोटिक नेक सर्जरी (RIA-MIND) से ओरल कैंसर उपचार
डॉ. अभिमन्यु कड़ापथ्री, कंसल्टेंट, हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, ने आरआईए-एमआईएनडी तकनीक से ओरल कैंसर सर्जरी की। उन्होंने बताया:गर्दन पर चीरे की बजाय, कॉलरबोन के नीचे से छोटे छेद कर रोबोटिक इंस्ट्रूमेंट्स के ज़रिए लिम्फ नोड्स हटाए गए। इससे न केवल शारीरिक दाग नहीं बने, बल्कि मरीज़ की रिकवरी भी तेज हुई।”
कोलोरेक्टल कैंसर में रोबोटिक और लैप्रोस्कोपिक सर्जरी
डॉ. हर्षित श्रीवास्तव, कंसल्टेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी ने दो कोलोरेक्टल कैंसर मरीज़ों का इलाज आधुनिक तकनीकों से किया। उन्होंने कहा:लैप्रोस्कोपी और रोबोटिक सर्जरी से खून का नुकसान कम हुआ, घाव छोटे रहे और मरीज़ जल्द स्वस्थ हो गए। विशेषकर जटिल पेल्विक एरिया में यह तकनीक बेहद असरदार है।”
अब लखनऊ में उपलब्ध विश्वस्तरीय कैंसर सर्जरी
अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल की ये उपलब्धियां उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों के मरीज़ों के लिए एक नई आशा बनकर सामने आई हैं। जहां पहले गंभीर सर्जरी के लिए उन्हें बड़े शहरों का सहारा लेना पड़ता था, अब वे लखनऊ में ही विश्वस्तरीय सुविधाओं और विशेषज्ञों के नेतृत्व में आधुनिक उपचार प्राप्त कर सकते हैं – वो भी बिना निशान और कम से कम दर्द के साथ।
