उत्तर प्रदेश के स्कूलों की दैनिक गतिविधि में अख़बार हुआ अनिवार्य

Newspapers have been made mandatory in the daily activities of schools in Uttar Pradesh.
 
उत्तर प्रदेश के स्कूलों की दैनिक गतिविधि में अख़बार हुआ अनिवार्य
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में दिशा-निर्देश जारी करते हुए राज्य के सभी प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों के लिए अख़बार पढ़ने को दैनिक अनिवार्य गतिविधि के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया है। इस पहल का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना, विद्यार्थियों में वाचन की आदत विकसित करना, सामान्य ज्ञान को अद्यतन रखना तथा मोबाइल और डिजिटल उपकरणों पर बढ़ती निर्भरता के कारण बढ़ रहे स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करना है।

नई व्यवस्था के अंतर्गत छात्रों को हिंदी एवं अंग्रेज़ी भाषाओं के समाचार पत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे बच्चों की भाषाई समझ सुदृढ़ होगी और वे अपनी अभिव्यक्ति को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सकेंगे। भाषा पर पकड़ मजबूत होने से विद्यार्थी वाद-विवाद, भाषण और संवादात्मक गतिविधियों में भी बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।

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इस पहल का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह भी है कि सप्ताह में एक दिन किसी संपादकीय लेख पर समूह चर्चा कराई जाएगी। इससे छात्र विषय की गहराई को समझते हुए अपने विचार साझा करेंगे, दूसरों की बात सुनेंगे और विश्लेषणात्मक सोच विकसित करेंगे। यह प्रक्रिया न केवल उनकी चिंतन क्षमता को बढ़ाएगी बल्कि उनमें आत्मविश्वास और तार्किक दृष्टिकोण का भी विकास करेगी।

वास्तव में, समय के साथ कदमताल करते हुए यह प्रयास बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने की दिशा में एक सार्थक पहल है। यह निर्विवाद सत्य है कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं होती, बल्कि अनुकरणीय आचरण और व्यवहारिक अनुभवों से अधिक प्रभावी रूप से ग्रहण की जाती है। चाहे विद्यालय प्राथमिक स्तर के हों या माध्यमिक, शिक्षा के साथ-साथ पाठ्य सहगामी गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर बल दिया जाना आवश्यक है।

विद्यालयों में नियमित रूप से आयोजित होने वाली प्रार्थना सभा बच्चों को समय का महत्व सिखाती है। इसी मंच से प्रस्तुत आदर्श कथाएं नैतिक मूल्यों को सुदृढ़ करती हैं, जबकि समाचार पत्रों के मुख्य शीर्षक बच्चों को अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय घटनाक्रमों से जोड़ते हैं।

दुर्भाग्यवश, पिछले कुछ दशकों में शिक्षा व्यवस्था में आए परिवर्तनों के चलते ऐसी महत्वपूर्ण गतिविधियां धीरे-धीरे हाशिए पर चली गईं। सरकारी और गैर-सरकारी विद्यालयों में प्रार्थना सभा के प्रति उदासीनता बढ़ी, वाचनालयों से समाचार पत्रों के स्टैंड गायब होते गए और समसामयिक विषयों पर संवाद लगभग समाप्त हो गया।

शायद इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यदि इस आदेश को प्रभावी रूप से लागू किया जाता है, तो यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय सिद्ध हो सकती है। इससे बच्चों में पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति को बल मिलेगा, भाषाई दक्षता विकसित होगी और शिक्षा अधिक गुणवत्तापूर्ण बनेगी।

यद्यपि इस नियम में कुछ भी नया नहीं है—क्योंकि प्राथमिक विद्यालयों की बाल सभाओं में ऐसी परंपराएं पहले से मौजूद रही हैं—फिर भी शिक्षा को नई ऊर्जा और दिशा देने की दृष्टि से इसे एक सकारात्मक और सराहनीय कदम माना जाना चाहिए।

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