5 नवंबर विशेष : महान संत, समाज सुधारक और सिख धर्म के प्रवर्तक गुरु नानक देव जी

5 November Special: Guru Nanak Dev Ji, the great saint, social reformer and founder of Sikhism
 
5 November Special: Guru Nanak Dev Ji, the great saint, social reformer and founder of Sikhism
हरदोई। शिव सत्संग मंडल के राष्ट्रीय समन्वयक अम्बरीष कुमार सक्सेना ने बताया कि भारत की महान संत परंपरा में गुरु नानक देव जी का स्थान सर्वोपरि है। वे सिख धर्म के संस्थापक, अद्भुत समाज सुधारक, सच्चे आध्यात्मिक द्रष्टा और मानवता के उपासक थे। उनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा संवत् 1526 में तलवंडी (वर्तमान ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। इसी तिथि पर प्रत्येक वर्ष पूरी दुनिया में गुरु नानक जयंती, गुरुपर्व अथवा प्रकाश पर्व मनाया जाता है।
गुरु नानक देव जी बचपन से ही विलक्षण समझ, करुणा और आध्यात्मिक चेतना के धनी थे। उन्होंने समाज में फैली ऊँच-नीच, जात-पात, रूढ़ियों, अंधविश्वास और भेदभाव का विरोध किया। उनका मूल संदेश था — “एक ओंकार सतनाम” अर्थात् परमात्मा एक है और वह सबके भीतर विद्यमान है।

अपने जीवन काल में गुरु नानक देव जी ने अनेक देशों की यात्राएँ कीं जिन्हें उदासियाँ कहा जाता है। इन यात्राओं के माध्यम से उन्होंने प्रेम, समानता, सत्य, करुणा और शांति का संदेश देश-दुनिया तक पहुँचाया। उन्होंने मेहनत, ईमानदारी और सत्य से जीवन जीने पर बल दिया।

गुरु नानक देव जी के तीन प्रमुख उपदेश थे :
नाम जपो — ईश्वर का स्मरण करो
किरत करो — ईमानदारी से परिश्रम करो
वंड छको — अपनी कमाई का हिस्सा जरूरतमंदों के साथ बाँटो
उनकी पवित्र वाणी गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित है, जो सिख पंथ का सर्वोच्च ग्रंथ है।
गुरु नानक जयंती के उपलक्ष्य में देश-विदेश के गुरुद्वारों में सजावट, नगर कीर्तन, गुरु वाणी का पाठ तथा लंगर का आयोजन होता है। यह दिन सेवा, प्रेम, भाईचारा, एकता और सद्भावना का संदेश देने वाला पर्व है।
गुरु नानक देव जी ने कहा — “न को बैरी, नहीं बेगाना, सगल संग हम को बन आई।”
अर्थात् कोई भी मनुष्य हमारे लिए पराया नहीं  पूरी मानव जाति एक ही परिवार है।
गुरु नानक देव जी की जयंती हमें यह प्रेरणा देती है कि हम उनके बताए मार्ग पर चलें और समाज में प्रेम, समानता और मानवता की भावना को और अधिक प्रबल बनाने का संकल्प लें।

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