अब बारी घर में बैठे गद्दारों से निपटने की

Now it is time to deal with the traitors sitting at home
 
अब बारी घर में बैठे गद्दारों से निपटने की

  (इंजी.अतिवीर जैन'पराग'-विभूति फीचर्स)

          पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की प्रतिक्रिया संयमित और नियमानुकूल रही परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कोई भी देश इसका विरोध नहीं कर पाया। ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री के द्वारा  पाकिस्तान और उसके समर्थक देशों को दी गई चेतावनी  ने बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के विरुद्ध कार्रवाई में भारत किसी भी तीसरे देश का दखल बर्दाश्त नहीं करेगा, आत्मरक्षा में जो भी जरूरी होगा भारत वह कदम उठाएगा और ऑपरेशन सिंदूर अभी भी खत्म नहीं हुआ है। 

Now it is time to deal with the traitors sitting at home
            जबसे भाजपा सत्ता में आई है तब से ही मोदी सरकार ने पाकिस्तान को साफ कर दिया था कि जब तक आतंकवाद बंद नहीं होगा तब तक उससे कोई वार्ता नहीं की जाएगी और आतंकवाद के प्रति उनकी जीरो टॉलरेंस की नीति रहेगी।। हालांकि बीच बीच में पाकिस्तान परस्त कश्मीरी नेताओं के द्वारा पाकिस्तान से वार्ता की बात कही जाती रही।

पाकिस्तानी आतंकवाद की प्रतिक्रिया में भारत द्वारा 2016 और 2019 में की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी पाकिस्तान बाज नहीं आया और इसी क्रम में उसने  22 अप्रैल को पहलगाम में निहत्थे, निर्दोषों का खून बहाया। हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर नाम से अभियान चलाकर पाकिस्तान के नौ आतंकी कैंपों को उड़ा दिया। जिसमें उसके कुछ बड़े आतंकवादी भी मारे गए,जिन्हें पाकिस्तान ने पूरे सैनिक सम्मान के साथ जनाजा दिया। जिससे पाकिस्तान की असलियत पूरी दुनिया के सामने आ गई।

इस सबके बावजूद आईएमएफ ने पाकिस्तान को 1.4 अरब डॉलर का लोन दे दिया l इसका भारत ने  कड़ा विरोध किया था। पाकिस्तान इस राशि का उपयोग आतंकियों को पालने पोसने में करेगा। आईएमएफ द्वारा पाकिस्तान को लोन दिए जाने से यह साफ हो गया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका, चीन और अन्य देश अपनी-अपनी कूटनीतिक और राजनीतिक गोटिया सेंकने में लगे हुए हैं। उन्हें आतंकवाद और आतंकवादियों के खून खराबे से कोई फर्क नहीं पड़ता।


      सबसे बड़ी चोट जो पाकिस्तान को लगी वह सिंधु जल संधि पर रोक लगाना हैं। प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि अब भारत आतंकवादी हमलों का अपनी शर्तों पर करारा जवाब देगा,और पाकिस्तान से वार्ता सिर्फ कश्मीर पर होगी l जिसमें किसी भी तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं होगी। यह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प को एक बड़ा संदेश है।

प्रधानमंत्री जी ने स्पष्ट कहा है की  टेरर, ट्रेड और टॉक एक साथ नहीं चल सकते l ट्रंप ने युद्ध विराम को जबरदस्ती अमेरिका से व्यापार से भी जोड़ दिया जबकि भारत ने पहले ही पाकिस्तान के साथ सभी तरह के व्यापार को तत्काल प्रभाव से रोक दिया था। अटारी बाघा सीमा बंद कर दी थी और सभी वीजा रद्द कर दिए थे। भारत को पाकिस्तान पर यह दबाव लगातार बना कर रखना पड़ेगा। उसके बावजूद लगता नहीं है कि पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज आएगा। यह तो तय है कि पाकिस्तान पलट कर कश्मीर के अंदर दोबारा आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देगा और उसके परिणाम में भारत को फिर से कठोर सैनिक कार्रवाई करनी पड़ेगी ।

हाल ही में शोपियां में तीन आतंकवादियों का मारा जाना और बड़ी मात्रा में हथियार बरामद होना इसका ताजा उदाहरण है । भारत को सीमा पार करने से पहले कश्मीर में बैठे हुए घरेलू गद्दारों को भी पकड़ना होगा। भारत को एक ऐसी सैनिक नीति बना देनी चाहिए घरेलू आतंकियों के मददगार गद्दारों को पकड़कर, उन्हें उन्हीं से मिले हथियारों से तुरंत वहीं पर मौत के घाट उतार दे,तब ही आतंकवाद पर लगाम लगेगी। जब तक भीतरघाती  गद्दारों की सफाई नहीं होगी आतंकवाद और आतंकवादी कश्मीर में शरण लेते   रहेंगे और खून खराबा करते रहेंगे l (विभूति फीचर्स )(लेखक रक्षा मंत्रालय के पूर्व उपनिदेशक हैं।)

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