श्रीमद भगवत गीता ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिवस में गूंजा हरिनाम, साउथसिटी हुआ भक्तिमय

लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)। इस्कॉन मंदिर अध्यक्ष एवं वक्ता श्रीमान अपरिमेय श्याम प्रभु जी ने सत्संग मे बताया कि अधिकतर संसार मे हम अपनी पहचान अपने नाम, ख्याति एवं अपने शरीर से करते हैं, लेकिन वास्तव में हम भगवान के अंश हैं। हम जीवात्मा हैं और हम जितना सुख लेना चाह रहे हैं, वह शरीर के स्तर पर पा लेना चाह रहे हैं।
शरीर से मिलने वाला सुख क्षणिक है स्थाई सुख नही है। स्थायी सुख ऐसा सुख है, जो निरन्तर बढ़ता जाए उसे आनंद बोलते हैं। आनंद को प्राप्त करने के लिये हमे आध्यात्मिक जीवन को गंभीरता से लेना पड़ेगा फिर निश्चित रूप से हम आनंद को प्राप्त कर सकते हैं और आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति के लिये अध्यात्मिक ज्ञान का होना अति आवश्यक है। बिना आध्यात्मिक ज्ञान के कोई भी व्यक्ति आध्यात्मिक जीवन को सही तरीके से नही अपना सकता है l
वैवाहिक जीवन के मूल उद्देश्य पर चर्चा करते हुये प्रभुजी ने बताया कि वैवाहिक जीवन का मूल उद्देश्य हम सभी को कृष्ण भक्ति से जुड़ना, भगवत सेवा करना एवं प्रचार में सहयोग करना होना चाहिए तभी वैवाहिक जीवन का मूल उद्देश्य प्राप्त किया जा सकता है और अपने घर को बैकुंठ धाम बनाकर जीवन को सुखी बनाने के रहस्य को समझा जा सकता है l
सामान्य तौर पर देखा जाता है कि संसार मे बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो आध्यात्मिक जीवन को अपनाने में वास्तव में आध्यात्मिक ज्ञान को गंभीरता से नहीं लेते और कोई भी ज्ञान तब एक फलीभूत नहीं होता जब तक क्रमबद्ध तरीके से न लिया जाए तो वह ज्ञान हमारे जीवन पर प्रभाव नहीं डालता। अतः वह ज्ञान हमारे हृदय में उतर नहीं पाता। इसी प्रकार से आध्यात्मिक जीवन को क्रमबद्ध तरीके से लेना चाहिए और इसी परम्परा में दो दिवसीय सेमिनार रखा गया। इसके बाद 64 दिनों की भक्ति वृक्ष कक्षाओं का आयोजन होगा, जिसके अंतर्गत भक्तों को उचित तरीके से आध्यात्मिक शिक्षा दी जाएगी।
श्रीमद भगवत गीता को सरलता से समझने के लिए श्रीमान अपरिमेय श्याम प्रभुजी द्वारा लिखित पुस्तक "सनातन भक्ति का आधार" भक्तों को वितरित की गयी l
श्रीमद भगवत गीता सेमीनार में साउथसिटी एवं आस-पास से आये गणमान्य भक्त उपस्थित रहे, सभी भक्तों ने श्रीकृष्ण भगवान के भजन, कीर्तन, नृत्य तथा भोजन प्रसाद का आनंद उठाया।