सीएम योगी के निर्देश पर एफएसडीए का बड़ा एक्शन, कोडीनयुक्त कफ सिरप की पैरेलल सप्लाई चेन ध्वस्त

• 52 जिलों में सघन जांच, 161 फर्मों पर एफआईआर

• 36 जनपदों में अवैध डायवर्जन का खुलासा

• 700 करोड़ से अधिक की संदिग्ध सप्लाई जांच के दायरे में

• एनडीपीएस व बीएनएस के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई

 
सीएम योगी के निर्देश पर एफएसडीए का बड़ा एक्शन, कोडीनयुक्त कफ सिरप की पैरेलल सप्लाई चेन ध्वस्त

लखनऊ,  दिसंबर:  योगी सरकार ने पिछले पौने नौ वर्षों में अवैध नशे के खिलाफ लगातार और निर्णायक कार्रवाई करते हुए नशे के कारोबारियों की कमर तोड़ दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अवैध मादक पदार्थों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में एक और बड़ी सफलता मिली है।

इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने कोडीनयुक्त कफ सिरप एवं एनडीपीएस श्रेणी की औषधियों के अवैध भंडारण, क्रय-विक्रय, वितरण और डायवर्जन के विरुद्ध तीन माह पूर्व एक विशेष अभियान शुरू किया।

कई राज्यों में जांच, सुपर स्टॉकिस्ट–होलसेलर गठजोड़ के सबूत जुटाए

देश का अब तक का सबसे बड़ा क्रैकडाउन शुरू करने से पहले एफएसडीए ने गहन आंतरिक जांच की। इस दौरान झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में विवेचना कर यूपी के सुपर स्टॉकिस्ट और होलसेलरों के साथ उनके कारोबारी संबंधों के ठोस प्रमाण जुटाए गए।

इसके बाद प्रदेशव्यापी कार्रवाई शुरू की गई, जिसमें कोडीनयुक्त कफ सिरप के अवैध डायवर्जन की कई परतें खुलती चली गईं। एफएसडीए की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस और एसटीएफ ने नशे के सौदागरों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की। मुख्यमंत्री के निर्देश पर कफ सिरप के नशे के रूप में दुरुपयोग के मामलों में एनडीपीएस एक्ट और बीएनएस के तहत मुकदमे दर्ज किए गए।

हाईकोर्ट ने 22 मामलों में आरोपियों को नहीं दी राहत

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एनडीपीएस एक्ट के तहत की गई कार्रवाई को सही ठहराते हुए 22 मामलों में आरोपियों की रिट याचिकाएं खारिज कर दीं। साथ ही, कोर्ट ने इन मामलों में आरोपियों द्वारा दायर गिरफ्तारी पर रोक (अरेस्ट स्टे) की याचिकाएं भी निरस्त कर दीं।

52 जनपदों में 332 से अधिक थोक औषधि प्रतिष्ठानों की जांच

पिछले तीन महीनों में एफएसडीए ने प्रदेश के 52 जनपदों में 332 से अधिक थोक औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों की जांच की। जांच के दौरान मिले अभिलेखीय और भौतिक साक्ष्यों के आधार पर 36 जनपदों की 161 फर्मों/संचालकों के खिलाफ बीएनएस और एनडीपीएस एक्ट की सुसंगत धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई गई।

इसके साथ ही जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर गैंगस्टर एक्ट के तहत अवैध नशे से अर्जित संपत्तियों की कुर्की की कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए गए। यह कार्रवाई देश में कोडीनयुक्त कफ सिरप की अवैध तस्करी के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा क्रैकडाउन मानी जा रही है।

गहन जांच में पूरा नेक्सस आया सामने

एफएसडीए आयुक्त के निर्देश पर जनपद स्तर पर कई टीमें गठित की गईं, जिनकी निगरानी के लिए मुख्यालय पर एक विशेष मॉनिटरिंग टीम बनाई गई। टीमों ने विभिन्न राज्यों में जाकर गोपनीय तरीके से साक्ष्य एकत्र किए।

केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) से कोडीन फॉस्फेट के कोटा और उठान से संबंधित विवरण प्राप्त किए गए। इसके बाद हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड में स्थित कफ सिरप निर्माण इकाइयों से उत्पादन व वितरण के रिकॉर्ड जुटाए गए।

इसके पश्चात रांची, दिल्ली और लखनऊ में क्रय-विक्रय अभिलेखों की जांच की गई। जांच में सामने आया कि अधिकांश होलसेलरों के पास स्टॉक प्राप्ति का कोई ठोस सत्यापन नहीं था और रिटेल मेडिकल स्टोर्स के नाम पर बिक्री बिल भी उपलब्ध नहीं थे। इसके बजाय दिल्ली और रांची के सुपर स्टॉकिस्ट व उनसे जुड़े कुछ चिन्हित होलसेलरों के नाम पर बिलिंग कर एक समानांतर सप्लाई चेन खड़ी की गई थी।

2024-25 में चिकित्सीय जरूरत से कई गुना अधिक सप्लाई

जांच में कई फर्में विक्रय बिल प्रस्तुत करने में विफल रहीं, जबकि कुछ ने केवल कागजी लेन-देन दिखाया। प्रस्तुत दस्तावेजों में भी किसी भी फुटकर औषधि प्रतिष्ठान को वास्तविक आपूर्ति का सत्यापन नहीं हो सका।

वर्ष 2024-25 में प्रदेश में कोडीनयुक्त कफ सिरप की आपूर्ति वास्तविक चिकित्सीय आवश्यकता से कई गुना अधिक पाई गई। जांच में:

  • एबॉट हेल्थकेयर द्वारा निर्मित फेन्सिडिल की 2.23 करोड़ से अधिक बोतलें,

  • लैबोरेट फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित एस्कॉफ की 73 लाख से अधिक बोतलें,

  • तथा अन्य कंपनियों की लगभग 25 लाख बोतलों की सप्लाई दर्ज मिली,

जिनका वैध चिकित्सीय उपयोग प्रमाणित नहीं हो सका।

अब तक 85 आरोपी गिरफ्तार, SIT जांच जारी

एफएसडीए ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री और पुलिस को सौंपी, जिसके आधार पर 79 मुकदमे दर्ज किए गए। अब तक 85 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी है और आगे की कार्रवाई जारी है। मामले में गठित विशेष जांच दल (SIT) भी गहन जांच कर रहा है और संभावना है कि अगले माह अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेगा।

 लाइसेंसिंग प्रणाली को सख्त करने का प्रस्ताव

मुख्यमंत्री के निर्देश पर एफएसडीए मुख्यालय ने थोक औषधि विक्रय लाइसेंसिंग प्रणाली को और अधिक सख्त व पारदर्शी बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। प्रस्ताव में शामिल हैं—

  • थोक प्रतिष्ठानों की जियो-टैगिंग,

  • भंडारण क्षमता का सत्यापन,

  • प्रतिष्ठानों की फोटोग्राफी,

  • तकनीकी कर्मियों के अनुभव प्रमाण पत्र का ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा सत्यापन।

साथ ही, कोडीनयुक्त कफ सिरप के निर्माण, बल्क सप्लाई, वितरण और निगरानी के लिए भारत सरकार से आवश्यक अधिसूचना व दिशा-निर्देश जारी करने का भी प्रस्ताव भेजा जा रहा है।

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