"एक राष्ट्र, एक चुनाव" भारत की आर्थिक, सामाजिक प्रगति में एक बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन: दिनेश प्रताप सिंह

कहा कि 2014 में प्रबुद्ध वर्ग ने देश में एक सशक्त नेता के विचारों का समर्थन किया। प्रबुद्ध वर्ग का वह निर्णय दिखाता है कि सशक्त निर्णय और सशक्त नेतृत्व मिल जाए तो समाज और देश में अभूतपूर्व परिवर्तन तय है, विकास की अविरल गंगा का बहना तय है।
कहा कि एक साथ चुनाव कराने की अवधारणा भारत में नयी नहीं है।
संविधान को अंगीकार किए जाने के बाद, 1951 से 1967 तक लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित किए गए थे। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के पहले आम चुनाव 1951-52 में एक साथ आयोजित किए गए थे। यह परंपरा इसके बाद 1957, 1962 और 1967 के तीन आम चुनावों के लिए भी जारी रही। भारत में शासन को सुव्यवस्थित करने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को उसके अनुकूल बनाने करने की आकांक्षाओं को देखते हुए "एक राष्ट्र, एक चुनाव" की अवधारणा एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में उभरी है।
जिलाध्यक्ष अजीत सिंह बब्बन ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव भारत की नई पीढ़ी का उज्ज्वल भविष्य तय करेगी। कार्यक्रम में निवर्तमान जिलाध्यक्ष सौरभ मिश्र ने कहा कि बौद्धिक वर्ग का यह समागम देश में सकारात्मक विचारों को आगे बढ़ायेगा।
कार्यक्रम में पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीकृष्ण शास्त्री, उपाध्यक्ष कर्मवीर सिंह, जिला महामंत्री सत्येंद्र कुमार सिंह राजपूत, सह संयोजक अविनाश मिश्रा, आर आर इंटर कॉलेज प्रबंधक कीर्ति सिंह, जिला उपाध्यक्ष संदीप सिंह, भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के जिला संयोजक नवनीत गुप्ता, जिला मीडिया प्रभारी गांगेश पाठक, अनुराग श्रीवास्तव, महिला मोर्चा अध्यक्ष अलका गुप्ता, एनजीओ संयोजक मुकुल सिंह, अनुराधा मिश्रा आदि उपस्थित रहे।