"एक राष्ट्र एक चुनाव" राष्ट्रहित में उठाया गया आवश्यक और दूरदर्शी कदम है: नितिन अग्रवाल

कहा कि बार-बार चुनाव का आयोजन राजनीतिक भ्रष्टाचार का श्रोत बनता हैं क्योंकि प्रत्येक चुनाव के लिये बड़ी मात्रा में धन जुटाने की आवश्यकता होती है। एक साथ चुनाव कराने से राजनीतिक दलों के चुनाव खर्च में व्यापक कमी आ सकती है, जिससे बार-बार धन जुटाने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। इससे आम लोगों और व्यापारिक समुदाय पर बार-बार चुनावी चंदा देने का दबाव भी कम हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1951-52 में जब लोकसभा के प्रथम चुनाव आयोजित हुए तो इसमें 53 राजनीतिक दलों और लगभग 1874 प्रत्याशियों ने भाग लिया तथा चुनाव का व्यय मात्र 11 करोड़ रुपए रहा। जबकि एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अनुसार 2019 के आम चुनाव में लगभग 60,000 करोड़ रुपए खर्च हुए। इस खर्च में पंचायती, नगर पालिका, सहकारी समिति आदि के चुनाव खर्च शामिल नहीं है। आर्थिक दृष्टिकोण से चिंतनीय विषय है, यदि एक बार में सारे चुनाव हो जाए तो समय और पैसा दोनों देश और समाज के उत्थान में सदुपयोग हो सकेगा।
बुद्धिजीवी वर्ग से डॉ जे के वर्मा, पूर्व जिला अध्यक्ष रामौतार शुक्ल एवं व्यापारी नेता कमलेश गुप्ता ने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन आईटी संयोजक सौरभ सिंह गौर ने किया।इस अवसर पर नगर अध्यक्ष मुदित बाजपेई, डॉ सी पी कटियार, डॉ अजय सिंह, डॉ नवीन सक्सेना, डॉ ए पी सिंह, डॉ अमरजीत आजमानी, डॉ तिरुपति आनंद, रीना गुप्ता, विनिमा सिंह, डॉ सौरभ दयाल, अनुराधा मिश्र, अविनाश मिश्रा, अंकित पांडे, शुभम् लोहिया, पंकज सिंह, रानू गुप्ता, मुनि मिश्र, आशीष शुक्ला, अनुराग श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।