मन से भी किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए: रमेश भइया
सबसे बड़ा गुण है_नम्रता। सेवक में नम्रता चाहिए। किसी के हृदय को सेवक से कभी दुःख नहीं पहुंचना चाहिए।प्रेम से बोलना चाहिए,प्रेम से व्यवहार करना चाहिए। वाणी में शहद होना चाहिए।दूसरा गुण कार्यकर्ता का सतत काम करते हुए हार नहीं मानना चाहिए। सतत यानी किस तरह?जैसे गंगा सतत बहती है,सूर्य रोज निकलता हैं,वैसे ही सतत काम करना चाहिए।
तीसरा गुण कार्यकर्ता को सभी के प्रति आदर रखना चाहिए। किसी की भी निंदा नहीं करनी चाहिए। श्रद्धा रखनी चाहिए कि जो आज अपने काम में सहयोग नहीं देता ,वह कल देनेवाला है। आज मनुशासनम वर्ग में गौतम भाई ने बताया कि भूदान के दिनों में बाबा कहते ही थे कि जिसने दिया उसका भी भला और जिसने नहीं दिया उसका भी भला, क्योंकि कल वह भी देनेवाला है। जरा समय उसे सोचने समझने दो। हमें तो उसका उपकार मानना चाहिए कि वह अपने पास आपको आने का मौका निरंतर दे रहा हैं।उसके पास जाकर हमें साहित्य पहुंचाना चाहिए । वह उसे पढ़ेगा,और उसका उस पर असर जरूर होगा।फिर वह हमारे पास स्वयं आयेगा।
इसलिए सबके लिए आदर रहना चाहिए।मन से भी किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए। इस जमाने में एक नए प्रकार का जातिभेद निर्माण हुआ है जो पहले जमाने के जातिभेदों से भिन्न है। क्योंकि यह जातिभेद उन जातिभेदों से बढ़कर जातिभेद पैदा हुआ है। वह है पार्टीभेद,पक्षभेद। इसलिए सेवक में यह भी एक योग्यता चाहिए कि वह किसी पार्टी में नहीं होगा,क्योंकि वह तो सबको अपना मित्र मानेगा।
हरि और हर में क्या फरक है? कुछ नहीं। सेवक को सबकी सेवा समानभाव से ही करनी है। इसवास्ते सेवक को सब पार्टियों से अलग ही रहना होगा। यह चौथा गुण सेवक में अत्यंत आवश्यक ही है। पांचवां गुण है- अपनी आत्मा में विश्वास। यह सबसे बड़ी बात है। अपने प्रति कभी अविश्वास नहीं होना चाहिए। भगवान मेरे ऊपर ,नीचे,बाएं,दाएं, अंदर,बाहर,_ सब जगह ऐसा विश्वास होना चाहिए। अंत में बाबा विनोबा ने कहा कि इतने गुण हों तो आप कार्यकर्ता बन सकते है।हमारा विश्वास है कि ऐसे सेवक जरूर मिलेंगे।जब ऐसे सेवक काम में लग जाएंगे,तब काम खूब बढ़ेगा अर्थात फैलेगा।