‘ऑपरेशन सिंदूर’: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की निर्णायक शुरुआत

(विशेष लेख: सुरेश पचौरी | विनायक फीचर्स) प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले ही वर्ष में देश ने एक ऐतिहासिक और निर्णायक सैन्य अभियान—‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता को देखा। इस ऑपरेशन का श्रेय पूरी तरह भारतीय सेना के अद्वितीय शौर्य, रणनीतिक कौशल और समर्पण को जाता है।
एक निर्णायक सैन्य अभियान
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, भारत सरकार ने तत्परता के साथ उच्च स्तरीय बैठकों की श्रृंखला शुरू की, जिनमें प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। इसके फलस्वरूप, 7-8 मई की रात को भारत ने पाकिस्तान की सीमा में 100 किलोमीटर अंदर घुसकर आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमला किया।
इस मिशन में राफेल जेट, हैमर बम और स्कैलप मिसाइलों का उपयोग कर महज 22 मिनट में आतंकवादियों के नौ ठिकाने, प्रशिक्षण शिविर और सैन्य संपत्तियाँ ध्वस्त कर दी गईं। यह इतिहास में पहली बार था जब किसी परमाणु संपन्न राष्ट्र के एयरबेस पर इतनी सफलता के साथ हमला किया गया।
साफ संदेश: आतंकवाद बर्दाश्त नहीं
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तुरंत बाद पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए। 10 मई को पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना से युद्धविराम की अपील की, जिसे भारत ने सामरिक सफलता के बाद मान लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दिए गए बयान कि उन्होंने किसी प्रकार की मध्यस्थता नहीं की, इस विषय पर स्थिति को और स्पष्ट करता है। भारत के सीडीएस श्री अनिल चौहान ने इस अभियान को भारत की "एकतरफा विजय" बताया है।
रणनीति, इच्छाशक्ति और राष्ट्रीय एकजुटता
यह ऑपरेशन चार स्तंभों पर खड़ा था:
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राजनीतिक इच्छाशक्ति
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सटीक खुफिया जानकारी
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भारतीय सेना की पेशेवर क्षमता
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राष्ट्रीय एकता और समर्थन
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में साफ कहा कि भारत अब आतंकवाद को किसी भी रूप में सहन नहीं करेगा, चाहे वह सीमापार प्रॉक्सी वॉर हो या परमाणु ब्लैकमेल।
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल और वैश्विक रणनीति
भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर की पारदर्शिता और अंतरराष्ट्रीय समर्थन के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को विभिन्न देशों में भेजा। इस टीम में शशि थरूर, सलमान खुर्शीद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, सुप्रिया सुले, प्रियंका चतुर्वेदी जैसे कई वरिष्ठ नेता शामिल थे, जिन्होंने विदेशों में भारत का पक्ष मजबूती से रखा।
दुख की बात है कि इसी प्रतिनिधिमंडल पर कुछ विपक्षी नेता प्रश्नचिह्न उठा रहे हैं, जबकि अतीत में 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने नेता प्रतिपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी को प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपा था, जिसने भारत की कूटनीतिक जीत सुनिश्चित की थी।
सुरक्षा के मुद्दे पर एकजुटता आवश्यक
यह समय देश की रक्षा और आतंरिक सुरक्षा को सर्वोपरि मानने का है। संसद सत्र बुलाने की मांग जैसे विषयों को ऐसे समय में उठाना अनुचित है क्योंकि यह रणनीतिक और संवेदनशील मामलों को सार्वजनिक बहस की ओर मोड़ सकता है।
भारत की रक्षा क्षमताएं और आत्मनिर्भरता
आज भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर है। तेजस विमान, ब्रह्मोस, अग्नि और आकाश मिसाइलें देश की तकनीकी श्रेष्ठता को दर्शाती हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 24,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।
भारत का संकल्प अडिग
ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि यह भारत के आत्मसम्मान, आत्मरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ अडिग संकल्प का प्रतीक बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि अब हर हमले का जवाब निर्णायक होगा।