11 दिसंबर को अपराह्न 2:30 बजे डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल का नेत्र विज्ञान विभाग आयोजित करेगा सीएमई कार्यक्रम
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।भारत में, सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं में से एक अंधापन है। इसका व्यक्ति के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों पर भी सामाजिक और आर्थिक प्रभाव पड़ता है। अंधापन रोजगार के अवसरों को कम करके, या चिकित्सा व्यय करके गरीबी को बढ़ाता है। राष्ट्रीय अंधता नियंत्रण कार्यक्रम के परिणामस्वरूप अंधता की व्यापकता घटकर 0.36% हो गई है।
हालाँकि, चूँकि भारत की आबादी 1 अरब से अधिक है, अंधापन एक बड़ी सामाजिक चिंता बनी हुई है। अंधेपन के अधिकांश बोझ से बचा जा सकता है। अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर 441 मिलियन दृष्टिबाधित लोग हैं।
भारत में 137 मिलियन से अधिक लोग ऐसे हैं जिनकी दृष्टि निकट दृष्टिबाधित है और 79 मिलियन लोग दृष्टिबाधित हैं। कम दृष्टि तब होती है जब किसी व्यक्ति की दृष्टि को ठीक नहीं किया जा सकता है। यह किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है। कम दृष्टि वाले लोग पूरी तरह से अंधे नहीं हो सकते हैं, इसलिए उन्हें बची हुई दृष्टि का सर्वोत्तम उपयोग करने में मदद करना महत्वपूर्ण है।
भारत में कम दृष्टि के मुख्य कारण ग्लूकोमा, उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन और वयस्कों में मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी हैं। बच्चों में कॉर्टिकल दृष्टि हानि, एम्ब्लियोपिया, समय से पहले रेटिनोपैथी और वंशानुगत रेटिनल विकार मुख्य हैं। इस समस्या पर जागरूकता लाने के लिए डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल का नेत्र विज्ञान विभाग निदेशक डॉ. सी. एम. सिंह के संरक्षण में एक सीएमई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। सीएमई इन रोगियों के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करेगा ताकि वे एक उत्पादक जीवन जी सकें।
ज़िंदगी एएम आई हॉस्पिटल की निदेशक डॉ. आरती एल्हेंस इस बात पर प्रकाश डालेंगी कि दृष्टिबाधित बच्चे से कैसे संपर्क किया जाए और नेत्र विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. इंदु अहमद ऐसे रोगियों के लिए उपलब्ध विभिन्न उपचार विकल्पों को साझा करेंगी। इसके बाद विभिन्न कम दृष्टि सहायता का लाइव प्रदर्शन किया जाएगा।