UNSC की अध्यक्षता पाने के बाद पाकिस्तान को भारत ने किया बेनकाब, जानिए पूरा मामला

 
Pakistan Becomes UNSC President! India Exposes It in UN, Says 'We Will Unmask You!'"

आज हम एक ऐसे मुद्दे पर बात करेंगे, जो इन दिनों पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। 1 जुलाई 2025 को पाकिस्तान Temporary President of the United Nations Security Council बना है। लेकिन ठीक एक दिन पहले, भारत ने UN में पाकिस्तान को जमकर लताड़ा और कहा, "हम तुम्हें बेनकाब करेंगे!" इतना ही नहीं, पहले जब भारत को UNSC की स्थायी सीट मिलने की बात आई थी, तो चीन ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल करके इसे रोक दिया था। आखिर क्या है ये पूरा मामला? चलिए, detail से समझते हैं। 

सबसे पहले, समझते हैं कि UNSC की temporary chairmanship क्या होती है। united nations security council (UNSC) में 15 सदस्य देश होते हैं—5 Permanent और 10 temporary। temporary सदस्यों का कार्यकाल 2 साल का होता है, और हर महीने UNSC की अध्यक्षता इन देशों को बारी-बारी से मिलती है, जो  English alphabet के आधार पर तय होती है। जुलाई 2025 के लिए ये जिम्मेदारी पाकिस्तान को मिली है, जो 2025-26 के लिए UNSC का temporary सदस्य है।

पाकिस्तान के Foreign Minister इशाक दार ने X पर पोस्ट करके इसे अपनी कूटनीतिक जीत बताया। लेकिन इस खबर ने भारत में हलचल मचा दी, क्योंकि ठीक एक दिन पहले, भारत ने UN में पाकिस्तान के आतंकवाद से जुड़े रिकॉर्ड को दुनिया के सामने रखा। भारत ने साफ कहा कि वो पाकिस्तान को इस मंच का दुरुपयोग नहीं करने देगा।

30 जून 2025 को, भारत ने UN मुख्यालय के बाहर एक exhibition लगाई, जिसका नाम था "The Human Cost of Terrorism"। इस exhibition में भारत ने पाकिस्तान के आतंकवाद को sponsored करने की पूरी कहानी उजागर की। खास तौर पर, 22 अप्रैल 2025 को हुए पाहलगाम आतंकी हमले का जिक्र किया गया, जिसमें 26 लोग, ज्यादातर हिंदू tourist , मारे गए थे। भारत ने दावा किया कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था।

भारत के permanent representative, राजदूत परवथानेनी हरीश ने UNSC में कहा, "पाकिस्तान इस मंच का दुरुपयोग अपनी नापाक हरकतों को छिपाने के लिए कर रहा है।" उन्होंने 7 मई 2025 को भारत के "ऑपरेशन सिंदूर" का भी जिक्र किया, जिसमें भारत ने 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। हैरानी की बात ये कि इन आतंकियों को पाकिस्तान में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।

भारत ने पाकिस्तान को "आतंकवाद का गढ़" करार देते हुए कहा कि वो न सिर्फ भारत में, बल्कि 9/11 जैसे वैश्विक आतंकी हमलों में भी शामिल रहा है, जहां उसने ओसामा बिन लादेन को पनाह दी थी। भारत ने ये भी याद दिलाया कि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने UNSC के पाकिस्तान को काउंटर-टेररिज्म कमेटी का उपाध्यक्ष बनाने पर सवाल उठाए थे, क्योंकि ओसामा और खालिद शेख मोहम्मद जैसे आतंकी पाकिस्तान में ही पाए गए थे।

भारत लंबे समय से UNSC की स्थायी सदस्यता की मांग कर रहा है। लेकिन हर बार उसका रास्ता रोकने में चीन की वीटो पावर ने अहम भूमिका निभाई है। 2000 के दशक से ही चीन ने भारत के खिलाफ अपनी वीटो शक्ति और "टेक्निकल होल्ड" का इस्तेमाल किया है, खासकर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ भारत की कोशिशों को रोकने के लिए। 

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मई 2025 में कहा था, "चीन, एक स्थायी UNSC सदस्य होने के नाते, पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी प्रस्ताव को वीटो कर देगा। लेकिन भारत के खिलाफ भी कोई प्रस्ताव पास नहीं होगा, क्योंकि हमारे पास भी रूस और फ्रांस जैसे दोस्त हैं।" ये बयान भारत की कूटनीतिक ताकत को दर्शाता है।

पाकिस्तान ने भारत के इन आरोपों का जवाब देने की कोशिश की। उनके राजदूत असिम इफ्तिखार अहमद ने दावा किया कि 5 मई 2025 को हुई UNSC की क्लोज्ड-डोर मीटिंग में उनके उद्देश्य "काफी हद तक पूरे" हुए। लेकिन हकीकत ये है कि इस मीटिंग में पाकिस्तान को कोई खास समर्थन नहीं मिला।

पाकिस्तान ने इस मीटिंग में कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की और भारत पर aggression का आरोप लगाया। लेकिन UNSC के सदस्यों ने उल्टा पाकिस्तान से सवाल पूछे, खासकर लश्कर-ए-तैयबा की Involvement और पाकिस्तान के मिसाइल टेस्ट्स और परमाणु बयानबाजी को लेकर। कई देशों ने साफ कहा कि इस मुद्दे को भारत और पाकिस्तान को आपस में बातचीत से सुलझाना चाहिए।

भारत ने इस पूरे मामले में कूटनीतिक मोर्चे पर शानदार प्रदर्शन किया। विदेश मंत्री S. जयशंकर ने UNSC के सभी गैर-स्थायी सदस्यों के विदेश मंत्रियों से बात की और पाहलगाम हमले के बाद भारत का पक्ष रखा। इसके अलावा, भारत ने सात सांसदों के नेतृत्व में डेलिगेशन भेजे, जो UNSC के सदस्य देशों की राजधानियों में गए और भारत के खिलाफ आतंकवाद के मुद्दे पर समर्थन जुटाया।

शशि थरूर, जो इस डेलिगेशन का हिस्सा थे, ने कहा, "पाकिस्तान भले ही UNSC में कुछ कमेटियों की अध्यक्षता कर रहा हो, लेकिन भारत के पास पर्याप्त दोस्त हैं। हम सुनिश्चित करेंगे कि पाकिस्तान की कोई चाल कामयाब न हो।" भारत ने SCO समिट में भी पाकिस्तान और चीन के उस जॉइंट स्टेटमेंट को साइन करने से इनकार कर दिया, जिसमें पाहलगाम हमले का जिक्र नहीं था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "जो देश आतंकवाद को नीति का हिस्सा बनाते हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराना होगा।"

पाकिस्तान की UNSC अध्यक्षता भले ही रोटेशनल हो, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वो इसे अपनी छवि चमकाने या भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए इस्तेमाल नहीं करने देगा। भारत ने UN में न सिर्फ पाकिस्तान को बेनकाब किया, बल्कि वैश्विक मंच पर ये भी दिखाया कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई कितनी मजबूत है।

पाकिस्तान के पास जुलाई महीने में UNSC की मीटिंग्स को आयोजित करने और कुछ मुद्दों को उठाने का मौका होगा। लेकिन UNSC के नियमों के मुताबिक, कोई भी फैसला common consent से ही लिया जा सकता है। भारत के दोस्त जैसे रूस, फ्रांस, और गयाना इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि पाकिस्तान कोई गलत कदम न उठाए। 

तो  ये था पूरा मामला, जहां भारत ने UN में पाकिस्तान को करारा जवाब दिया और उसकी नापाक चाल को नाकाम किया। आप इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या भारत की ये कूटनीतिक रणनीति सही दिशा में है? हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। 

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