पाकिस्तान की यूएनएससी अध्यक्षता: भारत के लिए प्रतीकात्मक लेकिन सतर्कता मांगने वाली चुनौती

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पाकिस्तान की यूएनएससी अध्यक्षता: भारत के लिए प्रतीकात्मक लेकिन सतर्कता मांगने वाली चुनौती
संजय सक्सेना, वरिष्ठ पत्रकार
हाल ही में पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की मासिक घूर्णन प्रणाली के तहत जुलाई 2025 के लिए अध्यक्षता मिली है। यह कार्यकाल महज एक महीने का है और इसका प्रभाव सीमित माना जा रहा है, फिर भी यह भारत के लिए कुछ रणनीतिक और कूटनीतिक जटिलताएं जरूर खड़ी कर सकता है — विशेषकर तब, जब पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर मुद्दे को वैश्विक मंचों पर उठाने की कोशिश करता रहा है।

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अध्यक्षता कैसे मिली पाकिस्तान को?

पाकिस्तान को जनवरी 2025 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में 193 में से 182 मतों के साथ अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया था। यूएनएससी की अध्यक्षता वर्णानुक्रमीय क्रम से हर महीने घूर्णन के आधार पर किसी एक सदस्य को मिलती है, जिसमें पांच स्थायी और दस अस्थायी सदस्य शामिल होते हैं। यह भूमिका मुख्यतः प्रक्रियात्मक होती है, जिसमें एजेंडा निर्धारण, बैठकों का संचालन और प्रेस विज्ञप्तियों की प्रस्तुति शामिल होती है।
कश्मीर मुद्दा उठा कर शुरू की कोशिशें
पाकिस्तान ने अपनी अध्यक्षता की शुरुआत में ही कश्मीर को फिर से अंतरराष्ट्रीय विमर्श में लाने का प्रयास किया है। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत असीम इफ्तिखार अहमद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कश्मीर को भारत-पाक के बीच तनाव का मूल कारण बताया और इसे क्षेत्रीय स्थिरता तथा मानवाधिकारों के लिए खतरा बताया। यह वही आशंका थी जिसे भारत पहले ही जताता रहा है — कि पाकिस्तान इस मंच का उपयोग भारत-विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने में करेगा।
दो प्रमुख कार्यक्रमों के माध्यम से रणनीति
पाकिस्तान की अध्यक्षता के दौरान दो प्रमुख कार्यक्रम निर्धारित किए गए हैं:
1. 22 जुलाई: अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को विवादों के शांतिपूर्ण समाधान से बढ़ावा देने पर चर्चा
2. 24 जुलाई: संयुक्त राष्ट्र और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के बीच सहयोग पर फोकस
इन बैठकों की अध्यक्षता पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार करेंगे। विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान इन कार्यक्रमों में कश्मीर समेत अन्य संवेदनशील मुद्दों को वैश्विक मंच पर उठाने का प्रयास करेगा।
भारत की प्रतिक्रिया और रणनीति
भारत सरकार इस घटनाक्रम से पूरी तरह अवगत और सक्रिय है। हाल ही में भारत ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में "The Human Cost of Terrorism" नामक प्रदर्शनी लगाई, जिसमें पाकिस्तान की आतंकवाद में भूमिका को उजागर किया गया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी वैश्विक लड़ाई को और अधिक प्रभावी बनाएगा।
भारत के पास अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे यूएनएससी के स्थायी सदस्य देशों का मजबूत समर्थन है, जो अतीत में भी कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला मानते रहे हैं। चूंकि यूएनएससी में कोई भी प्रस्ताव पास कराने के लिए पांचों स्थायी सदस्यों की सहमति अनिवार्य है, इसलिए पाकिस्तान की किसी भी प्रस्तावित पहल को रोकने में भारत को मुश्किल नहीं होगी।
आंतरिक राजनीति में भी उठे सवाल
भारत के अंदर विपक्ष ने पाकिस्तान की अध्यक्षता को मोदी सरकार की विदेश नीति की विफलता बताया है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पहलगाम में हालिया आतंकी हमले के बावजूद पाकिस्तान को यूएनएससी अध्यक्षता मिलना भारत की कूटनीतिक कमजोरी को दर्शाता है। इससे सरकार पर आंतरिक दबाव भी बढ़ सकता है।

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