पराक्रम सेना विजय दिवस : 16 दिसंबर 1971 ,“शौर्य साहस स्वाभिमान” का गौरवशाली उत्सव

Parakram Sena Vijay Diwas (Victory Day of the Valiant Army) | December 16, 1971 🇮🇳
A glorious celebration of "Valor • Courage • Self-Respect"
 
Parakram Sena Vijay Diwas (Victory Day of the Valiant Army) | December 16, 1971 🇮🇳 A glorious celebration of "Valor • Courage • Self-Respect"
लखनऊ।  अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद, अवध प्रांत (लखनऊ, उत्तर प्रदेश) के तत्वावधान में विजय दिवस समारोह – 16 दिसंबर 2025 का आयोजन साईं पब्लिक इंटर कॉलेज, नीलमथा, सरोजनी नगर, लखनऊ में श्रद्धा, सम्मान और राष्ट्रगौरव के साथ किया गया। यह आयोजन स्कूली विद्यार्थियों की सहभागिता के साथ सम्पन्न हुआ, जिसका उद्देश्य नई पीढ़ी को भारतीय सेना के शौर्य, अनुशासन और बलिदान की गौरवशाली परंपरा से जोड़ना रहा।

कार्यक्रम में उपस्थित पूर्व सैनिक बंधुओं ने भारत माता की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर सैनिकों की स्मृति में एक मिनट का मौन रखकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके पश्चात उन्होंने विद्यार्थियों को भारतीय सेना के अदम्य साहस, अनुकरणीय अनुशासन और ऐतिहासिक बलिदानों की प्रेरक गाथाओं से अवगत कराया, जिससे बच्चों के मन में राष्ट्रप्रेम, कर्तव्यबोध और देशभक्ति की भावना और अधिक सुदृढ़ हुई।

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पूर्व सैनिकों ने अपने उद्बोधन में कहा कि पराक्रम सेना विजय दिवस केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भारत माता के वीर सपूतों के अतुलनीय साहस, असाधारण पराक्रम और अटूट राष्ट्रनिष्ठा का प्रतीक है। यह दिवस हमें स्मरण कराता है कि जब भी देश की संप्रभुता और अस्मिता पर संकट आया, भारतीय सेना ने अपने शौर्य और बलिदान से इतिहास रचते हुए राष्ट्र को गौरवान्वित किया।

उन्होंने कहा कि सीमाओं की रक्षा करते हुए, हर कठिन परिस्थिति में अडिग रहकर हमारे जवानों ने यह सिद्ध किया है कि राष्ट्र की सुरक्षा उनके लिए सर्वोपरि है। उनका पराक्रम प्रत्येक भारतीय के हृदय में आत्मविश्वास, एकता और देशप्रेम का संचार करता है।

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कार्यक्रम के समापन पर उपस्थित सभी लोगों ने इस विजय दिवस पर संकल्प लिया कि—

  • राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखेंगे,

  • देश की एकता और अखंडता की रक्षा करेंगे,

  • और भारत माता के वीर सैनिकों के सम्मान में सदैव नतमस्तक रहेंगे।

यह आयोजन विद्यार्थियों और समाज के लिए राष्ट्रभक्ति, त्याग और कर्तव्य के मूल्यों को आत्मसात करने का एक सशक्त माध्यम बना।

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