BJP vs AIMPLB Ahead of Bihar Elections 2025 : पसमांदा का बीजेपी पर बड़ा दांव, क्या बिहार पॉलिटिक्स पर पड़ेगा इसका असर, क्या रोल है पसमांदा समुदाय का elections में

इस साल के end में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और राज्य का political landscape अभी से गरमा गया है. हमेशा की तरह, इस बार भी कई मुद्दे चर्चा में हैं, लेकिन एक ऐसा मुद्दा है जो इस बार headlines में है और election results को Affect करने की Capacity रखता है: Wakf (Amendment) Act. जी हां, आपने सही सुना. ये कानून अब सुप्रीम कोर्ट में कई petitions का सामना कर रहा है, और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) इसे लेकर बिहार में एक बड़ा अभियान चला रहा है. AIMPLB का कहना है कि ये Act मुसलमानों के अधिकारों का हनन करता है, और वो इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
आज के इस वीडियो में, हम जानेंगे कि AIMPLB का 'वक्फ बचाओ अभियान' क्या है, वो किन जिलों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, और 2020 के पिछले विधानसभा चुनावों में इन सीटों का प्रदर्शन कैसा रहा था. हम ये भी देखेंगे कि AIMPLB किस तरह से बीजेपी और उसके allience partis पर निशाना साध रहा है, और भाजपा इस मुद्दे पर मुसलमानों, खासकर पसमांदा समुदाय को कैसे attract करने की कोशिश कर रही है.
तो, अगर आप बिहार की राजनीति और आने वाले चुनावों पर वक्फ अधिनियम के संभावित प्रभाव को समझना चाहते हैं, तो इस वीडियो को लास्ट तक देखें! आइए, इस राजनीतिक युद्ध के मैदान में उतरते हैं, जहां AIMPLB और भाजपा ने अपने-अपने कदम बढ़ा दिए हैं.
बिहार में इस साल के लास्ट में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) वक्फ अधिनियम के against बिहार में बड़े पैमाने पर अभियान चला रहा है. AIMPLB का मानना है कि ये अधिनियम सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं का सामना कर रहा है और ये election results को भी influence कर सकता है.
AIMPLB देश भर में अपने 'वक्फ बचाओ अभियान' के तहत public meetings आयोजित कर रहा है. बिहार में पटना, अररिया, किशनगंज, भागलपुर, बेगूसराय, सहरसा, मधुबनी, सीवान और दरभंगा जैसे जिलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इन नौ जिलों में 72 विधानसभा सीटें हैं, जो बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों का 30% हैं. बिहार की आबादी में लगभग 17.7% मुस्लिम हैं और ये 72 सीटों में से कम से कम 30 पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों का प्रदर्शन
2020 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा के नेतृत्व वाले (NDA) ने इन 72 सीटों में से 38 सीटें जीती थीं. इसमें भाजपा को 25, जेडी(यू) को 11 और (VSIP) को 2 सीटें मिली थीं.
दूसरी ओर, विपक्षी महागठबंधन ने 28 सीटें जीती थीं, जिसमें आरजेडी को 11, कांग्रेस को 5, सीपीआई (एमएल) (एल) को 4 और सीपीआई को 2 सीटें मिली थीं. बिहार में मुसलमान आमतौर पर आरजेडी के समर्थक माने जाते हैं, इसलिए इन सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन important था. इन 72 सीटों में AIMIM द्वारा जीती गई पांच सीटें भी शामिल हैं, हालांकि उनके जीते पांच विधायकों में से चार बाद में आरजेडी में शामिल हो गए थे.
अपने वक्फ बचाओ अभियान में, AIMPLB अन्य मुस्लिम निकायों के साथ मिलकर भाजपा सहयोगियों, खासकर जेडी(यू) को निशाना बना रहा है. AIMPLB इन पार्टियों पर वक्फ अधिनियम पर "मुसलमानों को धोखा देने" का आरोप लगा रहा है. मुस्लिम मौलवी और AIMPLB के सदस्य एनडीए दलों पर संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक का समर्थन करके "मुसलमानों की पीठ में छुरा घोंपने" का आरोप लगा रहे हैं.
AIMPLB के प्रवक्ता और अखिल भारतीय वक्फ बचाओ अभियान के संयोजक एस क्यू आर इलियास कहते हैं, "आशा है कि जेडी(यू), एलजेपी और एचएएम, जिन्हें पहले मुस्लिम वोट मिले थे, अब नए वक्फ कानून की वजह से उनका समर्थन नहीं मिलेगा." AIMPLB सीधे तौर पर किसी पार्टी के खिलाफ राजनीतिक अपील नहीं करेगा, लेकिन लोगों को ये बताएगा कि किन पार्टियों ने सरकार को वक्फ कानून बनाने में मदद की.
भाजपा ने controversial वक्फ अधिनियम के profits के बारे में मुसलमानों सहित लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए चार member coordination committee का गठन किया है. बिहार भाजपा minority wing के अध्यक्ष कमरुज्जमा अंसारी का मानना है कि AIMPLB और विपक्षी दलों के अभियान से भाजपा या उसके सहयोगियों को कोई नुकसान नहीं होगा. अंसारी कहते हैं, "कुल मुस्लिम आबादी में से ज्यादातर पसमांदा हैं, जो गरीब हैं और वक्फ संपत्तियों के लाभ से वंचित हैं. अब नए कानून के कारण उन्हें लाभ मिलेगा और पसमांदा भाजपा और उसके सहयोगियों का समर्थन करेंगे."
अंसारी को ये भी उम्मीद है कि अगली जनगणना के साथ-साथ जाति जनगणना कराने की केंद्र की घोषणा से पसमांदा मुसलमानों के बीच भाजपा को मदद मिलेगी. भाजपा के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण ने पहले कहा था कि जाति जनगणना में पसमांदा मुसलमानों को ओबीसी में गिना जाएगा.
पूर्व सांसद अली अनवर अंसारी, जो वर्तमान में कांग्रेस में हैं और ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रमुख हैं, भाजपा की पसमांदा वोट पाने की उम्मीदों पर सवाल उठाते हैं. अंसारी कहते हैं, "मुसलमानों, खासकर पसमांदाओं ने पहले जेडी(यू), एलजेपी और एचएएम को वोट दिया है, लेकिन अब वो इन पार्टियों को वोट नहीं देंगे, क्योंकि वो वक्फ कानून से नाराज हैं." कांग्रेस भी बिहार में वक्फ कानून को अपने अभियान के मुद्दों में से एक बनाएगी.
जेडी(यू) के नेताओं का कहना है कि पार्टी को पता है कि वक्फ के खिलाफ प्रतिक्रिया हो सकती है. हालांकि, वो बताते हैं कि इस साल की शुरुआत में बिहार सरकार के इफ्तार कार्यक्रम में बहिष्कार के invocation के बावजूद कई मुस्लिम नेता शामिल हुए थे. इस चुनाव में वक्फ अधिनियम और पसमांदा मुसलमानों का मुद्दा किस तरह से भूमिका निभाता है, ये देखना interesting होगा. तो आपका इस पूरी controversy पर क्या कहना है हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताईयेगा,