पवनार आश्रम वर्धा धरती पर पांचवां धाम है:संत मोरारी बापू
विनोबा विचार प्रवाह के सूत्रधार रमेश भैया ने कहा कि हम सब जानते हैं कि विनोबा जी के आश्रम ब्रम्हविद्या मंदिर पवनार वर्धा महाराष्ट्र में विनोबा जी के ब्रम्ह निर्वाण 1982 के बाद अगले वर्ष से प्रतिवर्ष बाबा के ब्रम्हनिर्वाण की पुण्य स्मृति में मित्र मिलन दिनांक 15 से 17 नवंबर दोपहर ढाई दिवस का आयोजित किया जाता है। जिसमें प्रथम दिवस पूज्य बाबा को श्रद्धांजलि के अलावा अनेक प्रमुख प्रवचन सुनने को मिलते हैं।द्वितीय दिवस देश भर के आए लोगों के कामों के बारे में जानकारी मिलती है।तृतीय दिवस आगे के लिए संकल्प और दीदी लोगों आशीर्वाद और आभार मिलते हैं।
गीता बेबीनार के संयोजक श्री अमित परमार ने कहा कि पवनार आश्रम पहुंचने के लिए फ्लाइट से नागपुर लोग आते हैं।और ट्रेन से सेवाग्राम या वर्धा रेलवे स्टेशन उतर कर नागपुर रोड पर पवनार आते हैं। विनोबा जी का आश्रम धामनदी के तट पर काफी ऊंचाई पर ब्रह्मविद्या मंदिर के नाम से स्थित है।बाबा विनोबा के साथ सहकर्मी साधक दीदी लोग काफी वृद्ध हैं।फिर भी उनका परम आनंदित करने वाला स्नेह, सानिध्य और समर्पण देखने को मिलता है। जमनालाल बजाज पुरुस्कार से सम्मानित विमला बहन ने कहा कि देश दुनिया के लोग यहां आध्यात्मिक प्रकाश स्थल अर्थात स्प्रिचुअल लाइट हाउस मानकर संपूर्ण वर्ष आते रहते हैं।
मित्र मिलन एक विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है।जिसमें विद्यार्थी, सामाजिक कार्यकर्ता, गौसेवक, गांधी विनोबा विचारक सभी आते हैं।सभी के ठहरने हेतु बाबा के आशीर्वाद से निर्मित राजभवन और बुजुर्गों के लिए देवघर बहनों के लिए समूह आवास और भोजन के लिये अन्नपूर्णा भवन की सेवाएं मिलती हैं। जिनकी तैयारी के लिए बाबा विनोबा के लिए संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले कर्जत रायगढ़ से सुभाष भाई पाटिल और धुलिया की प्राची नरेंद्र बहन , इंदौर कस्तूरबा ट्रस्ट की सेवानिवृत दीदी चतुरा बहन पहुंच चुकी है। गुजरात की हेमा बहन पहुंचने वाली है।
आप सभी के आने का जो भी प्लान हो आप विनोबा आश्रम पवनार को या विनोबा विचार प्रवाह परिवार के किसी सदस्य को सुचित कर सकेंगें तो मित्र मिलन के आयोजकों को जहां एक ओर जानकारी हो जाएगी। अधिकतर लोग 14 तक अवश्य पहुंच जाते हैं।15 नवम्बर की सुबह प्रातःकालीन प्रार्थना साढ़े चार बजे से ही कार्यक्रम प्रारंभ हो।जाते हैं। यह मित्र मिलन मित्रों का ही है इसलिए कोई किसी को आमंत्रण नहीं बल्कि अपने घर पर मित्रों से मिलने का स्मरण कराने का दायित्व प्रतिवर्ष निर्वाह करता है। बाबा की 130 वीं जयंती का पावन वर्ष में हम सब जरूर पवनार की पावन धरती को प्रणाम करने पहुंचे। विनोबा 125 के समय आप सब 125 मैत्री यात्राएं लेकर आए थे। गांधी के आश्रम सेवाग्राम से विनोबा जी के पवनार आश्रम की पैदल यात्रा भी किए थे। जिससे लोगों को आशा बंधी थी कि देश में गांधी विनोबा का काम करने वालों की बहुत बड़ी संख्या देश में है। यह संख्या देश में जैसे जैसे बढ़ती जाएगी उतना ही हमारा समाज उन्नति की ओर अग्रसर होता जायेगा।