मोदी-ट्रंप की फोन कॉल: आतंकवाद पर भारत का स्पष्ट रुख और ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि

 
PM Modis Bold Call with Trump No Trade on Terror Only War-Level Response

आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी अहम खबर की, जिसने न सिर्फ भारत, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी हलचल मचा दी है। 18 जून 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक महत्वपूर्ण टेलीफोनिक बातचीत हुई, जो करीब 35 मिनट तक चली। इस बातचीत का फोकस था – आतंकवाद, और इसमें भारत ने अपना रुख पूरी मजबूती के साथ दुनिया के सामने रखा।

 आखिर ये कॉल क्यों हुई?

यह कॉल उस वक्त हुई जब ट्रंप और मोदी की G7 समिट (कनाडा) में मुलाकात होनी थी, लेकिन मिडिल ईस्ट में इज़राइल-ईरान तनाव के चलते ट्रंप को अमेरिका लौटना पड़ा। इसके बाद ट्रंप ने खुद पीएम मोदी से बात करने की इच्छा जताई।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री के मुताबिक, इस कॉल में पीएम मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा:

"भारत आतंकवाद पर किसी भी प्रकार की मध्यस्थता या व्यापार नहीं स्वीकार करेगा। अब जवाब 'प्रॉक्सी वॉर' नहीं, बल्कि सीधे युद्ध के स्तर पर दिया जाएगा।"

 ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि

इस कॉल की टाइमिंग इसलिए भी अहम है क्योंकि इसकी पृष्ठभूमि में था 22 अप्रैल 2025 का पहलगाम आतंकी हमला, जिसमें भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था। इसके जवाब में भारत ने 6-7 मई को "ऑपरेशन सिंदूर" लॉन्च किया, जिसके तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।

इस सैन्य कार्रवाई में भारत ने न केवल आतंकी अड्डों को तबाह किया, बल्कि पाकिस्तान के मिलिट्री एयरबेस को भी अस्थायी रूप से निष्क्रिय कर दिया।

🇺🇸 ट्रंप की मध्यस्थता और भारत का जवाब

राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष को टालने के लिए मध्यस्थता की और दोनों देशों को व्यापार का लालच देकर बातचीत पर राजी किया। लेकिन भारत ने शुरू से ही इस दावे को खारिज किया।

फोन कॉल के दौरान पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि:

"ना तो भारत ने कभी मध्यस्थता स्वीकार की है, और न ही करेगा।"

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, और भारत अब आतंकवाद को सिर्फ एक चुनौती नहीं, बल्कि एक सीधे युद्ध की तरह देखता है।

🕊️ ट्रंप की रणनीति और अमेरिका की भूमिका

ट्रंप की हालिया गतिविधियाँ भारत के लिए कुछ सवाल खड़े करती हैं। एक ओर वे पीएम मोदी को "शानदार इंसान" बताते हैं, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर के साथ निजी मुलाकात करते हैं।

कई विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह दोहरी नीति अमेरिका की जियोपॉलिटिकल रणनीति का हिस्सा है, जहां अमेरिका पाकिस्तान को चीन और रूस के प्रभाव से निकालकर अपने पाले में लाना चाहता है – खासतौर पर जब मिडिल ईस्ट में अस्थिरता बढ़ रही है।

🇮🇳 भारत की स्पष्ट नीति: आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस

पीएम मोदी ने G7 समिट में भी स्पष्ट कहा:

"आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। जो देश इसका समर्थन करते हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।"

यह बयान भारत की नई विदेश नीति की झलक देता है – जिसमें आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति को प्राथमिकता दी जा रही है।

 कांग्रेस का बयान और भाजपा की प्रतिक्रिया

इस बीच, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी-ट्रंप बातचीत पर "ट्रिपल झटका" कहकर सरकार पर कटाक्ष किया। इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा:

"हर दिन जिनकी बातों का झूठ सामने आता है, उसी पार्टी के नेता ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं।"

उन्होंने यह भी दोहराया कि ट्रंप और मोदी के बीच बातचीत पूरी तरह से पारदर्शी थी, जिसकी जानकारी विदेश सचिव ने खुद साझा की है।

 निष्कर्ष: भारत का सख्त संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने इस कॉल के जरिए न सिर्फ राष्ट्रपति ट्रंप को, बल्कि पूरी दुनिया को स्पष्ट कर दिया कि भारत अब आतंकवाद पर किसी भी प्रकार की रियायत देने के मूड में नहीं है।

भारत की तरफ से संदेश साफ है:
"अगर पाकिस्तान से कोई बातचीत होगी, तो वो सिर्फ आतंकवाद और PoK पर होगी – और किसी भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"

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