गोवंश संरक्षण बना ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार
उत्तर प्रदेश में सनातन संस्कृति के प्रतीक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में गोवंश संरक्षण को नई दिशा मिली है। वर्ष 2017 में सत्ता संभालने के बाद से ही योगी सरकार ने “वन्दे गौ मातरम्” की भावना के साथ गायों की रक्षा और संवर्धन को प्राथमिकता दी, जिसके सकारात्मक आर्थिक परिणाम अब स्पष्ट रूप से सामने आने लगे हैं।
गोवंश संरक्षण से आर्थिक सशक्तिकरण
सरकार का पहला बड़ा निर्णय अवैध बूचड़खानों को बंद करना था, जिससे हजारों गायों को जीवनदान मिला। इसके बाद गाय को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बनाते हुए महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार खोले गए। आज प्रदेश की गोशालाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और गौ आधारित उत्पाद किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक साबित हो रहे हैं।
2017 से पहले की स्थिति और वर्तमान प्रगति
पूर्ववर्ती सरकारों में गोवंश की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। गौमाता को खुलेआम कसाईखानों में बेचा जाता था। लेकिन योगी सरकार के आने के बाद, प्रदेश में गो-आश्रय स्थलों की संख्या 100 से बढ़कर 717 हो गई है, जहां लगभग 12.52 लाख गोवंश संरक्षित हैं। इनके पालन-पोषण हेतु प्रतिदिन ₹50 प्रति गोवंश की दर से 7.5 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

पशुपालन, डेयरी और रोजगार के अवसर
योगी सरकार ने डेयरी मिशन, पशुपालन और कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा है। पहली बार किसानों को गाय और ₹1500 प्रतिमाह की सहायता दी जा रही है। नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत 50% लाभार्थी महिलाएँ हैं। पशु टीकाकरण के क्षेत्र में भी बड़ी प्रगति हुई है — अब तक 14.5 करोड़ से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है।
पशु स्वास्थ्य और मोबाइल सेवाएं
सड़क दुर्घटनाओं व अन्य कारणों से घायल गोवंश के इलाज हेतु 520 मोबाइल वेटनरी यूनिट्स की स्थापना की गई है, जिनके माध्यम से अब तक 32.34 लाख पशुओं को चिकित्सा सेवा मिल चुकी है। टोल-फ्री नंबर 1962 के माध्यम से निशुल्क पशु चिकित्सा परामर्श उपलब्ध कराया गया है, जो अपने आप में एक अभिनव पहल है।
चारा नीति और बीमा योजनाएं
प्रदेश में पहली बार व्यवस्थित चारा नीति लागू की गई है। 230 हेक्टेयर भूमि पर नेपियर घास की खेती की जा रही है, जिससे 1.73 लाख क्विंटल चारा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही 1.60 लाख पशुओं का बीमा किया गया है, जिससे पशुपालकों को आर्थिक सुरक्षा भी मिली है।
दुग्ध उत्पादन और विपणन में बढ़ोतरी
राज्य सरकार ने 'उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं प्रोत्साहन नीति' के अंतर्गत 1000 करोड़ रुपये की लागत से नंद बाबा दुग्ध मिशन शुरू किया है। मेरठ में 4 लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता वाला ग्रीन फील्ड प्लांट तैयार किया गया है। इन प्रयासों से यूपी का राष्ट्रीय दुग्ध उत्पादन में योगदान बढ़कर 16.21% हो गया है।
गोबर, गोमूत्र और जैविक उत्पादों से आत्मनिर्भरता
गोशालाओं में अब गोबर और गोमूत्र से बने उत्पाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट, दीपक, मूर्तियाँ, धूपबत्ती, गोकाष्ठ आदि तैयार किए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को आय के नए स्रोत मिल रहे हैं। पंचगव्य आधारित उत्पादों से स्वास्थ्य लाभ और ग्रामीण अर्थव्यवस्था दोनों को मजबूती मिल रही है।
गोपाल वन और पर्यावरण संरक्षण
राज्य की गोशालाएं अब केवल पशुओं का आश्रय ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के केंद्र भी बन रही हैं। मानसून सत्र में प्रत्येक गोशाला में “गोपाल वन” की स्थापना की जा रही है, जिससे हरियाली और जलवायु संतुलन को बढ़ावा मिलेगा।
गाय गोद योजना: आत्मनिर्भर गांवों की ओर
सरकार की एक नई योजना के तहत ग्रामीण किसान 1 से 4 गोवंश तक गोद ले सकेंगे। मनरेगा के अंतर्गत इनके लिए कैटल शेड और बायोगैस प्लांट बनाए जाएंगे। इससे न केवल गोवंश की सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि जैविक खेती, ऊर्जा उत्पादन और स्वावलंबन को भी बल मिलेगा।
अभी भी चुनौतियाँ बरकरार
हालांकि प्रदेश में गोवध पर काफी हद तक अंकुश लगा है, फिर भी कुछ इलाकों में चोरी-छिपे गोतस्करी की घटनाएं सामने आती हैं। योगी सरकार ने इस पर भी सख्त रुख अपनाते हुए तस्करों के खिलाफ मुठभेड़ और कार्रवाई तेज कर दी है।
