लोक कल्याण ही पत्रकारिता का मूल उद्देश्य होना चाहिए: कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्त

बलिया/लखनऊ डेस्क (आर. एल. पाण्डेय)। समाज की समग्र व्यवस्था संवाद पर आधारित होती है। जब संवाद सकारात्मक दिशा में अग्रसर होता है, तो इसके परिणाम भी निश्चित रूप से सार्थक होते हैं। विशेष रूप से ग्रामीण पत्रकारों की भूमिका इस संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि वे ग्रामीण जीवन की वास्तविक परिस्थितियों और समस्याओं को शासन-प्रशासन तक पहुंचाने का कार्य करते हैं।
यह विचार जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्त ने ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के संस्थापक बालेश्वर लाल की 38वीं पुण्यतिथि के अवसर पर गड़वार में आयोजित विचार गोष्ठी में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बालेश्वर लाल ने समाज के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया, यही कारण है कि आज भी उन्हें स्मरण किया जा रहा है।
पत्रकारिता का उद्देश्य लोक कल्याण
कुलपति ने कहा कि पत्रकारिता का मूल उद्देश्य लोक कल्याण होना चाहिए। यदि पत्रकारों में जनहित की भावना होगी, तो वे निश्चित रूप से पत्रकारिता की सही दिशा को समझ सकेंगे। उन्होंने देवर्षि नारद का उदाहरण देते हुए कहा कि भले ही उनके बारे में विविध मत हों, लेकिन उनके कार्य हमेशा सार्वजनिक हित और कल्याणकारी उद्देश्यों से प्रेरित थे।
सोशल मीडिया और तकनीकी का जिम्मेदार उपयोग जरूरी
प्रो. गुप्त ने आज के डिजिटल युग में पत्रकारिता की बदलती प्रवृत्तियों पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया अक्सर सोचने का अवसर नहीं देता, बल्कि यह अपने ही तरीके से लोगों के विचारों को प्रभावित करता है। यह प्रवृत्ति पत्रकारिता के लिए घातक हो सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि तकनीकी को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन उसे सही दिशा में उपयोग करने की जिम्मेदारी ग्रामीण पत्रकारों की है।
कार्यक्रम की झलक
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. संजीत कुमार गुप्त, विशिष्ट अतिथि सीएमओ डॉ. संजीव वर्मन और भाजपा जिलाध्यक्ष संजय मिश्र ने ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के संस्थापक बालेश्वर लाल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सौरभ कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया, और जिलाध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।
पत्रकारों का हुआ सम्मान
कार्यक्रम के दौरान एक दर्जन से अधिक पत्रकारों को अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे, जिनमें रोशन जायसवाल, डॉ. विनय सिंह, कृष्णमुरारी पांडेय, बसंत पांडेय, सेनानी रामविचार पांडेय, जनार्दन सिंह, नरेंद्र यादव, और अनिल सिंह आदि प्रमुख थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वीरभद्र प्रताप सिंह ने की, जबकि संचालन छोटेलाल चौधरी ने किया।