राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र: दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक छात्रों के लिए उठाई आवाज

देशभर के लाखों छात्रों से जुड़ा एक अहम मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक छात्रों के लिए शिक्षा से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं की मांग की है।
राहुल गांधी ने दो प्रमुख समस्याएं उठाईं हैं:
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छात्रावासों की खराब स्थिति
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पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति में देरी और गड़बड़ी
अंबेडकर छात्रावास, दरभंगा में छात्रों की आपबीती
राहुल गांधी ने बिहार के दरभंगा स्थित अंबेडकर छात्रावास का दौरा किया और वहां छात्रों से मुलाकात कर उनकी परेशानियां सुनीं। अपने पत्र में उन्होंने लिखा:
"एक कमरे में 6–7 छात्र रहने को मजबूर हैं। शौचालय बेहद गंदे हैं, सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। पीने का साफ पानी तक उपलब्ध नहीं है। मेस, लाइब्रेरी और इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नदारद हैं।"
उन्होंने यह भी बताया कि बिहार का स्कॉलरशिप पोर्टल तीन साल तक बंद रहा, जिसके चलते हजारों छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी। उदाहरण के तौर पर, 2021–22 में किसी को छात्रवृत्ति नहीं मिली, जबकि 2023–24 में दलित छात्रों की संख्या घटकर 1.36 लाख से सिर्फ 69 हजार रह गई।
राहुल गांधी की दो मुख्य मांगें
अपने पत्र में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से दो अहम सुधारों की मांग की है:
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छात्रावासों का ऑडिट और सुधार
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हर छात्रावास की जांच हो
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साफ-सफाई, पीने के पानी, भोजन और शैक्षणिक सुविधाओं की गारंटी
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कमियों को दूर करने के लिए पर्याप्त फंडिंग
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पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति में पारदर्शिता और समयबद्धता
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छात्रवृत्ति समय पर दी जाए
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राशि में बढ़ोतरी हो
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राज्य सरकारों के साथ मिलकर प्रक्रिया में सुधार किया जाए
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राहुल गांधी ने लिखा:
"जब तक हाशिए पर पड़े समुदायों के युवा आगे नहीं बढ़ेंगे, तब तक भारत आगे नहीं बढ़ सकता।"
राजनीति और 2025 का चुनावी संदर्भ
राहुल गांधी लंबे समय से युवाओं और छात्रों के मुद्दों को उठाते रहे हैं—चाहे वो रोहित वेमुला एक्ट, बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला, या अब बिहार के छात्रावासों की हालत हो। 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र इसे वंचित वर्गों से जुड़ने की उनकी रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।
वहीं, बीजेपी और केंद्र सरकार का कहना है कि वे स्वच्छ भारत मिशन और छात्रवृत्ति योजनाओं के जरिए पहले से ही काम कर रही हैं। लेकिन राहुल गांधी का दावा है कि ये योजनाएं जमीनी स्तर पर प्रभावी नहीं हो पा रही हैं।
क्या होगा असर?
यह पत्र एक जरूरी मुद्दे को सामने लाता है, लेकिन असली बदलाव तभी संभव होगा जब केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करें। ऑडिट और फंडिंग में समय लग सकता है, लेकिन छात्रवृत्ति जैसी मूलभूत सहायता में देरी से सीधे लाखों छात्रों का भविष्य प्रभावित होता है।