राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर बड़ा हमला: मतदाता सूची में गड़बड़ी के गंभीर आरोप
लखनऊ ब्यूरो (अजय कुमार), वरिष्ठ पत्रकार। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने दावा किया है कि उनके पास मतदाता सूची में व्यापक स्तर पर हुई गड़बड़ियों के ऐसे सबूत हैं, जिनसे चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ सकते हैं।
राहुल गांधी ने संसद परिसर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मतदाता सूची में हुई गड़बड़ियों को लेकर उनके पास "विस्फोटक" प्रमाण मौजूद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इन सबूतों को सार्वजनिक किया गया तो इससे चुनाव आयोग की साख पर गहरा असर पड़ेगा। हालांकि, उन्होंने फिलहाल इन तथ्यों का खुलासा नहीं किया है।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया और महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में हाल ही में संपन्न चुनावों में मतदाता सूची को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा है। राहुल गांधी ने विशेष रूप से कर्नाटक में एक निर्वाचन क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 45 से 65 वर्ष आयु वर्ग के हजारों नए मतदाता एक साथ जोड़े गए, जो असामान्य और संदेहास्पद है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग इन विसंगतियों को नज़रअंदाज़ करता रहा है और पारदर्शिता कायम रखने में विफल रहा है। उनके इस बयान को शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) जैसे सहयोगी दलों ने समर्थन दिया है।
पहले भी उठा चुके हैं सवाल
यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाया हो। 2024 के लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने मतदाता सूची में फर्जीवाड़े और असामान्य वृद्धि के आरोप लगाए थे। राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में पांच महीनों के भीतर 41 लाख नए मतदाताओं के नाम जोड़े जाने पर चिंता जताई थी, जबकि इससे पहले के पांच वर्षों में केवल 31 लाख नाम जुड़े थे।
उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को 'वोट चोरी का ब्लूप्रिंट' बताते हुए फर्जी मतदाताओं को शामिल करने, मतदान प्रतिशत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने और वोटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी के आरोप लगाए थे। साथ ही, उन्होंने चुनाव आयोग से डिजिटल मतदाता सूची और मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करने की मांग की थी, जिसे आयोग ने गोपनीयता के आधार पर अस्वीकार कर दिया।
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को तथ्यों के अभाव में खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस ने न तो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 24 के तहत कोई कानूनी अपील दायर की, और न ही 2024 लोकसभा चुनाव में हारे हुए किसी प्रत्याशी ने अधिनियम 1951 की धारा 80 के तहत कोई चुनाव याचिका दाखिल की।
आयोग ने कहा कि मतदाता सूची सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई जाती है, और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कानूनी प्रावधान मौजूद हैं। चुनाव आयोग ने राहुल गांधी की टिप्पणियों को अनुचित और संस्थागत गरिमा को नुकसान पहुंचाने वाला बताया, लेकिन साथ ही महाराष्ट्र चुनाव में लगाए गए आरोपों पर चर्चा के लिए उन्हें आमंत्रित भी किया।
राहुल गांधी के इन आरोपों ने एक बार फिर भारतीय चुनावी प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर राष्ट्रीय बहस छेड़ दी है। हालांकि उनके दावे गंभीर हैं, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में ये आरोप फिलहाल सवालों के घेरे में हैं। यदि राहुल गांधी वाकई ऐसे प्रमाणों के मालिक हैं, तो उन्हें कानूनी या सार्वजनिक मंच पर प्रस्तुत करना जरूरी है, जिससे न सिर्फ उनकी विश्वसनीयता बनी रहे, बल्कि लोकतंत्र में जनता का भरोसा भी कायम रहे। यह मुद्दा सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की संवैधानिक संस्थाओं की साख से जुड़ा हुआ है। ऐसे में इस विवाद का समाधान दोनों पक्षों—राजनीतिक दलों और निर्वाचन आयोग—के लिए एक बड़ी चुनौती बना रहेगा।
