Rajnath Singh statement on Aurangzeb : राजनाथ सिंह ने औरंगज़ेब पर कैसा तंज, बोले ' महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी हमारे नायक, औरंगजेब नहीं '
Rajnath Singh statement on Aurangzeb

आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे बयान की, जो हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिया है , और जिसने पूरे देश में चर्चा का माहौल बना दिया है। उनका कहना है,की महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी हमारे नायक हैं, औरंगजेब नहीं। आखिर इस बयान के पीछे का Reference क्या है ? क्यों ये इतना important है ? और इसका भारतीय इतिहास और समाज पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? चलिए, इस टॉपिक को गहराई से समझते हैं।
18 अप्रैल 2025 को, छत्रपति संभाजीनगर, महाराष्ट्र में एक कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ये बयान दिया। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे वीर योद्धा हमारे राष्ट्रीय नायक हैं, न कि मुगल सम्राट औरंगजेब। उन्होंने ये भी कहा कि औरंगजेब का महिमामंडन करना न केवल इतिहास के साथ अन्याय है, बल्कि ये मुस्लिम समुदाय का भी अपमान है। लेकिन सवाल ये है कि ये बयान अचानक क्यों आया ? और इसका इतिहास से क्या संबंध है? चलिए, पहले इन तीनों ऐतिहासिक personalities को समझते हैं।
महाराणा प्रताप, मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश के महान शासक, जिन्हें हम मेवाड़ का शेर कहते हैं। 16 वीं Century में, जब अकबर की मुगल सेना भारत में अपनी ताकत बढ़ा रही थी, महाराणा प्रताप ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया। 1576 में हुए हल्दीघाटी युद्ध में, उन्होंने मुगल सेना का डटकर मुकाबला किया। भले ही उनकी सेना संख्या में कम थी, लेकिन उनका साहस और स्वतंत्रता के प्रति समर्पण आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा है। महाराणा प्रताप ने कभी भी मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके और अपनी आखिरी सांस तक मेवाड़ की आजादी के लिए लड़े। यही कारण है कि उन्हें भारतीय इतिहास में एक सच्चा नायक माना जाता है।
अब बात करते हैं छत्रपति शिवाजी महाराज की, जिन्हें मराठा साम्राज्य का संस्थापक और हिंदवी स्वराज का pioneer माना जाता है। 17 वीं शताब्दी में, जब मुगल शासक औरंगजेब की ताकत चरम पर थी, शिवाजी महाराज ने न केवल मुगलों, बल्कि अन्य विदेशी शक्तियों के खिलाफ भी गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई। उनके साहस और बुद्धिमत्ता के किस्से, जैसे प्रतापगढ़ युद्ध में अफजल खान का वध और आगरा से भागने की घटना, आज भी लोगों को रोमांचित करते हैं। शिवाजी महाराज ने न केवल एक शक्तिशाली साम्राज्य स्थापित किया, बल्कि धर्मनिरपेक्षता, न्याय और समानता के सिद्धांतों को भी बढ़ावा दिया। यही कारण है कि वो आज भी करोड़ों भारतीयों के लिए आदर्श हैं।
अब बात करते है औरंगजेब की। औरंगजेब, मुगल साम्राज्य के छठे सम्राट, जिनका शासन 1658 से 1707 तक रहा। औरंगजेब को इतिहास में एक कुशल लेकिन कट्टर शासक के रूप में देखा जाता है। उनके शासनकाल में मुगल साम्राज्य अपने सबसे बड़े geographical coverage पर पहुंचा, लेकिन उनके कुछ फैसलों ने उन्हें विवादों में भी डाला। उदाहरण के लिए, औरंगजेब ने जजिया कर को फिर से लागू किया, जो गैर-मुस्लिमों पर लगाया जाता था। इसके अलावा, कई मंदिरों को तोड़ने और धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने के आरोप भी उन पर लगे। हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि औरंगजेब के शासन को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया और उनके प्रशासनिक सुधारों को नजरअंदाज किया गया। फिर भी, उनके शासनकाल में शिवाजी महाराज और मराठों के साथ हुए संघर्ष ने उन्हें एक controversial personality बना दिया।
तो, राजनाथ सिंह का ये बयान आखिर क्यों important है? दरअसल,ये बयान उस समय आया है, जब भारत में इतिहास को फिर से परिभाषित करने और राष्ट्रीय नायकों को उचित सम्मान देने की मांग बढ़ रही है। राजनाथ सिंह ने कहा कि इतिहासकारों ने महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज जैसे नायकों को वो सम्मान नहीं दिया, जो उन्हें मिलना चाहिए था। उन्होंने ये भी Mention किया कि former prime minister जवाहरलाल नेहरू ने भी औरंगजेब को एक क्रूर और कट्टर शासक माना था। इस बयान को कुछ लोग इतिहास को सही Perspective में लाने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं, जबकि कुछ इसे राजनीतिक रंग दे रहे हैं।
ये बयान न केवल इतिहास की किताबों की बहस को हवा देता है, बल्कि ये भी सवाल उठाता है कि हम अपने नायकों को कैसे देखते हैं।
क्या हमें अपने इतिहास को फिर से लिखने की जरूरत है? क्या हमें उन योद्धाओं को अधिक सम्मान देना चाहिए, जिन्होंने स्वतंत्रता और स्वाभिमान के लिए सब कुछ त्याग दिया? और सबसे बड़ा सवाल, क्या औरंगजेब जैसे शासकों को नायक के रूप में देखना उचित है? इन सवालों के जवाब हर भारतीय के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये हमारी पहचान और Pride से जुड़ा है।
राजनाथ सिंह का ये बयान हमें एक बार फिर अपने इतिहास की ओर देखने के लिए मजबूर करता है। महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे नायक न केवल हमारे गौरवशाली अतीत का प्रतीक हैं, बल्कि वो हमें ये भी सिखाते हैं कि साहस, समर्पण और स्वाभिमान से कोई भी चुनौती पार की जा सकती है। आप इस बयान के बारे में क्या सोचते हैं? क्या आप मानते हैं कि हमें अपने इतिहास को नए सिरे से देखने की जरूरत है ? अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें।