गीता जीवन ग्रंथ का स्वाध्याय और उसे आत्मसात करने का संकल्प करें: अमित परमार

Resolve to study the Geeta Jeevan Granth and assimilate it: Amit Parmar
 
Resolve to study the Geeta Jeevan Granth and assimilate it: Amit Parmar
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।स्वाध्यायात मां प्रमद: अर्थात स्वाध्याय में प्रमाद नहीं होना चाहिए और साथ ही साथ प्रवचन में भी प्रमाद नहीं करना चाहिए।  स्वाध्याय यानी अपना निज का अध्ययन | अपना निरीक्षण-परीक्षण करना अपने को पहचानना,मैं कौन हूं, मुझे कहां जाना है, वह कितना दूर है? अपनी अतः शुद्धि के लिए जो होता है, वह स्वाध्याय है। नाम: स्मरण भी स्वाध्याय का अंग है।


स्वाध्याय का उद्देश्य जीवन की लक्ष्य तक पहुंचना, खामियां दूर करना, ज्ञानार्जन करना और चित्त शुद्धि है| स्वाध्याय की प्रेरणा हम सभी को ब्रह्म विद्या मंदिर पवनार में होने वाले पांच दिवसीय गीता प्रवचन स्वाध्याय शिविर २६-३१ जुलाई २०२४  से मिला जिसका ध्येय उषा दीदी,  गंगा मां‌ के द्वारा देश भर से कुछ लोगों को  गीता का स्वाध्याय करके भाग लेने के लिए बुलाया गया था ।

जहां साम्य सूत्र आधारित स्वाध्याय का तरीका उषा दीदी द्वारा सीखने को  मिला जो अपने दैनिक कार्यों को करते हुए भी गीता की सभी साम्य सूत्रों का  वाचन कर लेती हैं और उन्हें कंठस्थ भी है| स्वाध्याय शिविर के उपरांत मुझे ऐसी अनुभूति हुई कि गीता प्रवचन जीवन की कला सीखने का ग्रंथ है और जीवन में एक जीवन ग्रंथ होना चाहिए ।  जैसा कि आचार्य विनोबा भावे अपने हस्ताक्षर के साथ गीता प्रवचन की पुस्तक पर नित्य पठनीय लिखकर लोगों को दिया करते थे| इसी क्रम में ऐसा संकल्प लिया था। कि प्रत्येक रविवार को 30 मिनट के लिए शाम को 6:15 से 6:45 तक हम सभी साथी गूगल मीट से ऑनलाइन जुड़कर गीता प्रवचन का सूत्र आधारित स्वाध्याय किया करेंगे और किसी भी प्रकार का प्रश्न और विषय की गहराई के लिए वेबीनार के शुरूआत में ब्रह्म विद्या मंदिर पवनार से दीदी  का आशीर्वाद और विषय प्रवेश से शुरू होकर देशभर से जुड़े साथियों द्वारा किए गए स्वाध्याय का सार उनके द्वारा रखा जाएगा और अंत में आदरणीय रमेश भैया जी द्वारा इसका समापन  सुनिश्चित हुआ था । जिसको सामूहिक स्वीकृति मिली और हम सभी ने मिलकर 11 अगस्त 2024 को पहला वेबीनार शुरू किया और 29 दिसंबर 2024 तक अनवरत प्रत्येक रविवार होने वाला यह वेबीनार 21 सप्ताह पूरा किया है और गीता प्रवचन पुस्तक के अध्याय 5 का स्वाध्याय संपूर्ण हुआ है। 


गीता प्रवचन पुस्तक में कुल 108 अधिकरण और 432 परिच्छेद है। जिसे मिलकर कुल 540  सूत्र होते हैं और इसे ही साम्यसूत्र का नाम दिया गया है। सूचनात्र सूत्रम यानी जो सूचना करता है सूत्र है ।थोड़ा बताया ज्यादा सोच सकते हो और प्रकाश डाल सकते हो सूत्र के माध्यम से। उदाहरण के रूप में सूत्र है_  मोहान्ध,न्यायाधीशसवत सूत्र के इन दो शब्दों से ही आपको न्यायाधीश से जुड़े  एक किस्सा का याद दिलाता है कि एक न्यायाधीश था जिसने सैकड़ो अपराधियों को फांसी की सजा दी थी परंतु एक दिन खुद उसी का लड़का खून के जुर्म में उसके सामने पेश किया गया। बेटे पर खून की जुर्म साबित हुआ और उसे फांसी की सजा देने की नौबत न्यायाधीश पर आ गई।

तब वह हिचकने लगा और बुद्धिवाद बघारने लगा, कि फांसी की सजा बड़ा अमानवीय कृत्य है,ऐसी सजा देंगे तो अपराधी की सुधारने की आशा नष्ट हो जाती है, खून करने वाले ने भावना से आवेश में खून तो कर डाला परंतु उसे जुनून उतर जाने पर भी फांसी के तख्ते पर चढ़ा कर मार डालना समाज की मनुष्यता के लिए लज्जा की बात है। यह बहुत बड़ा कलंक होगा, आदि दलीलें देने लगा। यदि अपना लड़का सामने न आया होता तो जज साहब बेखटक फांसी की सजा हमेशा की तरह दे देते।किंतु अपने लड़के के ममत्व के कारण ऐसी बातें करने लगे। ठीक इसी उदाहरण की तरह 540 सूत्रों में से से अभी तक 114 सूत्र जिसमें 108 अधिकरण में से 23 अधिकरण और 432 परिच्छेद में से 91 परिच्छेद 29 दिसंबर, 2024  तक हुए 21 सप्ताह के स्वाध्याय में संपूर्ण हुआ ।     बीच-बीच में स्थित-प्रज्ञ जैसे विषय की गहराई हम सभी ने उषा दीदी को भी सुना। रमेश भैया द्वारा लगातार 20 सप्ताह तक समापन  सुनने को मिला और जैसा कि हम सभी जानते हैं रमेश भइया  ने एक साल के लिए मौन व्रत का संकल्प लिया है अब अगले साल से  वेबिनार का समापन समूह से जुड़े अग्रज साथी संजय राय  करेंगे।


 पहले अध्याय में अर्जुन के विषाद को दिखाया गया है जिसको समझने के लिए अर्जुन की भूमिका ,अर्जुन का संन्यास स्वधर्म  नहीं है, अर्जुन को  आत्म शुद्धि आदि द्वारा समझा जा सकता है। दूसरे अध्याय में आत्मज्ञान और समत्वबुद्धि को दिए गए सूत्र से आसानी से समझा जा सकता है। तीसरे अध्याय में कर्म योग को और चौथे अध्याय में विकर्म को समझाया गया है वही पांचवा अध्याय में अकर्म अवस्था को समझने के लिए योग्य और संन्यास की गहराई को बताया गया है। 


 समूह के स्वाध्यायियों में प्रोफेसर पुष्पेंद्र दुबे इंदौर से, प्रोफेसर संदीप वर्मा  वर्धा से, प्रोफेसर आबिदा बेगम बैंगलोर से,अजय कल्याणी   दुर्ग से ,अनिल उपाध्याय  जौनपुर से ,डॉक्टर अलका, ज्ञान प्रकाश लखनऊ से,दीपिका  दिल्ली से, विमला दीदी शाहजहांपुर से, चतुरा दीदी,धनंजय राय , समाजसेवी मनोज मीता ,गीता देशमुख , जयेश भाई पटेल  गुजरात से,ज्योति दीदी, उत्तरप्रदेश से कुसुम दीदी, नासिक से नाथूराम भाई ,राधे कृष्ण शर्मा आगरा, प्रोफ़ेसर संजय  काशी विद्यापीठ से, इंदौर से श्वेता और समन्वय ,सिद्धार्थ सिंह, सुभाष पाटिल विमल बहन कर्जत महाराष्ट्र से , सुरभि खण्डेलवाल ,टीपू भाई,उषा दीदी बिहार से ,शिवानी  और दीप्ति, राहुल पाठक, दिल्ली से वेंकटेश गुप्ता, सोनल सहगल, अजय पांडेय , राजीव, सत्येंद्र, किशन, ओम भारद्वाज, प्राची बहन और दिलीप भाई धुलिया से, कविता अमरावती से  सुधीर भाई गोयल उज्जैन से,डा सुजाता चौधरी जी, रजनीश सिंह, स्वस्थ शिक्षित समृद्ध गांव समूह से जुड़े लोग, जय जगत सेवा आश्रम से जुड़े लोग और कई संस्थाओ आदि से सैकड़ों लोग स्वाध्याय का लाभ पाते हैं।

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