साहित्यिक नगरी उन्नाव में साहित्य अकादमी–संस्कृति मंत्रालय और चंडीगढ़
यूनिवर्सिटी, यूपी के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन
21वीं सदी के लेखन पर इंग्लिश और ट्रांसलेशन के प्रभाव को समझने के लिए आयोजित हुआ विशेष सम्मेलन
Fri, 5 Dec 2025

उन्नाव, 12 दिसंबर। साहित्यिक परंपराओं से समृद्ध उन्नाव में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्यरत साहित्य अकादमी तथा चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में “स्टोरीटेलिंग इन इंग्लिश एंड ट्रांसलेशन्स: विज़न्स, रिविज़न्स एंड इनोवेशन्स” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ हुआ। इस आयोजन में आधुनिक कहानी–कहानी की बदलती शैली, अनुवाद की नई दिशाओं और साहित्यिक अभिव्यक्ति में हो रहे नवाचारों पर विस्तार से चर्चा की गई।

उद्घाटन सत्र में वक्ताओं ने कहा कि कहानी कहना केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रक्रिया है, जो समाज, परंपरा और अनुभवों को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाती है। विभिन्न भाषाओं के माध्यम से कथाओं का आदान–प्रदान न सिर्फ साहित्य को समृद्ध करता है, बल्कि सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत बनाता है।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से उपस्थित रहे—
षणमुखानंद, उप सचिव, साहित्य अकादमी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार
प्रो. अनीता सिंह, अध्यक्ष, अंग्रेज़ी विभाग, बीएचयू
प्रो. सुनीता मुर्मू, अध्यक्ष, अंग्रेज़ी विभाग, गोरखपुर
प्रत्युषा प्रामाणिक, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, यूपी
सौम्या शर्मा, आईएफएलयू, लखनऊ
प्रो. ओंकार नाथ उपाध्याय, एचओडी, अंग्रेज़ी विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय
प्रो. देबज्योति विश्वास, बोडोलैंड यूनिवर्सिटी
प्रो. गौरहरि बेहरा, डीडीयू, गोरखपुर
प्रो. प्रकाश जोशी, निदेशक, मानव संसाधन विकास केंद्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय
प्रो. टी.पी. सिंह, प्रो वाइस-चांसलर, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, यूपी
डॉ. अजय कुमार यादव, रजिस्ट्रार, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, यूपी
सेमिनार में चार थीम-आधारित सत्र आयोजित किए गए, जिनमें—
आधुनिक कहानी–लेखन के नए आयाम,
समकालीन पाठकों के अनुरूप पुनर्कथन,
साहित्य में उभरती रचनात्मक तकनीकें
तथा पौराणिक कथाओं के आधुनिक काव्य रूप
जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने दृष्टिकोण साझा किए। शोध–पत्र प्रस्तुति, कविता पाठ और संवाद सत्र भी कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे।
विशेष वक्तव्यों की प्रमुख बातें
षणमुखानंद, उप सचिव, साहित्य अकादमी ने कहा कि भारत में कहानी–कहानी की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। दादी–नानी की कहानियों से लेकर महाभारत, रामायण और पंचतंत्र तक, हमारी संस्कृति ने सदैव कथाओं को ही मूल्यों और ज्ञान के प्रसार का माध्यम बनाया है। आज अंग्रेज़ी और अनुवाद के जरिए भारतीय कथाएँ वैश्विक साहित्य में नई पहचान बना रही हैं।
प्रो. टी.पी. सिंह, प्रो वाइस-चांसलर, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (यूपी) ने कहा कि साहित्य अकादमी व विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह सेमिनार भाषाओं और संस्कृतियों के बीच सेतु निर्माण का महत्वपूर्ण अवसर है। यह आयोजन परंपरा और आधुनिकता के बीच सार्थक संवाद को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।
