साहित्यिक नगरी उन्नाव में साहित्य अकादमी–संस्कृति मंत्रालय और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, यूपी द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ

Sahitya Akademi-Ministry of Culture and Chandigarh University, UP inaugurated a two-day national seminar in the literary city of Unnao.
 
Sahitya Akademi-Ministry of Culture and Chandigarh University, UP inaugurated a two-day national seminar in the literary city of Unnao.
उन्नाव, 12 दिसंबर। साहित्य और कहानी–परंपरा के बदलते परिदृश्य को समझने के उद्देश्य से साहित्यिक नगरी उन्नाव में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत देश की शीर्ष साहित्यिक संस्था साहित्य अकादमी और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, यूपी के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ हुआ। सेमिनार का विषय था — “स्टोरीटेलिंग इन इंग्लिश एंड ट्रांसलेशन्स: विज़न्स, रिविज़न्स एंड इनोवेशन्स”, जिसके माध्यम से आधुनिक कहानी-कला, अनुवाद की नई दिशाओं और रचनात्मक प्रयोगों पर व्यापक विमर्श हुआ।

आधुनिक कहानी-कला और अनुवाद की नई दिशाओं पर विचार-विमर्श

इस दो दिवसीय सेमिनार का मुख्य उद्देश्य 21वीं सदी में कहानी कहने की बदली हुई शैली, अंग्रेज़ी लेखन और अनुवाद के प्रभाव, तथा साहित्य में उभरते नवाचारों को समझना था। विशेषज्ञों ने कहा कि कहानी कहना केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर, सामाजिक समझ और विचारों के आदान–प्रदान का प्रभावी माध्यम है।
कार्यक्रम में देश भर से आए लेखकों, शोधकर्ताओं, विद्वानों और शिक्षाविदों ने भाग लिया। उद्घाटन सत्र में वक्ताओं ने रेखांकित किया कि कहानियाँ हमेशा समाज को जोड़ने और बदलते समय को समझने का सशक्त साधन रही हैं। मौखिक परंपरा से लेकर आधुनिक डिजिटल लेखन तक—कहानी ने हर युग में नई भूमिका निभाई है।
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चार थीम-आधारित सत्र

सेमिनार में कुल चार विषयगत सत्र आयोजित किए गए, जिनमें प्रमुख रूप से निम्न बिंदुओं पर चर्चा हुई—
आधुनिक कहानियों के नए रूप और उनकी प्रयोगधर्मी अभिव्यक्तियाँ
समकालीन पाठक वर्ग को ध्यान में रखते हुए पुनर्कथन की प्रवृत्ति
भारतीय पौराणिक कथाओं के आधुनिक रूपांतरण
साहित्य में उभर रही नई रचनात्मक तकनीकें
इसके साथ ही शोध–पत्र प्रस्तुति, कविता पाठ और संवाद सत्र भी आयोजित किए गए।

विशिष्ठ अतिथियों का संबोधन

इस अवसर पर साहित्य अकादमी के उप सचिव षणमुखानंद ने कहा कि भारत की कहानी–परंपरा अत्यंत समृद्ध रही है। दादी–नानी की कहानियों से लेकर रामायण, महाभारत और पंचतंत्र तक—भारतीय समाज ने हमेशा कथाओं के माध्यम से ही ज्ञान, मूल्य और संस्कृति को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि आज अंग्रेज़ी और अनुवाद के माध्यम से भारतीय कथाएँ वैश्विक मंच तक पहुँच रही हैं, और यही विविधता हमारी रचनात्मक शक्ति है।
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, यूपी के प्रो वाइस चांसलर प्रो. टी.पी. सिंह ने कहा कि यह सेमिनार साहित्यिक संवाद को समृद्ध करने के साथ–साथ भाषाओं और संस्कृतियों के बीच नए पुल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि परंपरा और आधुनिकता के इस संगम से साहित्य की नई दृष्टि निर्मित होगी।
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उपस्थिति

कार्यक्रम में प्रो. अनीता सिंह (अध्यक्ष, इंग्लिश विभाग, बीएचयू), प्रो. सुनीता मुर्मू (अंग्रेज़ी विभाग, गोरखपुर), प्रत्युषा प्रामाणिक (सीयू यूपी), सौम्या शर्मा (आईएफएलयू, लखनऊ), प्रो. ओंकार नाथ उपाध्याय (एचओडी, इंग्लिश, लखनऊ विश्वविद्यालय), प्रो. देबज्योति विश्वास (बोडोलैंड यूनिवर्सिटी), प्रो. गौरहरि बेहरा (डीडीयू, गोरखपुर), प्रो. प्रकाश जोशी (निदेशक, एचआरडीसी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय), डॉ. अजय कुमार यादव (रजिस्ट्रार, सीयू यूपी) सहित कई प्रतिष्ठित विद्वान उपस्थित रहे।

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