उज्ज्वल निकम: अदालत के ‘योद्धा’ जिनसे कांपते थे अपराधी | जानिए 1993 ब्लास्ट और कसाब केस के अनकहे किस्से

 
Sanjay Dutt Could’ve Stopped Mumbai Blasts? Ujjwal Nikam’s Explosive Revelations on 1993 Blasts & Kasab

आज की ये वीडियो है एक ऐसे वकील की, जिन्होंने कोर्ट की दीवारों को युद्ध का मैदान बना दिया। नाम है - उज्ज्वल निकम! 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट्स से लेकर 26/11 के कसाब केस तक, उन्होंने सैकड़ों अपराधियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाया। लेकिन आज हम बात करेंगे उनके उन बयानों की, जो हिला देंगे आपको।  क्या आप जानते हैं? अगर संजय दत्त ने सिर्फ एक कॉल कर दी होती पुलिस को, तो शायद 257 जानें बच जातीं? और कसाब को बिरयानी खिलाने वाली वो स्टोरी? वो भी झूठ थी! क्यों फैलाई गई ये अफवाह? और बॉलीवुड-माफिया का कनेक्शन? सब कुछ आज बताएँगे इस वीडियो में ।

 12 मार्च 1993 का वो काला दिन। मुंबई के 13 जगहों पर बम फटे, 257 लोग मारे गए, 700 से ज्यादा घायल। ये था दाऊद इब्राहिम का बदला - बाबरी मस्जिद विध्वंस का। लेकिन क्या आप जानते हैं, इस साजिश का एक लिंक बॉलीवुड स्टार संजय दत्त से जुड़ा था ?  उज्ज्वल निकम, जो उस केस के स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर थे, ने हाल ही में एक इंटरव्यू में खुलासा किया। उन्होंने कहा, "ब्लास्ट्स से कुछ दिन पहले, दाऊद का राइट हैंड अबू सलेम एक टेम्पो लेकर संजय दत्त के घर पहुंचा। उस टेम्पो में AK-47 राइफल्स, हैंड ग्रेनेड्स भरे पड़े थे। संजय ने कुछ हथियार लिए, फिर लौटा दिए, लेकिन एक AK-47 रख ली।"  अब सवाल ये: अगर संजय ने पुलिस को टेम्पो के बारे में बता दिया होता ? निकम साहब कहते हैं, "पुलिस जांच करती, आरोपी पकड़े जाते, और मुंबई में वो धमाके कभी न होते। 267 जिंदगियां बच जातीं!" 

निकम साहब ने ये भी कहा कि संजय दत्त को ब्लास्ट्स की साजिश के बारे में कोई पता नहीं था। वो बस हथियारों का शौकीन था। "संजय को हथियारों का क्रेज था। वो निर्दोष थे साजिश में, लेकिन कानूनी गलती तो की ही।" उन्होंने बताया, कोर्ट में जब संजय को आर्म्स एक्ट के तहत सजा सुनाई गई, तो वो कंट्रोल खो बैठे। निकम साहब ने कानफ्यूसी से उन्हें सलाह दी, "बाहर मत जाना अभी, भीड़ है।" संजय ने कहा, "हां सर, हां सर।" ये वो सीक्रेट था, जो आज तक मीडिया को नहीं पता था! 

  और हां, बाल ठाकरे ने भी संजय के पिता सुनील दत्त से कहकर दखल देने की कोशिश की। लेकिन निकम साहब अडिग रहे। कोई प्रेशर काम नहीं आया। संजय को 6 साल की सजा हुई, लेकिन ब्लास्ट कांस्पिरेसी से बरी हो गए।  

26 नवंबर 2008, मुंबई पर पाकिस्तान से आए 10 लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने हमला बोला। 166 लोग मारे गए। इनमें से 9 मारे गए, लेकिन एक पकड़ा गया - अजमल कसाब। और कसाब को फांसी दिलाने वाले थे उज्ज्वल निकम!  निकम साहब ने बताया, कसाब कोर्ट में बड़ा ड्रामा करता था। रोता-धरता, अपनी बहन का जिक्र करता। मीडिया में उसके लिए सिम्पैथी वेव उठ रही थी। लोग कह रहे थे, "बेचारा गरीब, पाकिस्तान से आया।" तो निकम साहब ने एक स्मार्ट मूव खेला। उन्होंने मीडिया को कहा, "कसाब ने जेल में मटन बिरयानी मांगी है!"  माहौल बदल गया। सिम्पैथी उड़ गई, गुस्सा भड़क गया। लेकिन सच्चाई? निकम साहब ने 2015 में कन्फेस किया, "ये स्टोरी मैंने गढ़ी थी। कसाब ने कभी बिरयानी नहीं मांगी, न ही खिलाई गई। ये ट्रिक थी emotional वेव को तोड़ने की।" 

 निकम साहब ने कहा, "वो बड़ा ड्रामा किंग था। एक बार मैंने उसे फटकार लगाई - 'तू यहां आ गया, तेरी बहन पाकिस्तान में क्या कर रही होगी?' वो सन्न रह गया।" कसाब के पास 10 फर्जी ID कार्ड्स मिले थे, सब पर हिंदू नाम लिखे - जैसे समीर कोल्हे, नकुल चोपड़ा। ISI की साजिश थी हिंदू आतंकवाद का इल्जाम लगाने की। लेकिन निकम साहब ने सब प्रूव कर दिया। दबाव? बहुत था। सेंट्रल गवर्नमेंट चाहती थी जल्द फांसी, लेकिन निकम ने कहा, "नहीं, सबूत मजबूत होने दो।" नतीजा? पाकिस्तान बेनकाब, कसाब 2012 में फांसी पर! 

 निकम साहब ने कहा, "मुझे धमकियां मिलती रहीं, लेकिन हनुमान जयंती पर जन्मा हूं, डरता नहीं!" Z+ सिक्योरिटी में 30 साल जीए, लेकिन कभी झुके नहीं।  

  निकम साहब अब राज्यसभा में हैं। 37 फांसी, 628 लाइफ सेंटेंस - ये है उनका रिकॉर्ड। लेकिन सवाल ये: क्या बॉलीवुड आज भी माफिया से दूर है? गुलशन कुमार मर्डर केस में भी निकम साहब लड़े थे। ये थी उज्ज्वल निकम की दुनिया - जहां जस्टिस हथियार से तेज होता है। क्या लगता है आपको ? संजय दत्त का रोल किसकी गलती थी? कमेंट्स में बताओ। 

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