साइबर सुरक्षा पर पुलिस वालों की पाठशाला

बतौर मुख्य अतिथि डीआईजी साइबर क्राइम पवन कुमार ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने विभिन्न तथ्यों के आधार पर साइबर खतरे की ओर प्रकाश डाला। बताया कि आज के दौर में साइबर क्राइम दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। यह तेजी से फैल रही है। इसके फ्रॉड के तरीके भी रोज बदल रहे हैं। साइबर क्राइम करने वाला किसी को भी आसानी से अपना शिकार बना लेता है। जितनी तेजी से तकनीकी विकसित हो रही है उसी अनुसार उसके कई खतरे भी हैं। कहा कि प्रदेश में साइबर क्राइम के करीब छह लाख मामले दर्ज हैं। जबकि इसके मुकाबले पुलिस वालों की संख्या बेहद कम है। कहा कि जागरूकता से साइबर क्राइम को कम तो किया जा सकता है मगर पूरी तरह रोक नहीं लगायी जा सकती। इसलिए इसे रोकने के लिए फुलप्रूफ तैयारी करनी होगी। कहा कि साइबर क्राइम को रोकने में दो तरीके काफी मदद कर सकते हैं। पहला मोबाइल नंबर जिसके नाम है वही उपयोग करे। इसी तरह बैंक खाता जिसका है वही उसे संचालित करे। यदि इसमें कोई दूसरा व्यक्ति उपयोग करता है तो ज्यादा संभावना है कि साइबर क्राइम हो। कहा कि पुलिस वालों को पीड़ित के साथ संवेदनशील व्यवहार करना चाहिए।
एसपी साइबर क्राइम राजेश कुमार यादव ने कहा कि हम डिजिटल युग में जी रहे हैं। हर काम डिजिटली हो रहा है। तकनीकी के फायदे हैं तो कई तरह के खतरे भी हैं। साइबर क्राइम उन्हीं खतरों में से एक है। साइबर क्राइम का ज्यादातर शिकार पढ़े लिखे लोग हो रहे हैं।
इसलिए साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूकता सबसे जरूरी है। पुलिसवालों को सबसे पहले खुद साइबर सुरक्षा और इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में जानने की जरूरत है। फिर आम जनता को भी जागरूक करें। कुछ बातों का ध्यान रखकर साइबर क्राइम से बचा जा सकता है। कहा कि इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने खाते की जानकारी किसी से साझा न करें। भा्रमक विज्ञापनों के चक्कर में न फंसे। यदि कभी साइबर क्राइम का शिकार हो जाते हैं तो तुरंत टॉलफ्री नंबर पर कॉल करने के साथ ही रिपोर्ट दर्ज करायें।
पूर्व आइपीएस और एफसीआरएफ के चीफ मेंटॉर प्रो0 त्रिवेणी सिंह ने कहा कि साइबर सुरक्षा को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। हर मिनट कोई न कोई इसका शिकार बन रहा है। मिनटों में कई हजार किलोमीटर दूर बैठा आदमी हजारों करोड़ पार कर दे रहा है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आ जाने के बाद तो साइबर क्राइम करना और भी आसान हो गया है। इसलिए पुलिसवालों की जिम्मेदारी और अधिक हो गयी है। पहले पुलिस को तकनीकी और साइबर सिक्योरिटी के बारे में खुद जानना होगा। जिससे कि वो जनता की पूरी मदद कर सके। साइबर क्राइम होने पर क्या करना है इसकी भी पूरी जानकारी होनी चाहिए। जिससे कि तत्काल मदद मिल सके।
वित्त अधिकारी केशव सिंह ने भी साइबर क्राइम से बचने के लिए जागरूक होने को सबसे जरूरी बताया।
सीडैक के एम जगदीश बाबू ने साइबर सुरक्षा के विभिन्न तरीकों पर प्रकाश डाला। बताया कि किस तरह तकनीकी के जरिये काफी हद तक इससे बचा जा सकता है। साथ ही साइबर सुरक्षा के लिए जागरूकता को महत्वपूर्ण बताया।
कार्यक्रम में माननीय कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडे ने भी मार्गदर्शन दिया. अतिथियों का स्वागत एसो0 डीन इनोवेशन डॉ0 अनुज कुमार शर्मा ने किया। जबकि संचालन वंदना शर्मा ने तो धन्यवाद इनोवेशन हब के हेड महीप सिंह ने दिया।