सेवाधाम अंकितग्राम उज्जैन के संस्थापक सुधीर भाई गोयल अवशेष जीवन का प्रयोग सुदूर      पिछड़े,गांवों का दर्शन हेतु करेंगे भ्रमण

Sudhir Bhai Goyal, founder of Sevadham Ankitgram Ujjain, will use the rest of his life to visit remote backward villages
Sudhir Bhai Goyal, founder of Sevadham Ankitgram Ujjain, will use the rest of his life to visit remote backward villages
लखनऊ डेस्क(आर एल पाण्डेय)।विनोबा विचार प्रवाह के सूत्रधार रमेश भइया ने बताया कि विनोबा विचार प्रवाह परिवार के अग्रिम पंक्ति के  साथी सेवाधाम अंकितग्राम उज्जैन के संस्थापक सुधीर भाई गोयल आगामी 26 जनवरी 2025 जो  सेवाधाम आश्रम का 36 वां स्थापना दिवस भी है।।उसी शुभ दिन से विनोबा के  सूक्ष्म_ कर्मयोग शब्द को जीवन में  करेंगें अंगीकार ,अवशेष जीवन का प्रयोग सुदूर      पिछड़े,,गांवों का दर्शन हेतु करेंगे भ्रमण,


  बाबा विनोबा ने एक पुस्तक ही सूर्य की महिमा पर लिखी है। बाबा बड़े गर्व के साथ कहते थे कि हमारे आदर्श तो सूर्य भगवान ही हो सकते हैं। क्योंकि?  सूर्य नियमितता,ठीक समय पर निकलना और ठीक समय से अस्त होना,धरती पर सभी को बराबर रोशनी देना,कोई बड़ा नहीं,कोई छोटा नहीं, कोई गोरा नहीं कोई काला नहीं, कोई महिला पुरुष काअंतर नहीं,सूर्य को अदभुत सेवक कहा बाबा ने वह सबके द्वार पर सबेरे सबेरे आता है।व्यक्ति जितना दरवाजा खोलेगा, उतना ही अंदर प्रवेश करेगा, आप नहीं खोलेंगे वह नहीं आएगा, बाहर ही खड़ा रहेगा। सबसे बड़ी विशेषता सूर्य की यह है कि सूर्योदय अर्थात सबेरे को अपनी किरणे हर कोने तक बिखेरता  है।

और शाम को सूर्यास्त के समय सब समेटता भी है।बाबा कहते थे कि नेता जीवन में वही सफल माना जायेगा जिसे यह कला सधती हो,इस युग में गांधी जी को यह कला आती थी।इसलिए वह स्वतंत्रता संग्राम जैसा विशाल आंदोलन संभाल सके। दूसरा बाबा ने  यही सन्देश संस्था जगत को भी    दिया है कि संचालक की कोशिश रहती है कि गांव से शहर, शहर से प्रदेश, प्रदेश से देश की परिधि में खूब काम करे  यह अच्छी बात है लेकिन जैसे काम फैलाने की खुशी और वैसे ही समेटने की तीव्रता मन में होनी चाहिए। और बाबा ने तो साक्षात इसको घटित करके दिखाया कि जो व्यक्ति सौ से ज्यादा प्रकार के काम फैलाए हुए थे ।भूदान आंदोलन जैसा विराट कार्य अपने हांथ में लिए हुए थे जिसमें गांव का एक भूदाता से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक जुड़े थे हर राज्य का मुख्यमंत्री इस कार्य की रिपोर्ट बाबा तक पहुंचाने में अपना गौरव मानता था। लेकिन बाबा ने एक दिन में अपने को सूक्ष्म कर्म योग को समर्पित कर दिया।किसी के पत्र का उत्तर तक न देना यह तय कर लिया। सारे देश की एक एक इंच जमीन को पैदल मापने वाले बाबा ने अपने जीवन को परम धाम आश्रम के थोड़े से परिक्षेत्र में सीमित कर लिया। इतना सूक्ष्मता का संकल्प जीवन का निर्वाह किया।अंत में तो बाबा ने आश्रमस्थ से अंतरस्थ की यात्रा का दर्शन सभी को कराया।               ऐसे लोग समाज  में बिरले ही होते हैं। संस्था जगत में ऐसा प्रयोग विनोबा सेवा आश्रम बाबा की जन्म शताब्दी वर्ष में ही अपने को समेटने का कार्य कर चुका है। 

सुधीर भाई गोयल सामाजिक जगत में एक ऐसा नाम है जो 1970 से  महापुरुषों के जीवन से प्रेरित होकर  वर्ष 1976 में महात्मा गांधी मेडिकल कालेज सेवाग्राम वर्धा में प्रवेश के लिए गए वहां डा सुशीला नैय्यर के कोटे से प्रवेश पा लिया। फीस भरने वाले थे ।अवकाश आ गया बचपन से इंदौर विसर्जन आश्रम में आना जाना था बाबू मूलचंद जी अग्रवाल के माध्यम से बाबा के विचारों का काफी प्रभाव पड़ा था। विचार आया  बाबा विनोबा  के आश्रम जाकर उनका दर्शन और आशीर्वाद पा लें , युवा सुधीर  पवनार पहुंचे सुबह का समय था बाबा के प्रति अपार श्रद्धा लेकर ब्रम्ह विद्या मंदिर में प्रवेश, कुटिया के बाहर धूप में बाबा बैठे थे समीप में कुछ बहनें  पुस्तक पढ़ रही थी सिर पर टोपी थी। समीप प्रेम पट्टी रखी थी बाबा का मौन था  खैर. सुधीर भाई को  दर्शन का मौका मिला। बाबा सबका परिचय पूरा लेते थे विशेषकर युवाओं से उसके आगे के सपने जरूर पूछते थे।

उसमें बाबा जो अपना संदेश जोड़ते थे ।प्रेम पट्टी पर बहुत सारे प्रश्न हुए। सुधीर ने 1970 से अजनोटी गांव से शुरु किए सेवा कार्यों , बाबू मूलचंद जी जो सुधीर भाई के फूफाजी थे।    अपने सभी कार्यों को ऐसे ही धीरे धीरे सुधीर भाई ने  अपना जीवन लक्ष्य बाबा के चरणों में अर्पित करते हुए कहा कि हम ऐसे निरीह प्राणियों के लिए सेवा करना चाहते हैं जिनका कोई न हो। उस सेवा से हमारा मन खूब आनंदित होगा। बाबा ने कहा यह सेवा तो समाज में बैठकर होगी, जिस पाठ्यक्रम में प्रवेश पाना चाहते हो वह तो आपको क्लीनिक या सरकारी नौकरी हेतु डाक्टर बनायेगी। यह भी सुंदर रास्ता है आपके जीवन के लिए फिर भी यदि समाज में गरीबों की सेवा के अनेक उदाहरण देश में हैं। बस फिर क्या था युवा सुधीर का उस दिन  रात भर चिंतन चला ,किधर जाऊं? अंत में यह तय किया कि यहां तो पांच वर्ष बाद भी पास होने पर सेवा के योग्य बन पायेंगे।लेकिन एक छोटा सा छप्पर डालकर किसी कुष्ठ रोगी या समाज के विक्षिप्त की सेवा शुरू करें तो आज से ही सेवा का अवसर मिल जायेगा। घर से पिता जी से जो प्रवेश के लिए पैसे उसमें से बचे हुए पैसे वापस करने गए और अपना आगे का लक्ष्य बताया, पिता जी का क्रोध भी सहना पड़ा किंतु उनके आशीर्वाद भी मिले ठीक है तुम्हारे मन में जो हो वह करो जाकर, ईश्वर तुम्हारी मदद करे। सुधीर भाई को उज्जैनी वरिष्ठ मंच संस्था से थोड़ा परिचय था उसी के बैनर तले अपनी सेवा की गाड़ी आगे बढ़ाई। आज तक उसी संस्था के माध्यम से हर प्रकार के निराश्रित, मरणासन्न,बच्चों, महिलाओं , दिव्यांगों, मनोरोगियों,और बुजुर्गों पीड़ित, वंचित असहाय विक्षिप्त लोगों की सेवा के लिए अदभुत काम किया है।अभी 800+ का उनका परिवार उज्जैन शहर से 17 किलोमीटर दूर गंभीर बांध के पास सेवाधाम के नाम से प्रकृति के सानिध्य में एक विशाल सेवाधाम आश्रम बनाया है। देश दुनिया के हर कोने में सुधीर भाई के त्याग और सेवा की खूब चर्चा है।सैकड़ों लोग रोज उनकी इस पवित्र भूमि पर आते हैं और अपने जीवन का कुछ अंश किसी न किसी रूप से दे जाते हैं।

सुधीर भाई ऐसा मानते हैं कि संतों के आशीर्वाद से सेवाधाम सुंदर ढंग से सेवापथ पर आगे बढ़ रहा है। लेकिन सुधीर भाई के मन में इधर बाबा विनोबा के आश्रम पवनार में मैत्री यात्रा,विनोबा विचार प्रवाह,नंदिनी शिविरों के संयोजन,तथा गीता स्वाध्याय शिविर  में गहराई से शामिल होने के बाद उनके चिंतन में भी बाबा विनोबा का महान सूक्ष्म कर्मयोग का शब्द धीरे धीरे अपनी पैठ बना रहा था। जीवन के सात दशक के पास जाते जाते अपने को समेटकर परमात्मा द्वारा प्रदत्त जिम्मेदारियों को साथियों को सौंपकर मार्गदर्शक के रूप में परमात्म भक्ति के काम को आगे बढ़ाते हुए आश्रम में रहते हुए देश के वंचित दबे कुचले सुदूर गांवों का भ्रमण कर वहां का दर्शन करेंगें।  यह संस्था जगत के लिए यह शुभ संकेत है। भगवान के यहां जब भार मुक्त,उपाधि मुक्त,अहंकार मुक्त होकर पहुंचेंगे तो हम वहां की गतिविधियों में ज्यादा आनंद से भाग ले सकेंगे । आपका अनुभव वहां काम आ सकता है लेकिन बोझ आपको पुनः इसी धरती पर आने के लिए आकर्षित करेगा।     ऐसी शुभ प्रेरणा जयेश भाई के कथनानुसार हमारे कल्याण मित्र सुधीर भाई गोयल के मन में अंकुरित हुई है।वे अपने सेवाधाम आश्रम के 36 वे स्थापना दिवस 26 जनवरी 2025 को अपनी अब तक निभाईं सांसारिक,संस्थागत जिम्मेदारियों से मुक्त होकर संरक्षक भाव से सूक्ष्म जीवन में प्रवेश करेंगें। डा सुधीर भाई गोयल अपने आश्रम में जाने वाले हर सहृदय व्यक्ति को अपने जीवन की अंतिम बेला हेतु तय स्थान जरूर दिखाते हैं।

वैसे तो सुधीर भाई इस बार दिल्ली के सद्भावना सम्मेलन में इसी भाव को लेकर गए थे कि गांधी जी की पुण्य भूमि पर यह जीवनदायिनी संकल्प देश भर के मित्रों के समक्ष घोषित करेंगें।25 सितंबर को इंदौर विनोबा की अभिमंत्रित  भूमि पर पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के जयंती कार्यक्रम में यह संकल्प दोहराया। मैं  सुधीर भाई गोयल आगामी 26 जनवरी से अपने संस्थागत दायित्वों से मुक्ति लेकर सूक्ष्म कर्मयोग में प्रवेश करूंगा ।और देश के सुदूर पिछड़े गांवों का दर्शन करूंगा।            विनोबा विचार प्रवाह परिवार उनके इस पुण्याई कदम का न केवल स्वागत करेगा  बल्कि भगवान से प्रार्थना करता है कि इस संकल्प पूर्ति के लिए बा , बापू, बाबा, दीदी, भाई जी, (पंच प्रेरणा शक्ति)उन्हें शक्ति,  साहस और संवर्धन दे। इस क्रम में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में एक वृहत युवा शिविर भी सेवाधाम परिसर में राष्ट्रीय युवा योजना के सौजन्य से आयोजित किया जा रहा है जहां 28 प्रदेशों के आए हुए युवा मित्रों के समक्ष अजय कुमार पांडे जी शिविर संचालक सुधीर भाई गोयल के संकल्प को और सुंदर ढंग से विश्लेषित करेंगें।            हरिजन सेवक संघ के  राष्ट्रीय अध्यक्ष दादा शंकर कुमार सान्याल ने  सुधीर भाई के संकल्प का स्वागत करते हुए

उनकी इच्छा शक्ति की प्रसंशा की। संकल्प की सराहना करने वालों में प्रमुख रूप से  गांधी घर कुरसेला के संस्थापक एवं हरिजन सेवक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद श्री नरेश यादव , राष्ट्रीय नशाबंदी परिषद के अध्यक्ष श्री रजनीश कुमार , हरिजन सेवक संघ की राष्ट्रीय सचिव श्रीमती उर्मिला श्रीवास्तव एवं मीडिया पर्सन  श्री शंभू शाह                 तमिलनाडु के प्रख्यात समाजसेवी श्री पी मारुति मद्रास , सेवाधाम आश्रम की कांता गोयल उज्जैन के श्री सचिन गोयल, विनोबा सेवा आश्रम की संरक्षक श्रीमती विमला बहन,  प्रथम जलयोधा एवं  पदमश्री उमाशंकर पांडे ने सुधीर भाई के संकल्प को सुनकर उन्हें संत की संज्ञा दी।

 हरिजन सेवक संघ उत्तर प्रदेश हरिजन सेवक संघ की अध्यक्ष सुश्री कुसुम जौहरी, धुलिया महाराघ्ट्र की प्राची बहन ,कविता।   येनूरकर एवं लखनऊ के डा अशोक शुक्ला, श्री संजीव जैन, हरदोई के सुरेश श्रीवास्तव एवं श्री विजय प्रकाश शाहाबाद के श्री अंबरीश कुमार जौनपुर के अमित परमार गाजीपुर के श्री सिद्धार्थ राय,   फतेहपुर के श्री भगवती प्रसाद पांडे, श्री बांदा के श्री शिव विजय सिंह , इलाहाबाद के डा सुरेश प्रसाद शुक्ला , बिहार मधुबनी के श्री रामकुमार मंडल  पूर्णिया  के श्याम भाई मधेपुरा के राजेंद्र जी मोकामा बिहार के सुनील सिंह  दरभंगा के डा संजय कुमार सुमन,श्री रखाल चंद्र ,पांडिचेरी के आदवन , हरियाणा के श्री सुरेश राठी,  नागपुर महाराष्ट्र के श्री राजीव देशपांडे , डा अनिल बाघ, डा कमल टावरी के स्वराज्य मिशन के साथी नोएडा के डा ब्रजगोपाल सिंह उड़ीसा के  श्री आर्यभट्ट मोहंती, तेलंगाना के श्री जगपाल जी,  अमर सिंह जी                    दिल्ली हरिजन सेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री        श्रीभगवान शर्मा,  दिल्ली के डा दिनेश कुमार , कर्जत की विमल पाटिल, और अहमदाबाद की झांखना जोशी ,विनय त्रिवेदी शाहजहांपुर के श्री के पी सिंह ने भी स्वागत किया।

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