वह मरी नहीं, मुक्त हो गई: डॉ. वरदा शुक्ला

She did not die, she was liberated: Dr. Varada Shukla
 
She did not die, she was liberated: Dr. Varada Shukla
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।ये वह शब्द नहीं" – नारी जीवन के अनकहे स्वर
- ये वह शब्द नहीं, नारी जीवन के उन अनछुए पहलुओं को समाज के सामने लाती है, जिन्हें अक्सर अनुपस्थित ही मान लिया जाता है
- ये वह शब्द नहीं" – लेखनी की शक्ति से नारी स्वर की अभिव्यक्ति का कथा संग्रह

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ये वह शब्द नहीं" नारी जीवन के उन अनछुए पहलुओं को समाज के सामने लाती है, जिन्हें अक्सर अनुपस्थित मान लिया जाता है। यह लेखनी की शक्ति से नारी स्वर की अभिव्यक्ति का कथा संग्रह है।

लेखिका डॉ. वरदा शुक्ला की लिखी पुस्तक "ये वह शब्द नहीं" के परिचय एवं चर्चा समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि आदरणीय रजनी तिवारी, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार रहीं। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. मनमीत सिंह द्वारा किया गया।
डॉ. वरदा शुक्ला ने अपने चिकित्सीय अनुभवों और सामाजिक ताने-बाने को कथाओं में पिरोया है। यह पुस्तक उन नायिकाओं की Yyy आवाज़ है, जिनकी पीड़ा समाज के शोर में दब जाती है। यह सिर्फ़ कहानियों का संग्रह नहीं, बल्कि समाज की सोच को आईना दिखाने वाला दस्तावेज़ है।
लेखन के प्रति अपने जुनून के बारे में डॉ. वरदा शुक्ला कहती हैं, "हर इंसान का एक कार्यक्षेत्र होता है, लेकिन उसकी एक अलग हॉबी भी होती है, जो उसे सुकून देती है। मैं जो भी चीज़ें अपने सामने देखती हूँ, उन्हें ऑब्ज़र्व करती हूँ, और मेरे अंदर उन्हें शब्दों में ढालने की तीव्र इच्छा जागती है। यही कारण है कि मैंने यह पुस्तक लिखी।"
"ये वह शब्द नहीं" केवल एक कथा-संग्रह नहीं, बल्कि नारी जीवन के संघर्ष, समाज की सीमाओं और मानसिकता के बदलाव की गूंज है। लेखिका कहती हैं, "एक स्त्री का शरीर वे सारे उत्तर दे देता है, जो स्वर नहीं दे पाते। निःशब्द पीड़ा और वेदना की कराह बहुत तीव्र होती है। वे घाव नहीं दिखते। वह मरी नहीं, मुक्त हो गई।"
यह पुस्तक उन अनसुने स्त्री स्वर की अनुगूंज है, जो अब दबने को तैयार नहीं।

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