“समर्थ गुरु, समर्थ राष्ट्र” की भावना से कार्य करता है शिक्षण मंडल: प्रो. कमल जायसवाल

The Shiksha Mandal works with the spirit of “Able Guru, Strong Nation”: Prof. Kamal Jaiswal
 
“समर्थ गुरु, समर्थ राष्ट्र” की भावना से कार्य करता है शिक्षण मंडल: प्रो. कमल जायसवाल
हरदोई (अम्बरीष कुमार सक्सेना)।
भारतीय शिक्षण मंडल, अवध प्रांत द्वारा डॉ. राम मनोहर लोहिया महाविद्यालय, अल्लीपुर, हरदोई में “व्यास पूजा उत्सव” का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रांतीय अध्यक्ष प्रोफेसर कमल जायसवाल ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि भारत की सनातन परंपरा में गुरु का स्थान अत्यंत उच्च रहा है। “समर्थ गुरु, समर्थ राष्ट्र” की विचारधारा को केंद्र में रखते हुए शिक्षण मंडल कार्य करता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में विद्यार्थियों के मन में गुरु के प्रति श्रद्धा और आदर की भावना विकसित करना आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षण मंडल महर्षि वेदव्यास के जन्मोत्सव आषाढ़ पूर्णिमा को व्यास पूजा के रूप में पूरे भारतवर्ष में मनाता है। यह आयोजन गुरु-शिष्य परंपरा के पुनर्जीवन और शिक्षकों के सम्मान को समर्पित होता है। इस वर्ष हरदोई जनपद में भी शिक्षकों को सम्मानित करने हेतु यह समारोह आयोजित किया गया।

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गुरु जीवन का मार्गदर्शक: प्रो. कौशलेंद्र कुमार सिंह

समारोह के मुख्य अतिथि, सीएसएन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर कौशलेंद्र कुमार सिंह ने अपने वक्तव्य में गुरु की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु जीवन में अज्ञानता का नाश कर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं। वे न केवल शैक्षणिक उन्नयन में योगदान देते हैं, बल्कि नैतिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में भी मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि गुरु का स्थान जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है और उनके प्रति आदर का भाव प्रत्येक विद्यार्थी में होना चाहिए।

35 शिक्षकों का सम्मान

इस आयोजन में जिले के 35 शिक्षकों को अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। सम्मानित शिक्षकों में प्रमुख रूप से श्री देवेश सिंह (आर.आर. इंटर कॉलेज), श्री रोहित कुमार सिंह (सनातन धर्म इंटर कॉलेज), डॉ. अखिलेश चंद्र पांडे (एसएस महाविद्यालय), अभय शंकर मिश्रा (ग्रामोदय महाविद्यालय) सहित अन्य गणमान्य शिक्षक शामिल रहे।

गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊपर: डॉ. यू.बी. किरण

समारोह की विशिष्ट अतिथि डॉ. यू.बी. किरण ने कहा कि चाहे कोई व्यक्ति ब्रह्मा, विष्णु या महेश के समान ही क्यों न हो, परंतु बिना गुरु के वह भवसागर पार नहीं कर सकता। वेद, उपनिषद, रामायण, गीता और गुरु ग्रंथ साहिब जैसे ग्रंथों में गुरु की महिमा का बार-बार वर्णन किया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक वह ईश्वरीय वरदान हैं जो निस्वार्थ भाव से बच्चों के जीवन में अच्छे-बुरे का भेद समझाकर उन्हें उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर करते हैं।

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शिक्षक समाज के निर्माण की नींव: डॉ. दलप्रीत कौर

आभार ज्ञापन करते हुए सह-संयोजक डॉ. दलप्रीत कौर ने कहा कि शिक्षक समाज निर्माण की मूल इकाई होते हैं। माता-पिता के बाद शिक्षक ही होते हैं जो बच्चों को उचित दिशा देकर उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनाते हैं। उन्होंने शिक्षकों की भूमिका को सामाजिक परिवर्तन का आधार बताया।

सशक्त संचालन और गरिमामयी उपस्थिति

कार्यक्रम का संचालन महाराणा प्रताप राजकीय महाविद्यालय के शिक्षक एवं जिला संयोजक डॉ. अजीत आनंद मणि द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. अभिषेक सिंह सेंगर, डॉ. नमिता त्रिपाठी, डॉ. रश्मि द्विवेदी, आनंद विशारद, पारुल गुप्ता सहित अनेक शिक्षाविद, शिक्षकगण और गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

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