34 साल बाद फिर पदयात्रा पर निकले शिवराज सिंह चौहान – जानिए क्यों?

(विशेष रिपोर्ट: पवन वर्मा, विनायक फीचर्स)
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों अपने विदिशा लोकसभा क्षेत्र में पदयात्रा कर रहे हैं। एक लंबे अंतराल – लगभग 34 वर्षों – के बाद शिवराज सिंह चौहान का इस तरह का जनसंपर्क अभियान ना सिर्फ मध्य प्रदेश में, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
आखिर क्यों ज़रूरत पड़ी फिर से पदयात्रा की?
शिवराज सिंह चौहान ने बतौर मुख्यमंत्री 16 वर्षों तक मध्य प्रदेश का नेतृत्व किया और “मामा” के नाम से लोकप्रिय हुए। अब जब वे केंद्र में मंत्री पद पर कार्यरत हैं, तो प्रदेश की राजनीति से उनकी दूरी साफ नज़र आती है। ऐसे में अचानक पदयात्रा का फैसला कई तरह के राजनीतिक संकेत दे रहा है।
यद्यपि शिवराज सिंह चौहान इसे केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रचार और जनता से संवाद का जरिया बता रहे हैं, लेकिन जानकार इसे राजनीतिक पुनर्सक्रियता और सुनियोजित रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं।
पदयात्रा का ऐतिहासिक संदर्भ
1991 में विदिशा से पहली बार लोकसभा सदस्य बनने के बाद चौहान ने यहीं से पहली पदयात्रा शुरू की थी। उस समय उनके साथ सिर्फ कुछ स्थानीय नेता थे। तब उन्हें "पांव-पांव वाले भैया" के नाम से जनता के बीच लोकप्रियता मिली थी। आज 2025 में, 34 साल बाद, वही इतिहास फिर दोहराया जा रहा है – लेकिन इस बार एक नया मोड़ है: परिवार भी साथ चल रहा है।
परिवार की भागीदारी – नया संदेश
इस बार पदयात्रा में शिवराज सिंह चौहान के साथ उनकी पत्नी साधना सिंह, पुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान और बहू अमानत चौहान भी कदम से कदम मिला रहे हैं। यह न सिर्फ एक राजनीतिक संकेत है, बल्कि यह चौहान परिवार की जनसम्पर्क में सक्रिय भूमिका को भी दर्शाता है।
पदयात्रा का भूगोल और राजनीतिक संदर्भ
अबका विदिशा लोकसभा क्षेत्र कई जिलों में फैला है, जिसमें शामिल हैं:
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गंजबासौदा, विदिशा (विदिशा जिला)
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सांची, भोजपुर, सिलवानी (रायसेन जिला)
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बुधनी, इछावर (सीहोर जिला)
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खातेगांव (देवास जिला)
यह क्षेत्र भाजपा का पारंपरिक गढ़ माना जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर सुंदरलाल पटवा और राघवजी तक, इस क्षेत्र ने कई दिग्गज नेताओं को जन्म दिया है।
क्या राष्ट्रीय राजनीति की तैयारी?
शिवराज सिंह चौहान का हर राजनीतिक कदम दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा होता है। वर्तमान पदयात्रा को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं। ऐसे में, यह जनसंपर्क यात्रा उन्हें एक बार फिर राजनीतिक केंद्रबिंदु में ला सकती है।
धीरे लेकिन दूर तक – पदयात्रा की गति
शिवराज सिंह चौहान यह पदयात्रा हर सप्ताह कुछ किलोमीटर की कर रहे हैं – अनुमानतः 7 से 10 किलोमीटर प्रतिदिन। यह यात्रा कई महीनों तक चल सकती है, जो उन्हें लगातार जनसंपर्क में रखेगी और राजनीतिक फोकस को बनाए रखेगी।