शिवराज सिंह चौहान की कष्टप्रद हवाई यात्रा और प्रधानमंत्री का मध्यप्रदेश दौरा

Shivraj Singh Chauhan's troublesome air journey and Prime Minister's visit to Madhya Pradesh
 
Shivraj Singh Chauhan's troublesome air journey and Prime Minister's visit to Madhya Pradesh
 (पवन वर्मा-विनायक फीचर्स) "मैं शिवराज सिंह चौहान ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखण्ड़ता अक्षुण्ण रखूंगा। मैं संघ के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूंगा। तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा।" "मैं शिवराज सिंह चौहान ईश्वर की शपथ लेता हूं कि जो विषय संघ के मंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या  व्यक्तियों को तब तक के सिवाय जब कि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में संसूचित या प्रगट नहीं करूंगा।"
यह केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की पद और गोपनीयता की वह शपथ है, जो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल होने के समय ली थी, लेकिन हाल ही में उनकी भोपाल से दिल्ली तक की यात्रा में वे संभवतः इस शपथ का पालन करने में क्या चूक कर गए हैं? यह सवाल सोशल मीडिया से लेकर भोपाल से दिल्ली और देश के कई प्रांतों के राजनैतिक गलियारों में घूमने लगा है।


   यहां उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 फरवरी को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित हो रही ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में शामिल होने मध्यप्रदेश आ रहे हैं। निवेशकों और प्रधानमंत्री के इस बहुचर्चित सम्मेलन के  ठीक एक दिन पहले शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार यानि 22 फरवरी को सोशल मीडिया एक्स और फेसबुक पर पोस्ट लिखी। जिसमें उन्होंने लिखा कि "आज मुझे भोपाल से दिल्ली आना था, पूसा में किसान मेले का उद्घाटन, कुरूक्षेत्र में प्राकृतिक खेती मिशन की बैठक और चंडीगढ़ में किसान संगठन के माननीय प्रतिनिधियों से चर्चा करनी है। मैंने एयर इंडिया की फ्लाइट क्रमांक ए 4136 में टिकट करवाया था, मुझे सीट क्रमांक 8 सी आवंटित हुई। मैं जाकर सीट पर बैठा, सीट टूटी और अंदर धंसी हुई थी। बैठना तकलीफदायक था। जब मैंने विमानकर्मियों से पूछा कि खराब सीट थीं तो आवंटित क्यों की, उन्होंने बताया कि प्रबंधन को पहले सूचित कर दिया था कि सीठ ठीक नहीं है, इसका टिकट नहीं बेचना चाहिए। ऐसी एक नहीं और भी सीटें है। सहयात्रियों ने मुझे बहुत आग्रह किया कि मैं उनसे सीट बदल कर अच्छी सीट पर बैठ जांऊ, लेकिन मैं अपने लिए किसी और मित्र को तकलीफ क्यों दूं, मैंने फैसला किया कि मैं इसी सीट पर बैठकर अपनी यात्रा पूरी करूंगा। मेरी धारणा थी कि टाटा प्रबंधन के हाथ में लेने के बाद एयर इंडिया की सेवा बेहतर हुई होगी, लेकिन ये मेरा भम्र निकला। मुझे बैठने में कष्ट की चिंता नहीं है लेकिन यात्रियों से पूरा पैसा वसूलने के बाद उन्हें खराब और कष्टदायक सीट पर बैठाना अनैतिक है। क्या ये यात्रियों के साथ धोखा नहीं है।"


  अब चर्चा यह है कि  यदि शिवराज सिंह चौहान चाहते तो यह बात उड्डयन मंत्री को फोन पर भी बता सकते थे,उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों से भी सीधे शिकायत कर सकते थे। केंद्रीय मंत्री के रूप में उनके द्वारा ली गई शपथ भी यही कहती है कि केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्हें जो ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को तब तक के सिवाय जब कि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, वे उसे प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में संसूचित या प्रगट नहीं करेगें। लेकिन सार्वजनिक रुप से सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इस मामले को रखने के बाद अब यही कहा जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान ने अपने न सही लेकिन दूसरे केंद्रीय मंत्री के विभाग की पोल सार्वजनिक रूप से खोल दी है।


    शिवराज सिंह चौहान की इस पोस्ट पर फेसबुक पर लगभग  तीन हजार कमेंट आ चुके हैं। जिसमें एक ने लिखा कि साहब आशा है कि आप इस मामले को कैबिनेट में उठाएंगे। एक अन्य व्यक्ति ने लिखा कि मामाजी, इससे यह साबित होता है कि निजीकरण एक धोखा है। उनकी इस पोस्ट पर एक ने यह भी लिखा कि आपको उड्डयन मंत्रालय को बताना चाहिए। एक अन्य व्यक्ति ने लिखा कि आप सरकार में है उचित दण्डात्मक कार्यवाही करें, केवल ट्वीट से काम नहीं चलेगा। एक ने लिखा कि बिलकुल ऐसी स्थिति किसान की भी है। एक और अन्य व्यक्ति ने लिखा कि सोयाबीन के भाव को लेकर तकलीफ नहीं होती, 3500 से 3800 ही बिक रहा है। एक ने लिखा कि कभी ट्रेन में भी सफर कर देश की बहुसंख्य आबादी की पीड़ा देख लीजिए।


शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय मंत्री बनने के बाद भी लगातार भोपाल में आते जाते बने रहते है, वैसे भोपाल उनका लोकसभा क्षेत्र नहीं हैं, लेकिन यहां पर उनका सरकारी निवास है। इसलिए उनका यहां पर आना जाना बना रहता है। वे जब भी आते हैं उनके बंगले पर भाजपा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं का जमावडा होता है। मध्य प्रदेश में लगभग 17 साल मुख्यमंत्री रहे केंद्रीय कृषि मंत्री ने सोशल मीडिया पर भले ही अपनी यह व्यथा यात्रा वाले दिन डाली हो, लेकिन इस यात्रा के अगले ही दिन मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा तय था। भोपाल में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 एवं 24 फरवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का शुभारंभ करने के लिए आ रहे हैं। इस समिट में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी अनेक उद्योगपति भोपाल आ रहे हैं। ऐसे ही समय में शिवराज सिंह का सोशल मीडिया पर यह लिखना लोगों को आश्चर्य में डाल रहा है। टाटा देश की जानी मानी कंपनी हैं और जब शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब टाटा के कई पदाधिकारी मध्यप्रदेश में आयोजित  ग्लोबल इन्वेटर्स समिट में भी आते रहे हैं।    राजनीतिक गलियारों में शिवराज सिंह चौहान को काफी चतुर माना जाता हैं। यह भी माना जाता है कि राजनीति में वे हर एक कदम बहुत ही सोच विचार कर उठाते हैं। ऐसे में अपनी इस हवाई यात्रा की व्यथा उन्होंने सार्वजनिक रुप से सोशल मीडिया पर देश विदेश में प्रकटीकरण किस रणनीति के तहत किया, इसका जवाब तो सभी जानना चाहते हैं।(विनायक फीचर्स)

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