बलरामपुर के शुभम चौहान को बीएचयू से तबला में पीएचडी

Shubham Chauhan from Balrampur receives a PhD in Tabla from BHU.
 
बलरामपुर के शुभम चौहान को बीएचयू से तबला में पीएचडी  

बलरामपुर। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में 12 दिसंबर को आयोजित 105वें दीक्षांत समारोह में बलरामपुर के होनहार तबला वादक शुभम चौहान को संगीत (तबला) विषय में पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। उन्होंने यह शोध संगीत एवं मंच कला संकाय के वरिष्ठ तबला विशेषज्ञ प्रो. प्रवीण उद्धव के निर्देशन में पूर्ण किया।

शुभम चौहान का शोध विषय “कोरोना काल में तबला वाद्य पर हुए मौलिक चिंतन का संकलनात्मक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन (आभासी मंचों के संदर्भ में)” रहा, जिसमें उन्होंने महामारी के दौर में संगीत साधना के बदलते स्वरूप, डिजिटल माध्यमों और आभासी मंचों की भूमिका का गहन अध्ययन किया है।

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नगर के टेढ़ी बाजार निवासी आनन्द कुमार चौहान एवं सुधा चौहान के ज्येष्ठ पुत्र शुभम बचपन से ही असाधारण प्रतिभा के धनी रहे हैं। मात्र तीन वर्ष की आयु में तबला वादन प्रारंभ कर उन्होंने शास्त्रीय संगीत की राह पकड़ ली। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई बलरामपुर में पूरी करने के बाद उन्होंने वर्ष 2017 में बीएचयू से बी.म्यूज (तबला) तथा 2019 में मास्टर ऑफ परफार्मिंग आर्ट (तबला) की उपाधि प्राप्त की।

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उन्होंने जुलाई 2018 में यूजीसी-नेट एवं जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके अतिरिक्त, प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद से संगीत प्रभाकर (गायन) डिप्लोमा प्राप्त कर गायन एवं वादन—दोनों विधाओं में अपनी दक्षता सिद्ध की। शोध अवधि के दौरान उनके अनेक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित हुए, जिससे संगीत अकादमिक जगत में उनके योगदान को विशेष पहचान मिली।

पीएचडी उपाधि प्राप्त करने के बाद शुभम चौहान ने इसे अपने जीवन का गौरवपूर्ण क्षण बताते हुए सफलता का श्रेय ईश्वर, गुरुजनों, माता-पिता, दादा-दादी, चाचा डॉ. मनोज कुमार चौहान, लेफ्टिनेंट (डॉ.) देवेन्द्र कुमार चौहान एवं समस्त परिवार को दिया।

शुभम चौहान की यह उपलब्धि न केवल बलरामपुर जनपद के लिए गौरव का विषय है, बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत और तबला वादन की परंपरा में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ती है।

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