सिंदूरी प्रतिशोध

sindoor pratoshodh 
 
सिंदूरी प्रतिशोध
(इंजी. अरुण कुमार जैन -विभूति फीचर्स)

अभिनन्दन भारत की सेना आज तुम्हारा,
बनके काल दुश्मनों को तुमने जो मारा।
पहलगाम में निर्दोषों का खून बहाया,
छब्बीस बहिनों का उसने सिन्दूर उजाड़ा।
किया अनाथ शतादिक भारत वालों को,
आतंकी नर पिशाच, घुसे थे सीमा में जो।

sindoor pratoshodh 


मध्य रात्रि दागीं मिसाइलें वीरों तुमने,
जेश-ए- मुहम्मद, लशकर-ए- तोएबा को भूना तुमने।
पाकिस्तानी आका,जिनको संरक्षण देते,
किया धराशायी तुमने,
 उन नर पिशाच को।
चीथड़े, चीथड़े कर डाला
पापी देहों को,
रोम रोम को बना दिया सिंदूरी तुमने।


आग उगलकर सिंदूरी प्रतिशोध लिया है,
क्या होता प्रतिशोध हमारा,
बता दिया है।
सिंदूर मिटाया था दानव ने,
तुमने फिर लगाया,
भारत माँ का पावन ललाट
ज्योतित करवाया।


शुभारम्भ है,बात बहुत आगे जायगी,
होगा प्रहार,
पापी की शामत आएगी।
समूल नष्ट हो आतंकवाद
दंड हर पापी पाये,
सेना भारत की विजय श्री,
हर पल, पग पाये। (विभूति फीचर्स

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