ईश्वर की प्राप्ति के लिए चाहिए निश्चलता, प्रेम और भोलापन: श्रीमद् भागवत कथा में आचार्य अंकित शास्त्री का भावपूर्ण प्रवचन

For the attainment of God, there is a need for determination, love and innocence: Acharya Ankit Shastri's soulful discourse in Shrimad Bhagwat Katha
 
ईश्वर की प्राप्ति के लिए चाहिए निश्चलता, प्रेम और भोलापन: श्रीमद् भागवत कथा में आचार्य अंकित शास्त्री का भावपूर्ण प्रवचन

लखनऊ डेस्क (आर.एल. पाण्डेय)। श्री रामलीला समिति, महानगर द्वारा श्री रामलीला मैदान, सेक्टर सी, महानगर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस की शुरुआत समिति अध्यक्ष ललित मोहन जोशी ने श्रद्धालुओं का स्वागत कर की। इस अवसर पर नवीन पांडे और उनकी धर्मपत्नी ने विधिवत पूजन कर कथा का शुभारंभ किया।

आचार्य अंकित शास्त्री महाराज ने पंचम दिवस की कथा में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का जीवंत चित्रण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि श्रीमद् भागवत पुराण में श्रीकृष्ण के बाल्यकाल की लीलाएं न केवल उनके दिव्य स्वरूप को प्रकट करती हैं, बल्कि भक्तों के अंत:करण में भक्ति, प्रेम और श्रद्धा का संचार करती हैं।

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं—पूतना वध, शकटासुर वध, त्रिणावर्त, यमलार्जुन उद्धार और कालिया नाग दमन—यह सिद्ध करती हैं कि वे कोई साधारण बालक नहीं, अपितु पूर्ण परमेश्वर हैं। माखन चोरी की कथा को उन्होंने प्रतीकात्मक रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि "माखन" भक्तों का निर्मल हृदय है, जिसे श्रीकृष्ण चुराकर अपनी कृपा से भरते हैं। उन्होंने कहा, "ईश्वर को प्राप्त करने के लिए हमें निश्चलता, प्रेम और भोलापन की आवश्यकता है।"

गोवर्धन लीला और छप्पन भोग का महत्व

कथा के क्रम में आचार्य शास्त्री ने गोवर्धन लीला और छप्पन भोग की परंपरा पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ब्रज में इंद्र पूजा की परंपरा थी, जिससे वर्षा हो सके। किंतु श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को समझाया कि हमें प्रकृति और गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, जो हमारे जीवन, गौधन और अन्न के लिए सहायक हैं।

जब इंद्रदेव ने क्रोधित होकर मूसलधार वर्षा शुरू कर दी, तब श्रीकृष्ण ने अपनी अंगुली पर सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की। उन सात दिनों में श्रीकृष्ण ने आठ बार भोजन नहीं किया, यानी कुल 56 बार भोजन नहीं हो पाया। गोपियों ने जब यह देखा तो उन्होंने 56 प्रकार के पकवान बनाकर अर्पित किए, जिससे छप्पन भोग की परंपरा शुरू हुई।

आचार्य शास्त्री ने कहा कि ईश्वर केवल पूजा से नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता, सेवा और प्रेमपूर्ण आचरण से प्रसन्न होते हैं।

कथा में विशेष आयोजन और उपस्थिति

पंचम दिवस पर प्रभु के लिए विशेष छप्पन भोग की भव्य व्यवस्था की गई थी। कार्यक्रम में रामलीला समिति के महासचिव हेम पंत, दीपक पांडे ‘दीनू’, गिरीश जोशी, पुष्कर पंत (सांझा चूल्हा), संजय श्रीवास्तव, देवेंद्र मिश्रा, सर्वजीत सिंह बोरा, कन्हैया पांडे, भुवन तिवारी, प्रकाश भट्ट, के.सी. उपाध्याय, नीरद लोहानी, नवीन पांडे, अनिल जोशी, बृजेश मेहता, हरीश लोहुमी, तारा जोशी, बी.पी. पांडे, भारती पांडे, सुझाता शर्मा, भावना लोहुमी, अनुराधा भट्ट, हेमा जोशी, रिचा जोशी, विनोद पंत बीनू, दीपेश पांडे, नीरज लोहानी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। रामलीला समिति के मीडिया प्रभारी देवेंद्र मिश्रा ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा 3 जुलाई 2025 तक प्रतिदिन संध्या 5:30 से 8:00 बजे तक श्री रामलीला मैदान, महानगर में आयोजित की जाएगी।

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