मण्डलीय विज्ञान प्रदर्शनी में बख्शी का तालाब इंटर कॉलेज के छात्रों ने दिखाया नवाचार

Students from Bakshi Ka Talab Inter College showcased their innovations at the divisional science exhibition.
 
Students from Bakshi Ka Talab Inter College showcased their innovations at the divisional science exhibition.
लखनऊ, 30 दिसंबर 2025।  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उत्तर प्रदेश शासन के तत्वावधान में मंगलवार को मण्डलीय विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन मुईनुद्दीन चिश्ती ख्वाजा विश्व विद्यालय, लखनऊ में किया गया। इस प्रदर्शनी में जनपद लखनऊ सहित मण्डल के विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों ने अपने वैज्ञानिक नवाचारों का प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनी में बख्शी का तालाब इंटर कॉलेज, लखनऊ के विद्यार्थियों ने विज्ञान अध्यापक हरिश्चंद्र सिंह चौहान के मार्गदर्शन में अपने क्रियाशील मॉडलों के माध्यम से सभी का ध्यान आकर्षित किया।

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कचरे से ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण का मॉडल

विद्यालय के छात्र अभय सिंह (कक्षा 10) ने ऐसा अभिनव मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें कचरे को जलाकर विद्युत ऊर्जा उत्पादन तथा उससे निकलने वाले धुएं को पानी में घोलकर पौधों के संरक्षण का प्रयोग दर्शाया गया। यह मॉडल स्वच्छता, ऊर्जा संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में एक प्रभावी प्रयास के रूप में सराहा गया।

‘शौर्य रोबोट’ बना आत्मनिर्भरता का माध्यम

वहीं समीक्षा वर्मा (कक्षा 11) ने ‘शौर्य रोबोट’ नामक एक उपयोगी मॉडल प्रस्तुत किया। समीक्षा ने बताया कि उनके पिता सब्जी विक्रय का कार्य करते हैं और इस रोबोट के माध्यम से बिना आवाज लगाए कम समय में सब्जियों की बिक्री संभव हो जाती है। यह मॉडल तकनीक के माध्यम से आजीविका में सहयोग और समय की बचत का उत्कृष्ट उदाहरण बना। मार्गदर्शक शिक्षक हरिश्चंद्र सिंह चौहान ने छात्रा को नवाचार के साथ आगे बढ़ते हुए अपने परिवार की सहायता करते रहने के लिए प्रेरित किया।

शिक्षक को मिला सम्मान

प्रदर्शनी के दौरान मण्डल समन्वयक एवं जिला विज्ञान क्लब, लखनऊ के प्रो. डॉ. डी.बी. सिंह तथा कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अभय कृष्णा द्वारा विज्ञान अध्यापक हरिश्चंद्र सिंह चौहान को उनके उत्कृष्ट मार्गदर्शन और विद्यार्थियों को नवाचार के लिए प्रेरित करने के लिए प्रशस्ति पत्र एवं मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया गया। यह प्रदर्शनी विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच, नवाचार और समाजोपयोगी तकनीकों के विकास को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुई।

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