स्टडी हॉल एजुकेशनल फाउंडेशन ने लखनऊ में शुरू किया भारत का पहला “संदर्भित व्यापक लैंगिक शिक्षा पाठ्यक्रम

Study Hall Educational Foundation launches India's first "Contextualized Comprehensive Gender Education Curriculum" in Lucknow
 
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(लखनऊ डेस्क – प्रत्यूष पाण्डेय)
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप, स्टडी हॉल एजुकेशनल फाउंडेशन (SHEF) ने लखनऊ में भारत का पहला संदर्भित व्यापक लैंगिक शिक्षा पाठ्यक्रम “Sex, Relationships and Society: Comprehensive Sexuality Education Curriculum” लॉन्च किया।
यह पहल इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है, जो लैंगिक शिक्षा को संकोच और चुप्पी के बजाय संवाद, समझ और सशक्तिकरण का विषय बनाती है।

कार्यक्रम के दौरान SHEF की संस्थापक और सीईओ डॉ. उर्वशी साहनी ने कहा  हमारा यह पाठ्यक्रम सिर्फ जीवविज्ञान की कक्षाओं तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य बच्चों को यह समझने में मदद करना है कि वे कौन हैं, क्या मूल्य रखते हैं, और दूसरों के साथ समानता, सम्मान और संवेदना के साथ कैसे जुड़ सकते हैं। यही सच्ची शिक्षा है।”

इस अवसर पर लखनऊ के प्रमुख स्कूलों — स्टडी हॉल स्कूल, ला मार्टिनियर, सेठ एम.आर. जयपुरिया स्कूल, सीएमएस, एपीएस एकेडमी, जीडी गोयंका, कुनस्कापस्कोलन, आदाणी जेम्स और अन्य शिक्षण संस्थानों के शिक्षक व छात्र उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में स्वीकार किया कि उम्र-उपयुक्त और व्यापक लैंगिक शिक्षा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अनिवार्य  स्टडी हॉल स्कूल के कक्षा 12 के छात्र श्रीवत्स शुक्ला ने कहा  हम उन बातों पर चुप नहीं रह सकते जो रोज़ हमारी ज़िंदगी को प्रभावित करती हैं। जेंडर, रिश्ते और सहमति जैसे मुद्दों पर खुलकर बात करना ज़रूरी है। जब पुरुष और पिता भी इस संवाद का हिस्सा बनेंगे, तभी असली बदलाव आएगा।
यह पाठ्यक्रम ज़रीन गार्सिया के नेतृत्व में तैयार किया गया है। इसके विकास से पहले छात्रों के साथ संवाद, शोध और एक पायलट कार्यक्रम भी चलाया गया। इसमें स्वयं की पहचान, रिश्ते, सहमति, जेंडर समानता, स्वास्थ्य, डिजिटल सुरक्षा और समावेशन जैसे विषय शामिल हैं।
एक अभिभावक ने कहा जब बड़े इन विषयों पर बच्चों से बात नहीं करते, तो इंटरनेट उनका शिक्षक बन जाता है। हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें सही, सम्मानजनक और भरोसेमंद जानकारी मिले।
यह पाठ्यक्रम अधिकार-आधारित दृष्टिकोण पर आधारित है, जो ज्ञान, मूल्यों और चिंतन को जोड़ता है ताकि बच्चे अपनी पहचान, रिश्तों और स्वास्थ्य से जुड़ी बातों को समझ सकें।
पाठ्यक्रम में सात मॉड्यूल शामिल हैं —
1. स्वयं की समझ
2. स्वस्थ रिश्ते
3. सहमति
4. जेंडर और संस्कृति
5. यौवन और प्रजनन
6. लैंगिक एवं प्रजनन स्वास्थ्य
7. LGBTQ+ पहचान और इच्छा व आनंद पर सकारात्मक दृष्टिकोण
सेठ एम.आर. जयपुरिया स्कूल की छात्रा वंशिका मिश्रा ने कहा युवाओं, खासकर लड़कियों को सही जानकारी का अधिकार है — न कि चुप्पी या शर्म का। जब हम अपने शरीर और अधिकारों को समझते हैं, तो हम भेदभाव का सामना कर सकते हैं और आत्मविश्वास से अपने निर्णय ले सकते हैं।
यह पाठ्यक्रम बच्चों को अपने शरीर, रिश्तों और जीवन से जुड़े निर्णय समझदारी से लेने की क्षमता प्रदान करता है। इसके साथ प्रत्येक स्कूल को शिक्षक प्रशिक्षण, कार्यशालाएं और एक वर्ष तक तकनीकी सहयोग भी उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि इस पहल को सुरक्षित, संवेदनशील और प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके।

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