बिहार हिजाब विवाद पर पाकिस्तानी मीडिया को सुमैया राणा का करारा जवाब, कहा– भारत के आंतरिक मामलों में दखल बर्दाश्त नहीं
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बिहार हिजाब विवाद पर पाकिस्तानी मीडिया को सुमैया राणा का करारा जवाब, कहा– भारत के आंतरिक मामलों में दखल बर्दाश्त नहीं
बिहार में हिजाब से जुड़ा विवाद अब सिर्फ राज्य या देश तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इस मुद्दे ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान खींचा है। इसी क्रम में पाकिस्तान की मीडिया ने भी इस मामले में रुचि दिखाई, लेकिन समाजवादी पार्टी की नेता और मशहूर शायर मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया राणा ने पाकिस्तानी पत्रकार को सख्त और स्पष्ट जवाब देकर किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप को सिरे से खारिज कर दिया।
पूरा विवाद उस समय शुरू हुआ जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक वीडियो सामने आया, जिसमें वह एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का हिजाब हटाते हुए नजर आए। वीडियो सामने आते ही राज्य की राजनीति गरमा गई। विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सवाल उठाए, सोशल मीडिया पर तीखी बहस शुरू हो गई और मामला बिहार से निकलकर राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया।
इसी विवाद के बीच पाकिस्तान के लाहौर स्थित एक टीवी चैनल के रिपोर्टर ने सुमैया राणा से फोन पर संपर्क कर इस मुद्दे पर इंटरव्यू देने का आग्रह किया। रिपोर्टर ने यह भी दावा किया कि इस विषय पर उनकी बातचीत पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू से हो चुकी है और वे चाहते हैं कि सुमैया राणा भी इस पर अपनी राय रखें। हालांकि, रिपोर्टर की यह पेशकश सुमैया राणा को बिल्कुल स्वीकार्य नहीं लगी।
सुमैया राणा ने बिना किसी झिझक के इंटरव्यू देने से इनकार करते हुए साफ कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में किसी भी पड़ोसी देश का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि देश के अंदरूनी मुद्दे देश के भीतर ही सुलझाए जाते हैं और इन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाना उचित नहीं है।
अपनी बात को और प्रभावी बनाने के लिए सुमैया राणा ने एक शेर के माध्यम से भी संदेश दिया। उन्होंने कहा—
“नज़र का तीर जिगर में रहे तो अच्छा है,
ये बात घर की है, घर में रहे तो अच्छा है।”
इस शेर के जरिए उन्होंने यह स्पष्ट किया कि चाहे मुद्दा कितना ही संवेदनशील क्यों न हो, देश के आंतरिक मामलों को बाहरी देशों के सामने उछालना ठीक नहीं है।
सपा नेता ने यह भी कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां अपनी सरकार, अपनी न्यायपालिका और अपने संस्थान मौजूद हैं। ऐसे में किसी बाहरी देश को यहां के राजनीतिक या सामाजिक मुद्दों में टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत के लोग अपने मतभेदों को आपस में सुलझाने में सक्षम हैं।
पाकिस्तानी रिपोर्टर ने बातचीत के दौरान बार-बार सवाल पूछने की कोशिश की, लेकिन सुमैया राणा अपने फैसले पर अडिग रहीं। उन्होंने कहा कि भारत में मतभेद भी हैं और आपसी प्रेम भी। कभी-कभी बहस और टकराव होता है, लेकिन अंत में देशवासी एकजुट रहते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि “यह हमारी अपनी लड़ाई है और हम इसे अपने तरीके से सुलझा लेंगे।”
हिजाब विवाद को लेकर सुमैया राणा ने कानूनी कदम भी उठाया है। उन्होंने लखनऊ के कैसरबाग थाने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि इस घटना से मुस्लिम महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंची है। हालांकि, पुलिस ने उनकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं की। सुमैया राणा का कहना है कि एसीपी द्वारा आश्वासन दिए जाने के बावजूद शिकायत दर्ज न होना निराशाजनक है।
इसके उलट, लखनऊ पुलिस ने शांति भंग की आशंका जताते हुए सुमैया राणा को 10 लाख रुपये के मुचलके का नोटिस भेज दिया। इस कार्रवाई के बाद राजनीतिक माहौल और अधिक गरमा गया है। एक ओर सुमैया राणा अपने बयान और रुख पर कायम हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन कानून-व्यवस्था का हवाला दे रहा है।
कुल मिलाकर, बिहार का हिजाब विवाद अब केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं रह गया है। यह मामला देश में संवेदनशील बहस को जन्म दे चुका है और साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपने आंतरिक मामलों में किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता। सुमैया राणा द्वारा पाकिस्तानी पत्रकार को दिया गया जवाब इसी सोच का स्पष्ट उदाहरण है कि भारत के मुद्दे भारत में ही सुलझाए जाएंगे।
